मकर व्यूह में मारे गए कर्ण दुशासन, केदारघाटी मंडाण सांस्कृतिक ग्रुप का भव्य मंचन
1 min read12/11/2022 6:35 pm
हरीश गुसाई / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज- अगस्त्यमुनि में आयोजित मन्दाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक मेले के अन्तिम दिन केदारघाटी मंडाण सांस्कृतिक ग्रुप गुप्तकाशी के कलाकारों द्वारा महाभारत युद्ध में 16वें दिन पर रचा गया मकर व्यूह का गढ़वाली में शानदार मंचन किया गया। जिसको देखने के लिए सैकड़ों लोग पाण्डाल में उपस्थित रहे। कलाकारों के शानदार अभिनय एवं निर्देशक आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल के कसे निर्देशन में हुए इस नाटक के मंचन से दर्शक अभिभूत हुए और देर सांय तक इसका आनन्द लेते रहे। मकर अथवा मगरमच्छ की आकृति में निर्मित इस व्यूह के प्रथम द्वार पर महारथी कर्ण और चतुर्थ द्वार पर दुशासन का वध किया जाता है। जहां प्रथम द्वार के महारथी अंगराज कर्ण जो कि आज के सेनापति भी हैं,उनका वध कुंती पुत्र अर्जुन के द्वारा किया जाता है, वहीं चतुर्थ द्वार पर महाबली भीमसेन द्वारा दुशासन का वध किया जाता है। विशुद्ध ज्यामितीय विधि से निर्मित इस व्यूह की रचना यूं तो महाभारत युद्ध में महारथी कर्ण द्वारा अर्जुन वध के लिए की गई थी, लेकिन भगवान सूर्य किए दिए गए कवच कुंडल दानवीर कर्ण द्वारा ब्राह्मण वेषधारी देवराज इंद्र को दे दिए जाते हैं। जिससे करण की शक्ति क्षीण हो जाती है। इंद्र द्वारा दिए गए अमोघ अस्त्र के सहारे कर्ण अर्जुन के संग युद्ध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। परंतु भगवान श्री कृष्ण की युद्ध नीति के अनुसार आज के युद्ध में भीम पुत्र घटोत्कच को मकरव्यूह भेदन हेतु भेज दिया जाता है। अप्रतिम युद्ध कौशल से कौरव सेना में हाहाकार मचा देने वाले भीम पुत्र घटोत्कच के ऊपर मजबूरी बस अमोघ अस्त्र छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार शक्तिहीन कर्ण को प्रथम द्वार पर अर्जुन के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त होना पड़ता है। वहीं चतुर्थ द्वार पर महाबली भीमसेन द्वारा दुशासन की छाती फोड़कर उसके रक्त से अपनी प्यास बुझाने के साथ-साथ द्रौपदी से दुशासन के रक्त से बाल धोने का आव्हान करते हैं। द्रौपदी भी दुशासन के रक्त से अपने बालों को धो कर वे निबंधन करने के साथ ही अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करती है। पांडव दल की ओर से श्री कृष्ण के रूप में प्रदीप सेमवाल, युधिष्ठिर ओम प्रकाश गोस्वामी, भीमसेन गजेंद्र चौधरी, अर्जुन राय सिंह राणा, द्रौपदी अंबिका, सुभद्रा विद्या, पार्षद गायन में शंकर सिंह नेगी, दीपक भल्वान, शैलेश नौटियाल, मुकेश जोशी, अभिलाषा, काजल, सुमन अनिल अग्रवाल ढोल वादक रमेश लाल और साथी रहे। जबकि कौरव दल में दुर्याेधन यशवीर रावत, सुशासन की भूमिका में हैप्पी अस्वाल, कर्ण सुरेंद्र दत्त नौटियाल, घटोत्कच मंमगाई जी ने शानदार अभिनय से दर्शकों को देर सांय तक बांधे रखा। इस गढ़वाली महानाट्य मकरव्यूह के रचनाकार एवं निर्देशक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल आचार्य कृष्णानंद नौटियाल बताते हैं की महाभारत काल में सेनाओं को खड़ा करने की बला को व्यूह रचना कहा जाता था। आज सांकेतिक रूप से केदारघाटी के गांवों में सेनाओं की जगह साड़ियों को लगाया जाता है। आचार्य जी का कहना है की ज्यामिति रुप से महाभारत कालीन व्यूह की रचना केदारघाटी के अतिरिक्त संसार में कहीं भी नहीं होती है। अतः इन व्यूह रचनाओं को विश्व धरोहर घोषित किया जाना समीचीन होगा। पूर्वजों द्वारा विरासत में दी गई इस परंपरा को संरक्षित और संवर्धित किए जाने की आवश्यकता है।
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