दिनेश रावत /  रवाँई  दीपोत्सव के दीपकों की झिलमिल कम होती उससे पहले ही देवलांग को लेकर लोगों का उल्लास व उत्साह निरंतर परवान चढ़ रहा है। हो भी क्यों नहीं आख़िर यही तो वह अवसर है जब अपने आराध्य इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा-विश्वास तथा लोकोत्सवों से अथाह आत्मीय अनुराग रहने सीमांत उत्तरकाशी के पश्चिमोत्तर रवांई क्षेत्र के श्रद्धालु देवलांग के बहाने बनाल पट्टी के गैर गांव में जुटेंगे और धर्म-आस्था-विश्वास की नाव पर सवार होकर लोक गीत-संगीत-नृत्य की त्रिवेणी में गोते लगाते

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हुए अपनी सांस्कृतिक सम्पन्नता, सामाजिक सद्भाव तथा लोक परंपराओं का भरपूर लुत्फ़ उठाएंगे। लोकोत्सव होने के बाद भी देवलांग बिल्कुल अलग है अन्य मेले-थौलों या लोकायोजनों से। बहुत सी विशिष्टताएं हैं। वैदिक व लौकिक संस्कृति का मंजुल समन्वय है। लोक गीत-संगीत व नृत्य के जितने रंग-रौनक है आस्था के भाव उससे कई गहरे।। इसलिए समय निकालिए और कल यानी 23/11/2022 को चले आइए। हम उत्साहित हैं आपके स्वागत के लिए।।