अजय रावत  / पौड़ी दस्तक पहाड न्यूज- कोई भी सदन चाहे वह ग्राम पंचायत हो या संसद, चुने हुए प्रतिनिधियों की पाठशाला होती हैं। लोकतंत्र की इस पाठशाला में जो विद्यार्थी जितनी ज़िरह करेगा वह जम्हूरियत की तालीम में उतना निखरता रहेगा। लेकिन हमारे विधायक तो मानो किसी व्यक्तिगत यानी private या दूरस्थ अथवा मुक्त (distance or open) स्टूडेंट की तरह हो गए हैं गोया साल में एक दो बार सिर्फ असाइनमेंट जमा करने

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के लिए कॉलेज बुलाये जा रहे हों। इस मर्तबा तो प्रोफेसर Pushkar Singh Dhami ने सभी छात्रों को केवल 10 पॉइंट का असाइनमेंट जमा करने का बहुत ही इजी टास्क जो दे दिया था, लेकिन शायद कई "कुशाग्र बुद्धि" के छात्र तो ये 10 पॉइंट भी तैयार नहीं कर पाए होंगे। सुना था इस बार पाठशाला ने हफ्ते भर चलना था लेकिन प्रोफेसर धामी तो बीच में ही कॉलेज छोड़ दिल्ली में बने नकली द्वारिका की गलियों में छुटभैये नेताओं को पौर महापौर बनाने की एक्स्ट्रा क्लास में चले गए। उम्मीद थी कि कॉलेज की कड़क प्रिंसिपल प्रोफेसर Ritu Khanduri इस पाठशाला को कुछ और दिनों के लिए चलातीं लेकिन लगता है न तो छात्र ऐसा चाहते थे न अग्रवाल, महाराज, रावत , बहुगुणा, आर्य, जोशी, जैसे फैकल्टी लेक्चरर ... बिना कैरिकुलम एक्टिविटीज के इस उत्तराखंड की जम्हूरियत की इस पाठशाला के प्रिंसिपल, प्रोफेसर, लेक्चरर व स्टूडेंट ज़ाहिल के ज़ाहिल रह जा रहे हैं और लाल बहादुर शास्त्री मसूरी पाठशाला से पढ़े शातिर स्टूडेंट इनको भेड़-बकरियों की तरह चरा रहे हैं।