क्रान्ति भट्ट  / गोपेश्वर  दस्तक पहाड न्यूज  - आस्था और मान्यता का अपना संसार होता है। जिसकी अनुभूति का आधार विस्वास होता है। उत्तराखंड के हिमालय में ऐसे मंदिर , आस्था के धाम हैं। जहां आस्थावानों , श्रद्धालुओं का मन से ऐसा विस्वास है कि इस दरबार में आकर कोई निराश नहीं लौटता। ऐसा ही देवी मां का एक पवित्र मंदिर है जहां मां के आगे कोई सच्चे मन से अपनी झोली फैलाये तो उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है।

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मां अनसूया का ऐसा ही एक पवित्र धाम मंदिर है। चमोली जिले के अनसूया नाम से ही प्रसिद्ध अनसूया मंदिर में दत्तात्रेय जयंती 6 दिसंबर से 7 दिसंबर तक पवित्र धर्म अनुष्ठान उत्सव आयोजित हो रहा है। जहां न सिर्फ लोग बल्कि देवियों की डोलियां भी मां अनसूया के दर्शन के लिए पहुंचेंगी *** मान्यता है कि मां अनसूया दम्पति को अवश्य संतान का आशीर्वाद देतीं हैं। सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ यदि मां अनसूया के दरबार में इस धर्म अनुष्ठान में दम्पति मां अनसूया के दरबार में आकर मां अनसूया से संतान की प्रार्थना करते हैं तो उस दम्पति को अवश्य संतान की प्राप्ति होती है। मां अनसूया मंदिर के पुजारी डाक्टर प्रदीप सेमवाल कहते हैं ।यूं तो मेडिकल साइंस संतान उत्पन्न होने को स्त्री पुरुष के वाई और एक्स क्रोमोजोम को आधार मानते हैं। पर अनेको ऐसे उदाहरण हैं। जब दम्पतियों को संतान नहीं होती। तमाम मेडिकल उपाय , परीक्षण के बाद भी हताश निराश दम्पति का विस्वास टूट जाता है। पर मां अनसूया का ऐसा पवित्र स्थान है । जहां सच्ची आस्था , विस्वास और श्रद्धा को लेकर पवित्र मन से यदि कोई निस्संतान दम्पति मां अनसूया के दरबार में संतान कामना के लिए आता है । तो उस दम्पति को अवश्य संतान की प्राप्ति होती है। संतान के बिना उनका सूना घर आंगन संतान की किलकारियों से अवश्य गूंजता है । इस बार 6 दिसंबर को दत्तात्रेय जयंती है। 6 और 7 दिसंबर को मां अनसूया मंदिर में धर्म अनुष्ठान होगा । मां से संतान की कामना की प्रार्थना के लिए दम्पति और मां अनसूया के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचेंगे। अनसूया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद राणा बताते हैं। दत्तात्रेय जयंती पर मां अनसूया के दरबार में संतान कामना के सैकड़ों दम्पतियों ने अपनी गुहार लगाई है । अभी से लोग अनसूया मंदिर पहुंच गये हैं । ** मां अनसूया वो देवी हैं जिनके तप , साधना और दिव्य प्रभा मंडल की परीक्षा लेने के लिए ब्रह्मा विष्णु और महेश उनके आश्रम में पहुंचे। तो मां ने उन्हें ही बच्चों का रूप देकर अपनी गोदी में बैठा दिया। मां लक्ष्मी , पार्वती और मां सरस्वती ने भी मां अनसूया के इस दिव्य स्वरूप को देख कर उनकी वन्दना की। ** मां अनसूया के दर्शन के दर्शन के लिए न सिर्फ श्रद्धालु बल्कि देवी देवता भी पहुंचते हैं। वरिष्ठ पत्रकार और मां अनसूया के अनन्य भक्त सुरेन्द्र सिंह रावत " अणसी " बताते हैं । दत्तात्रेय जयंती अनसूया मेले धर्म अनुष्ठान में मां अनसूया के दर्शन के देवियों की डोलियां से सज ने कर मां के दरबार में आयेंगी। यह परम्परा हजारों वर्षों से अनवरत चली आ रही है । कैसे पहुंचें । वाहन से गोपेश्वर मंडल पहुंचा जा सकता है। मंडल से 4 किमी घने जंगल के बीच पैदल पथ और प्रकृति के सुन्दर नजारों और मार्ग में नदी झरनों देवी देवताओं के दर्शन कर अनसूया मंदिर पहुंचा जा सकता है।