3000 लोग प्रभावित, जोशीमठ की पीड़ा क्यों नहीं सुनते सीएम साहब !
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03/01/202311:48 am
दीपक बेंजवाल ।।
दस्तक पहाड / जोशीमठ – जोशीमठ में पिछले एक साल से अधिक से भूस्खलन भू धंसाव की परिघटना हो रही है जिससे जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी हैं, हजारों लोग प्रभावित हैं । लोगों के आशियाने उजड़ रहे हैं । लोग वर्षों की मेहनत से बनाए अपने घरों से उजड़ कर सड़क पर आने को हैं । दुनिया भर के मीडिया ने इस सवाल को उठाया है उसके बावजूद शासन प्रशासन का यह उपेक्षापूर्ण बर्ताव आश्चर्यजनक है । जोशीमठ के सैकड़ों घर, असपताल सेना के भवन, मंदिर, सड़कें, प्रतिदिन धंसाव की जद में हैं और यह हर दिन बढ़ रहा है ।
20 से 25 हजार की आबादी वाला नगर अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है । एक तरफ तपोवन विष्णुगाड परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है ।
एक तरफ जनता पिछले एक साल से अधिक से त्राहि त्राहि कर रही है दूसरी तरफ शासन प्रशासन मूक तमाशा देखता रहा है । जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने एक साल में तमाम बार लिखने कहने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया । दिसम्बर प्रथम सप्ताह में बहुत जोर डालने पर नगर पालिका को प्रभावितों की गिनती करने को कहा गया । अर्थात आपदा आने पर मरने वालों की गिनती करने के निर्देश दिए । नगर पालिका ने आदेश के क्रम में लगभग 3000 लोगों को चिन्हित किया जो आपदा आने पर प्रभावित होंगे । आपदा से बचाव के उपाय करने के बजाय आपदा की प्रतीक्षा करने का यह क्रूर हृदयहीन रवैय्या बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । इस राज्य को जिसे अपने बलिदानों से हमने हासिल किया उसमें जनता को मरने के लिये छोड़ देने का यह अनुपम उदाहरण शायद ही कहीं मिले ।
जोशीमठ का नृसिंह मंदिर प्रांगण में आई दरार
24 दिसम्बर को सरकार के इसी उपेक्षा एवं संवेदनहीन रवैय्ये के खिलाफ हजारों की संख्या में जनता सड़कों पर उतरी ।लोगों ने तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए प्रदर्शन किया ।लोग इस सर्दी के मौसम में दरारों से पटे घरों में बल्लियों के सहारे घर टिकाए , रहने को मजबूर हैं । इसी सन्दर्भ में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने विधायक बद्रीनाथ के साथ मुख्यमंत्री से समय लिया था । इस अपेक्षा से कि मुख्यमंत्री जोशीमठ की जनता के इन हालात को जानेंगे सुनेंगे । व तत्काल निर्णय लेंगे । किन्तु मुख्यमंत्री ने पूर्व कैबिनेट मंत्री वर्तमान विधायक व संघर्ष समिति के लोगों, अध्यक्ष नगर पालिका जोशीमठ व अन्य लोगों को जो सुदूर जोशीमठ से बड़ी आशा से आए थे बैठने तक को नहीं कहा । एक मिनट से कम में बात आधी अधूरी सुनकर चीफ सेक्रेटरी से बात करने की कह आगे बढ़ गए । हमारे जोर देने पर विधायक बद्रीनाथ के दोबारा यह पूछने पर कि हम रुंके या जांय कह दिया कि चले जाओ । यह न सिर्फ विधायक का बल्कि क्षेत्र की जनता का अपमान था यह जोशीमठ की पीड़ित ठंड में राहत की उम्मीद कर रही जनता का भी अपमान था । हम इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इसकी निंदा करते हैं । मुख्यमंत्री से इस पर माफी की अपील करते हैं । शाम को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती को बुलाकर उनसे जोशीमठ के हालात व मांग जानने,व इस पर मुख्यमंत्री से रात 10 बजे की मुलाकात में रखने की बात कही । यह सोचकर कि जनता के हित में शायद यह हो । और दिन में जो व्यवहार मुख्यमंत्री का रहा उसके शमन का यह प्रयास हो, संघर्ष समिति के संयोजक प्रदेश अध्यक्ष के आवास पर गए । उन्हें स्थिति से अवगत कराया व लोगों की तत्काल जरूरत से अवगत कराया गया । जिस पर तत्काल निर्णय लेना जरूरी था । किन्तु आज सुबह के अखबार में उनका बयान आया है । जिससे यह लगता है कि बयान पहले ही अखबार को देकर बाद में लीपापोती को हमे बुलाया गया । प्रदेश अध्यक्ष ने आपदा से ग्रस्त लोगों के इस क्षण को भी राजनीति के अवसर लाभ उठाने का मौका बना लिया यह घोर आपत्तिजनक है यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है ।
हम प्रदेश की जनता से भी अपील करते हैं कि एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक पर्यटन नगर जो कि सीमा का अंतिम नगर होने से सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है , को बचाने के लिये सरकार पर दबाब बनाने में हमारी मदद करें ।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार एवं सचिव कमल रतूड़ी कहते है की जोशीमठ की जनता को न्याय मिलने उनके पुनर्वास की व्यवस्था होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम आप सबसे भही इसमें सहयोग देने की अपेक्षा रखते हैं अपील करते हैँ ।
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3000 लोग प्रभावित, जोशीमठ की पीड़ा क्यों नहीं सुनते सीएम साहब !
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दीपक बेंजवाल ।।
दस्तक पहाड / जोशीमठ - जोशीमठ में पिछले एक साल से अधिक से भूस्खलन भू धंसाव की परिघटना हो रही है जिससे जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी हैं, हजारों लोग
प्रभावित हैं । लोगों के आशियाने उजड़ रहे हैं । लोग वर्षों की मेहनत से बनाए अपने घरों से उजड़ कर सड़क पर आने को हैं । दुनिया भर के मीडिया ने इस सवाल को उठाया है
उसके बावजूद शासन प्रशासन का यह उपेक्षापूर्ण बर्ताव आश्चर्यजनक है । जोशीमठ के सैकड़ों घर, असपताल सेना के भवन, मंदिर, सड़कें, प्रतिदिन धंसाव की जद में हैं और
यह हर दिन बढ़ रहा है ।
[caption id="attachment_29866" align="alignnone" width="696"] फटती धरती[/caption]
20 से 25 हजार की आबादी वाला नगर अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है । एक तरफ तपोवन विष्णुगाड परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला
कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है ।
[caption id="attachment_29867" align="alignnone" width="576"] तिरछी हो गई इमारत[/caption]
एक तरफ जनता पिछले एक साल से अधिक से त्राहि त्राहि कर रही है दूसरी तरफ शासन प्रशासन मूक तमाशा देखता रहा है । जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने एक साल में तमाम
बार लिखने कहने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया । दिसम्बर प्रथम सप्ताह में बहुत जोर डालने पर नगर पालिका को प्रभावितों की गिनती करने को कहा गया । अर्थात
आपदा आने पर मरने वालों की गिनती करने के निर्देश दिए । नगर पालिका ने आदेश के क्रम में लगभग 3000 लोगों को चिन्हित किया जो आपदा आने पर प्रभावित होंगे । आपदा से
बचाव के उपाय करने के बजाय आपदा की प्रतीक्षा करने का यह क्रूर हृदयहीन रवैय्या बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । इस राज्य को जिसे अपने बलिदानों से हमने हासिल
किया उसमें जनता को मरने के लिये छोड़ देने का यह अनुपम उदाहरण शायद ही कहीं मिले ।
[caption id="attachment_29868" align="alignnone" width="696"] जोशीमठ का नृसिंह मंदिर प्रांगण में आई दरार[/caption]
24 दिसम्बर को सरकार के इसी उपेक्षा एवं संवेदनहीन रवैय्ये के खिलाफ हजारों की संख्या में जनता सड़कों पर उतरी ।लोगों ने तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए
प्रदर्शन किया ।लोग इस सर्दी के मौसम में दरारों से पटे घरों में बल्लियों के सहारे घर टिकाए , रहने को मजबूर हैं । इसी सन्दर्भ में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति
ने विधायक बद्रीनाथ के साथ मुख्यमंत्री से समय लिया था । इस अपेक्षा से कि मुख्यमंत्री जोशीमठ की जनता के इन हालात को जानेंगे सुनेंगे । व तत्काल निर्णय
लेंगे । किन्तु मुख्यमंत्री ने पूर्व कैबिनेट मंत्री वर्तमान विधायक व संघर्ष समिति के लोगों, अध्यक्ष नगर पालिका जोशीमठ व अन्य लोगों को जो सुदूर जोशीमठ से
बड़ी आशा से आए थे बैठने तक को नहीं कहा । एक मिनट से कम में बात आधी अधूरी सुनकर चीफ सेक्रेटरी से बात करने की कह आगे बढ़ गए । हमारे जोर देने पर विधायक बद्रीनाथ के
दोबारा यह पूछने पर कि हम रुंके या जांय कह दिया कि चले जाओ । यह न सिर्फ विधायक का बल्कि क्षेत्र की जनता का अपमान था यह जोशीमठ की पीड़ित ठंड में राहत की उम्मीद
कर रही जनता का भी अपमान था । हम इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इसकी निंदा करते हैं । मुख्यमंत्री से इस पर माफी की अपील करते हैं । शाम को भाजपा प्रदेश
अध्यक्ष ने संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती को बुलाकर उनसे जोशीमठ के हालात व मांग जानने,व इस पर मुख्यमंत्री से रात 10 बजे की मुलाकात में रखने की बात कही । यह
सोचकर कि जनता के हित में शायद यह हो । और दिन में जो व्यवहार मुख्यमंत्री का रहा उसके शमन का यह प्रयास हो, संघर्ष समिति के संयोजक प्रदेश अध्यक्ष के आवास पर गए
। उन्हें स्थिति से अवगत कराया व लोगों की तत्काल जरूरत से अवगत कराया गया । जिस पर तत्काल निर्णय लेना जरूरी था । किन्तु आज सुबह के अखबार में उनका बयान आया है
। जिससे यह लगता है कि बयान पहले ही अखबार को देकर बाद में लीपापोती को हमे बुलाया गया । प्रदेश अध्यक्ष ने आपदा से ग्रस्त लोगों के इस क्षण को भी राजनीति के
अवसर लाभ उठाने का मौका बना लिया यह घोर आपत्तिजनक है यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है ।
हम प्रदेश की जनता से भी अपील करते हैं कि एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक पर्यटन नगर जो कि सीमा का अंतिम नगर होने से सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है , को बचाने
के लिये सरकार पर दबाब बनाने में हमारी मदद करें ।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार एवं सचिव कमल रतूड़ी कहते है की जोशीमठ की जनता को न्याय मिलने उनके पुनर्वास की
व्यवस्था होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम आप सबसे भही इसमें सहयोग देने की अपेक्षा रखते हैं अपील करते हैँ ।