■ अजय रावत / पौड़ी ■ जोशीमठ जैसी धार्मिक, ऐतिहासिक, पर्यटक व सामरिक नगर आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। अलग-अलग जियोलॉजिस्ट के पृथक मत हो सकते हैं किंतु तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की टनल को इसका एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। यदि वास्तव में टनल ही इस भूधंसाव का कारण है तो यह उत्तराखंड के पहाड़ के लिए बेहद चिंतनीय है। दर्जनों हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स के साथ पहाड़ में चारधाम महामार्ग व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल रूट पर भी अनगिनत टनल निर्माणाधीन हैं, ऐसे में यह

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समूचे पहाड़ के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। एक तरफ पूरे पहाड़ के गुठयार सूने सूने हैं तो वहीं जोशीमठ जैसे आबाद हैबिटेट के गुठयार दरारों में जमीदोंज हो रहे हैं ।