दस्तक पहाड न्यूज- मंदाकिनी घाटी में प्रकृति, पर्यावरण पर उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोकप्रिय शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल और हाल ही में साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी कीलीमंजारों को फतह कर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली साइकिलिस्ट प्रीति नेगी को 14 जनवरी को समाजसेवी हरिदत्त बेंजवाल स्मृति समारोह अगस्त्यमुनि में केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत एवं जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, ब्लाकप्रमुख जखोली प्रदीप थपलियाल के हाथों मंदाकिनी सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल
शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल मूल रूप से ग्राम टेमरियाँ के निवासी है। एक बेहतरीन, सहज, सरल और समभाव से छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक के रूप में अगस्त्यमुनि क्षेत्र के हजारों नौनिहालों के वो प्रिय शिक्षक रहे है। उन्होंने हमेशा एक जुनून की तरह बच्चों को पढ़ाया। रात-दिन अपने विद्यार्थियों के प्रति चिन्तित रहने पर वो घर पर कमजोर बच्चों को पढ़ाते, खुद हाथ से लिखकर नोट्स बनाकर उनका मनोबल बढ़ाते और शायद ऐसी बहुत सी खूबियों के कारण वो घाटी में लोकप्रिय शिक्षक के रूप में मशहूर हो गए।
उन्होंने सेवाकाल में शिक्षणकार्य में जिस प्रकार उच्च मापदंड स्थापित किया सेवानिवृत्त के बाद पर्यावरण जागरूकता के प्रति भी उतनी ही रचनात्मकता से मापदंड बनाए। अपने इसी पर्यावरणीय चिंतन को मूर्तरूप देने के लिए उन्होंने ‘अगस्त्य पर्यावरण मित्र समिति’ का गठन किया। उन्होंने व्यापकता से सेवानिवृत्त बुजुर्गों, स्कूली बच्चों को साथ लेकर मंदाकिनी गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छता अभियान चलाए। गंगा किनारों पर वो घंटों लोगों को समझाते दिख जाते। हाथ से जागरूक भरे पर्चे लिखते, बाँटते या फिर रैलियों, चर्चाओं और सेमिनारों के जरिए लोगों को प्रकृति और गंगा की स्वच्छता, महत्ता को पाठ पढ़ाते रहे। उनकी इस रचनात्मक लिए वर्ष 2012 में उनकी संस्था को जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए गए जागरूकता अभियानों के लिए स्पर्श गंगा बोर्ड उत्तराखंड सरकार द्वारा उनकीव भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। वास्तव में शिक्षक के सहृदयी दिल ने मृत समाज की धड़कन में फिर से नवीन प्राण भर दिया।
प्रीति नेगी
मन्दाकिनी युवा प्रतिभा से सम्मानित होने वाली प्रीति नेगी भी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। कहते हैं कि इंसान के अंदर जज्बा और कुछ कर गुजरने की सोच हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा जज्बा दिखाकर पहाड़ की बेटी युवा साइकिलिस्ट और पर्वतारोही (Mountaineer) प्रीति नेगी ने रूद्रप्रयाग और उत्तराखंड ही नहीं देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। 18 दिसम्बर को अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) को साइकिल से फतह कर तिरंगा फहराया और असंभव काम को संभव बना दिया।
बाबा केदारनाथ जी की कृपा मानने वाली प्रीति ने 18 दिसम्बर को सुबह 6 बजे साउथ अफ्रीका तंजानिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत देश का तिंरगा लहराते हुए और एक नया वर्ड रिकॉड कायम किया है। इससे पूर्व पाकिस्तानी की समर खान (samr Khan) जिसने 4 दिन में summit पूरा किया था का रिकॉर्ड ब्रेक करके 3 दिन में ही समिट पूरा करके भारत के नाम रिकॉड कर दिया है। इस रिकॉर्ड को उन्होंने शहीद माउंटेनियर एवरेस्टर सविता कंसवा और नोमी रावत को श्रद्धाजंली स्वरूप अर्पित किया है।
बता दे किलिमंजारो, अपने तीन ज्वालामुखीय शंकु, किबो, मवेन्ज़ी, और शिरा के साथ पूर्वोत्तर तंजानिया में एक निष्क्रिय स्ट्रैटोज्वालामुखी है और अफ्रीका का उच्चतम पर्वत है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5,895 मीटर या 19,341 फीट है।किलिमंजारो पर्वत दुनिया का सबसे ऊंचा मुक्त-खड़ा पर्वत है और साथ ही साथ विश्व का चौथा सबसे उभरा पर्वत है जो आधार से 5,882 मीटर या 19,298 फीट ऊंचा है।
इससे पहले साइकिल से केदारनाथ पहुंचकर इतिहास रचा चुकी है। ‘रिस्पेक्ट टू गॉड’ इवेंट के जरिए पहाड़ की होनहार और जोशीली बेटी प्रीति ने 4 दिन में हरिद्वार से केदारनाथ तक की यात्रा साइकिल से कर रिकॉर्ड बनाया है। इस तरह हरिद्वार से केदारनाथ पहुँचने वाली प्रीति पहाड़ की पहली बेटी है। जिस पर आज रूद्रप्रयाग जनपद समेत पूरे उत्तराखंड को गर्व हो रहा है।
प्रीति जनपद रूद्रप्रयाग में ग्राम तेवड़ी सेम, पोस्ट चंद्रनगर की निवासी है। प्रीति के पिता शहीद स्व0 श्री राजपाल सिंह वर्ष 2002 में आतंकवादियों से लड़ते हुए जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए थे। इस घटना ने परिवार को पूरी तरह से झकझोर दिया फिर भी प्रीति ने कभी खुद को कमजोर होने नहीं दिया। माँ भागीरथी देवी भी लगातार बेटी की हौसलाफजाई करती रही। प्रीति कुछ बेहतर कर नाम रोशन करना चाहती थी इसलिए बचपन से ही खेलकूद के साथ, बाइकिंग, माउंटेन और साइकिलिंग में खुद को निखारने लगी। अगस्त्यमुनि से शिक्षा प्राप्ति के दौरान 2015 में बॉक्सिंग स्टेट खेल चुकी प्रीति ने 2016 में पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स किया। जिसके बाद से वो कई चोटियों पर पर्वतारोहण कर चुकी है। वर्ष 2017 ने यूथ फाउंडेशन में बतौर इंस्ट्रक्टर बनकर लड़कियों को प्रशिक्षित किया। पुनः 2018 में पर्वतारोहण (ए ग्रेड) का एक उन्नत कोर्स कर डीकेडी से 5670 मीटर तक की चढ़ाई भी की। 2019 में एक स्की कोर्स किया जिसमें दूसरा स्थान मिला और A Grade प्राप्त किया। 2022 में पर्वतारोहण में बचाव पाठ्यक्रम करने के बाद से लगातार विभिन्न इंवेटों के जरिए अपने को स्थापित करने में जुटी है।
मन्दाकिनी घाटी को अपनी रचनात्मकता, सृजनता, मजबूत हौसलों से समृद्ध करने दोनो प्रतिभाओं को दस्तक पहाड परिवार की ओर से ढेर सारी बधाईयाँ।
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बधाई: शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल और साइकिलिस्ट प्रीति नेगी को मिलेगा ‘मन्दाकिनी सम्मान’
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज- मंदाकिनी घाटी में प्रकृति, पर्यावरण पर उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोकप्रिय शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल और हाल ही में साउथ अफ्रीका की
सबसे ऊंची चोटी कीलीमंजारों को फतह कर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली साइकिलिस्ट प्रीति नेगी को 14 जनवरी को समाजसेवी हरिदत्त बेंजवाल स्मृति समारोह
अगस्त्यमुनि में केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत एवं जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, ब्लाकप्रमुख जखोली प्रदीप थपलियाल के हाथों मंदाकिनी सम्मान से
सम्मानित किया जायेगा।
[caption id="attachment_29970" align="alignnone" width="696"] शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल[/caption]
शिक्षक नरेन्द्र दत्त सेमवाल मूल रूप से ग्राम टेमरियाँ के निवासी है। एक बेहतरीन, सहज, सरल और समभाव से छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक के रूप में
अगस्त्यमुनि क्षेत्र के हजारों नौनिहालों के वो प्रिय शिक्षक रहे है। उन्होंने हमेशा एक जुनून की तरह बच्चों को पढ़ाया। रात-दिन अपने विद्यार्थियों के
प्रति चिन्तित रहने पर वो घर पर कमजोर बच्चों को पढ़ाते, खुद हाथ से लिखकर नोट्स बनाकर उनका मनोबल बढ़ाते और शायद ऐसी बहुत सी खूबियों के कारण वो घाटी में
लोकप्रिय शिक्षक के रूप में मशहूर हो गए।
उन्होंने सेवाकाल में शिक्षणकार्य में जिस प्रकार उच्च मापदंड स्थापित किया सेवानिवृत्त के बाद पर्यावरण जागरूकता के प्रति भी उतनी ही रचनात्मकता से
मापदंड बनाए। अपने इसी पर्यावरणीय चिंतन को मूर्तरूप देने के लिए उन्होंने 'अगस्त्य पर्यावरण मित्र समिति' का गठन किया। उन्होंने व्यापकता से सेवानिवृत्त
बुजुर्गों, स्कूली बच्चों को साथ लेकर मंदाकिनी गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छता अभियान चलाए। गंगा किनारों पर वो घंटों लोगों को समझाते दिख जाते। हाथ
से जागरूक भरे पर्चे लिखते, बाँटते या फिर रैलियों, चर्चाओं और सेमिनारों के जरिए लोगों को प्रकृति और गंगा की स्वच्छता, महत्ता को पाठ पढ़ाते रहे। उनकी इस
रचनात्मक लिए वर्ष 2012 में उनकी संस्था को जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए गए जागरूकता अभियानों के लिए स्पर्श गंगा बोर्ड उत्तराखंड सरकार द्वारा उनकीव
भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। वास्तव में शिक्षक के सहृदयी दिल ने मृत समाज की धड़कन में फिर से नवीन प्राण भर दिया।
[caption id="attachment_29972" align="alignnone" width="696"] प्रीति नेगी[/caption]
मन्दाकिनी युवा प्रतिभा से सम्मानित होने वाली प्रीति नेगी भी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। कहते हैं कि इंसान के अंदर जज्बा और कुछ कर गुजरने की सोच हो तो
कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा जज्बा दिखाकर पहाड़ की बेटी युवा साइकिलिस्ट और पर्वतारोही (Mountaineer) प्रीति नेगी ने रूद्रप्रयाग और उत्तराखंड ही नहीं देश का नाम
पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। 18 दिसम्बर को अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) को साइकिल से फतह कर तिरंगा फहराया और असंभव काम
को संभव बना दिया।
बाबा केदारनाथ जी की कृपा मानने वाली प्रीति ने 18 दिसम्बर को सुबह 6 बजे साउथ अफ्रीका तंजानिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत देश का तिंरगा
लहराते हुए और एक नया वर्ड रिकॉड कायम किया है। इससे पूर्व पाकिस्तानी की समर खान (samr Khan) जिसने 4 दिन में summit पूरा किया था का रिकॉर्ड ब्रेक करके 3 दिन में ही समिट
पूरा करके भारत के नाम रिकॉड कर दिया है। इस रिकॉर्ड को उन्होंने शहीद माउंटेनियर एवरेस्टर सविता कंसवा और नोमी रावत को श्रद्धाजंली स्वरूप अर्पित किया है।
बता दे किलिमंजारो, अपने तीन ज्वालामुखीय शंकु, किबो, मवेन्ज़ी, और शिरा के साथ पूर्वोत्तर तंजानिया में एक निष्क्रिय स्ट्रैटोज्वालामुखी है और अफ्रीका का
उच्चतम पर्वत है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5,895 मीटर या 19,341 फीट है।किलिमंजारो पर्वत दुनिया का सबसे ऊंचा मुक्त-खड़ा पर्वत है और साथ ही साथ विश्व का चौथा सबसे
उभरा पर्वत है जो आधार से 5,882 मीटर या 19,298 फीट ऊंचा है।
इससे पहले साइकिल से केदारनाथ पहुंचकर इतिहास रचा चुकी है। 'रिस्पेक्ट टू गॉड' इवेंट के जरिए पहाड़ की होनहार और जोशीली बेटी प्रीति ने 4 दिन में हरिद्वार से
केदारनाथ तक की यात्रा साइकिल से कर रिकॉर्ड बनाया है। इस तरह हरिद्वार से केदारनाथ पहुँचने वाली प्रीति पहाड़ की पहली बेटी है। जिस पर आज रूद्रप्रयाग जनपद
समेत पूरे उत्तराखंड को गर्व हो रहा है।
प्रीति जनपद रूद्रप्रयाग में ग्राम तेवड़ी सेम, पोस्ट चंद्रनगर की निवासी है। प्रीति के पिता शहीद स्व0 श्री राजपाल सिंह वर्ष 2002 में आतंकवादियों से लड़ते
हुए जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए थे। इस घटना ने परिवार को पूरी तरह से झकझोर दिया फिर भी प्रीति ने कभी खुद को कमजोर होने नहीं दिया। माँ भागीरथी देवी भी
लगातार बेटी की हौसलाफजाई करती रही। प्रीति कुछ बेहतर कर नाम रोशन करना चाहती थी इसलिए बचपन से ही खेलकूद के साथ, बाइकिंग, माउंटेन और साइकिलिंग में खुद को
निखारने लगी। अगस्त्यमुनि से शिक्षा प्राप्ति के दौरान 2015 में बॉक्सिंग स्टेट खेल चुकी प्रीति ने 2016 में पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स किया। जिसके बाद से वो कई
चोटियों पर पर्वतारोहण कर चुकी है। वर्ष 2017 ने यूथ फाउंडेशन में बतौर इंस्ट्रक्टर बनकर लड़कियों को प्रशिक्षित किया। पुनः 2018 में पर्वतारोहण (ए ग्रेड) का एक
उन्नत कोर्स कर डीकेडी से 5670 मीटर तक की चढ़ाई भी की। 2019 में एक स्की कोर्स किया जिसमें दूसरा स्थान मिला और A Grade प्राप्त किया। 2022 में पर्वतारोहण में बचाव
पाठ्यक्रम करने के बाद से लगातार विभिन्न इंवेटों के जरिए अपने को स्थापित करने में जुटी है।
मन्दाकिनी घाटी को अपनी रचनात्मकता, सृजनता, मजबूत हौसलों से समृद्ध करने दोनो प्रतिभाओं को दस्तक पहाड परिवार की ओर से ढेर सारी बधाईयाँ।