रेल प्रोजेक्ट के नाम पर शमशान बन रहा रुद्रप्रयाग का मरोड़ा गांव, 20 परिवारों ने छोड़ा गांव, देखिए तस्वीरें
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12/01/202310:39 pm
दीपक बेंजवाल / रूद्रप्रयाग
दस्तक पहाड न्यूज / जोशीमठ की तरह भू धंसाव का दंश झेल रहा रूद्रप्रयाग जनपद का मरोड़ा गांव अब श्मशान में तब्दील होता जा रहा हो। गांव के अधिकांश मकान टूट गये है, जो बचे है वो भी खतरे की जद में है। उत्तराखंड क्रांति दल की टीम ने रेलवे प्रोजेक्ट से प्रभावित मरोड़ा (घोलतीर) गांव का जायजा लिया। यहां लोगों के आवासीय घर ज़मीदोज़ हो गए हैं। इस गांव के तकरीबन चालीस परिवारों में आधे परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। वह किराए के मकान में रह रहे हैं। जबकि आधे परिवार टीन शेड में रहने के लिए विवश हैं। प्रभावितों का कहना है कि पिछले कई माह से रेलवे की ओर से उन्हें किराया नहीं दिया गया है। वहीं टीन शेड में बिजली-पानी की सुविधा तक नहीं है।
प्रशासन की ओर से प्रभावितों को नवंबर माह में मुआवज़ा देने का वायदा किया गया था। लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं दिया। बताया जा रहा है कि मुआवजे की धनराशि ऊँट के मुंह में जीरे के समान है। इस धनराशि से प्रभावित बमुश्किल जमीन ही खरीद सकते हैं। प्रभावित चाहते हैं कि उनका पुनर्वास हो। उन्हें मकान और गौशाला बनाकर दी जाय। साथ ही खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। ताकि वह पशुपालन और खेती-बाड़ी से अपनी आजीविका चलाते रहें। अभी तक उनकी आर्थिकी का मुख्य स्रोत पशुपालन और खेती-बाड़ी ही है।
इस मौके पर उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई, केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने प्रभावित ग्रामीणों से कहा कि वह उनके हक की लड़ाई पूरी शिद्दत के साथ लड़ेंगे। इससे पूर्व भी यूकेडी की टीम दो बार प्रभावित क्षेत्र में आ चुकी है। प्रभावितों की समस्याओं के निस्तारण और उन्हें न्याय दिलाने के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही रेलवे के उच्चाधिकारियों से वार्ता की जाएगी।
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दीपक बेंजवाल / रूद्रप्रयाग
दस्तक पहाड न्यूज / जोशीमठ की तरह भू धंसाव का दंश झेल रहा रूद्रप्रयाग जनपद का मरोड़ा गांव अब श्मशान में तब्दील होता जा रहा हो। गांव के अधिकांश मकान टूट
गये है, जो बचे है वो भी खतरे की जद में है। उत्तराखंड क्रांति दल की टीम ने रेलवे प्रोजेक्ट से प्रभावित मरोड़ा (घोलतीर) गांव का जायजा लिया। यहां लोगों के
आवासीय घर ज़मीदोज़ हो गए हैं। इस गांव के तकरीबन चालीस परिवारों में आधे परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। वह किराए के मकान में रह रहे हैं। जबकि आधे परिवार टीन
शेड में रहने के लिए विवश हैं। प्रभावितों का कहना है कि पिछले कई माह से रेलवे की ओर से उन्हें किराया नहीं दिया गया है। वहीं टीन शेड में बिजली-पानी की सुविधा
तक नहीं है।
[caption id="attachment_30019" align="alignnone" width="696"] उक्रांद की टीम[/caption]
प्रशासन की ओर से प्रभावितों को नवंबर माह में मुआवज़ा देने का वायदा किया गया था। लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं दिया। बताया जा रहा है कि मुआवजे की धनराशि ऊँट के
मुंह में जीरे के समान है। इस धनराशि से प्रभावित बमुश्किल जमीन ही खरीद सकते हैं। प्रभावित चाहते हैं कि उनका पुनर्वास हो। उन्हें मकान और गौशाला बनाकर दी
जाय। साथ ही खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। ताकि वह पशुपालन और खेती-बाड़ी से अपनी आजीविका चलाते रहें। अभी तक उनकी आर्थिकी का मुख्य स्रोत पशुपालन और
खेती-बाड़ी ही है।
इस मौके पर उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई, केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने प्रभावित
ग्रामीणों से कहा कि वह उनके हक की लड़ाई पूरी शिद्दत के साथ लड़ेंगे। इससे पूर्व भी यूकेडी की टीम दो बार प्रभावित क्षेत्र में आ चुकी है। प्रभावितों की
समस्याओं के निस्तारण और उन्हें न्याय दिलाने के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही रेलवे के उच्चाधिकारियों से वार्ता की जाएगी।