सूचना का अधिकार अधिनियम का मखौल, एक वर्ष बाद भी सूचना नहीं मिल पाई अगस्त्यमुनि के ग्राम पंचायत केड़ा में नेपाली मूल के नागरिकों की जानकारी मांगी थी। राज्य सूचना आयोग भी एक वर्ष बाद जागा नींद से, प्रथम अपीलीय अधिकारी को सूचना देने के लिए किया आदेशित हरीश गुसाई  / अगस्त्यमुनि।

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दस्तक पहाड न्यूज ब्यूरो। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। और इसको कामयाब बनाने के लिए लोक सूचना अधिकारी, सहायक लोक सूचना अधिकारी, सूचना की मांग करने वाले व्यक्तियों के अनुरोधों पर कार्रवाई करता है और ऐसी सूचना की मांग करने वाले व्यक्तियों को हर सम्भव सहायता प्रदान करता है। परन्तु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का अधिकारी किस प्रकार से मखौल उड़ाते हैं इसका ताजा उदाहरण रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि ब्लाॅक में देखने को मिला, जब सूचना मांगे जाने के एक वर्ष बाद भी अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। सोचनीय बात यह है कि आयोग के संज्ञान में भी मामला लाने के बाबजूद अभी तक सूचना नहीं मिल पाई है। जबकि सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम के अनुसार सूचना मांगे जाने के एक माह में सूचना उपलब्ध हो जानी चाहिए। परन्तु यहां एक वर्ष बीतने के बाबजूद सूचना उपलब्ध नहीं हो पाई है। इस मामले से लगता है या तो अधिकारी सूचना नहीं देना चाह रहा है या उसे अधिनियम की पूरी जानकारी नहीं है। मामला रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि ब्लाॅक का है। अगस्त्यमुनि नपं के अन्र्तगत बेड़ूबगड़ मोहल्ले में रहने वाली तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित राधा नेगी ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि अगस्त्यमुनि ब्लाॅक की कई ग्राम पंचायतों में नेपाली/विदेशी मूल के नागरिक निवास कर रहे हैं। इन लोगों के नाम ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर में दर्ज हैं और इनका फोटो पहचान पत्र के साथ ही आधार कार्ड भी बन चुका है। इसकी सत्यता जांचने के लिए उन्होंने 8-10-2021 को अगस्त्यमुनि ब्लाॅक के ग्राम पंचायत केड़ा के लोक सूचना अधिकारी/प्रधान से एक बिन्दु में सूचना मांगी थी। जिसमें ग्राम पंचायत केड़ा में निवास कर रहे नेपाली/ विदेशी मूल के नागरिकों के परिवार रजिस्टर की नकल, फोटो पहचान पत्र, आधार कार्ड द्वारा सूचना मांगी गई थी। परन्तु प्रधान द्वारा कुछ दिनों बाद प्रार्थना पत्र ही वापस कर दिया गया। इस पर उन्होंने 12-11-2021 को राज्य सूचना आयोग को पत्र लिखा। राज्य सूचना आयोग ने 18-11-2021 को पत्र द्वारा सूचित कि ग्राम प्रधान लोक सूचना अधिकारी नहीं है। अतः आप प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकती हैं। मैने 26-11-2021 को प्रथम अपीलीय अधिकारी/खण्ड विकास अधिकारी अगस्त्यमुनि के कार्यालय में अपील की। परन्तु खण्ड विकास अधिकारी ने सुनवाई कराने के बजाय लोक सूचना अधिकारी/ ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने हेतु कहा गया। जिसके बाद ग्रापंविअ ने एक लाइन में सूचना देते हुए अवगत कराया कि ग्राम पंचायत केड़ा में कोई भी नेपाली/विदेशी मूल के व्यक्ति का नाम परिवार रजिस्टर में दर्ज नहीं है। और फोटो पहचान पत्र एवं आधार कार्ड की जानकारी हमारे विभाग से सम्बन्धित नहीं है। आधी अधूरी सूचना मिलने के बाद उन्होंने एक बार पुनः सूचना आयोग को पंजीकृत डाक से पत्र भेजा। परन्तु आयोग से कोई भी सूचना मिल पाई। बार बार आयोग के समक्ष लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम की अनदेखी करने का मामला लाया गया। आखिर राज्य सूचना आयोग ने 7-12-2022 को इस पर सुनवाई करते हुए पाया कि लोक सूचना अधिकारी ने अपूर्ण सूचना प्रेषित की गई। साथ ही आयोग ने भी माना कि प्रथम अपीलीय अधिकारी/खण्ड विकास अधिकारी को मामले की सुनवाई करते हुए निस्तारण आदेश पारित नहीं किया जो कि सूचना अधिनियम का उल्लंघन है। राज्य सूचना आयोग ने खण्ड विकास अधिकारी को आदेशित करते हुए अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध कराते हुए अन्य स्तर की वांछित सूचनायें भी प्राप्त कर एक माह के भीतर अपने स्तर से उपलब्ध करायें। परन्तु एक माह गुजर जाने के बाद अभी तक उन्हें कोई सूचना उपलब्ध नहीं हो पाई है। समाज सेविका राधा नेगी ने कहा कि उन्होंने इस मामले में लगातार पत्राचार किया तब भी सूचना नहीं मिल पाई। ऐसे में आम आदमी कैसे कोई सूचना प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि आयोग के संज्ञान में लाने के बाद भी विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्राम पंचायत की सूचना एक वर्ष बाद भी नहीं मिल रही है तो इसके लिए जिम्मेदार लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही होनी चाहिए। जबकि राज्य सूचना आयोग ने भी माना कि दोनो ने ही अपने कार्य को नियमानुसार क्रियान्वित नहीं कियाङ है।