उत्तराखंड का पहला पुस्तकालय गाँव विकसित करने में जुटे चार युवा, रुद्रप्रयाग ज़िले के मणिगुह गाँव में बसंत पंचमी पर होगा औपचारिक उद्घाटन…
1 min read20/01/2023 7:57 pm
कालिका काण्डपाल l अगस्त्यमुनि
उत्तराखंड के विकास और यहाँ के आन्दोलनों में यहाँ की महिलाओं का विशेष योगदान रहा है. एक बार फिर उत्तराखंड की एक बेटी ने यहाँ शिक्षा, पलायन और रोज़गार जैसी समस्याओं से दो हाथ करने की ठानी है. अपने कार्य की शुरुआत उन्होंने रुद्रप्रयाग ज़िले के मणिगुह गाँव से की है जिसे यह युवा भारत का पहला पुस्तकालय गाँव बनाने के प्रयास में जुटे हैं। हमारा गाँव-घर फाउंडेशन एक नया प्रयास है जो उत्तराखंड में शिक्षा, रोज़गार, और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है. यह फाउंडेशन चार युवाओं बीना मिश्र, सुमन मिश्र, आलोक सोनी और राहुल रावत ने मिल कर शुरू किया है. फाउंडेशन और लाइब्रेरी का पूरा खर्च इन युवाओं द्वारा ही वहन किया जा रहा है. सुमन मिश्र रेख़्ता फाउंडेशन के उपक्रम सूफ़ीनामा में संपादक के पद पर कार्यरत हैं वहीं आलोक सोनी जाने माने फोटोग्राफर हैं और हिंदुस्तान टाइम्स में प्रिंसिपल फोटोग्राफर के पद पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं. बीना मिश्र दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सीनियर मेनेजर के पद पर कार्यरत हैं जिनका पैत्रिक गाँव बांजगुड्डू है जो रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है. राहुल रावत दिल्ली की एक CA फर्म में कार्यरत है और चमोली ज़िले के निवासी हैं. इस फाउंडेशन का उद्देश्य उत्तराखंड में नए विकसित थीम गाँव तैयार करना है जहाँ विकसित शहरों के जागरूक लोगों को आकर्षित कर रोज़गार और शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके. बीना बताती हैं कि गाँव के बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास और मुफ़्त कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है।पुस्तकालय गाँव का शिलान्यास 28 अक्टूबर 2022 को गाँव के कुछ लोगों और शिक्षकों द्वारा किया गया. पुस्तकालय में विभिन्न विषयों और भाषाओँ की चार हज़ार किताबें अभी उपलब्ध हैं जिनकी संख्यां में उत्तरोत्तर वृद्धि ज़ारी है।
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उत्तराखंड तीर्थों की भूमि है. इन युवाओं ने इस गाँव में पुस्तकालय को घर-घर पहुँचाने के लिए पुस्तक मंदिरों की योजना बनाई है जो भारत में अपनी तरह का पहला प्रयास है. इन छोटे मंदिरों में पुस्तकें रखी जायेंगी और इन्हें रीडिंग स्पॉट की तरह उपयोग में लाया जायेगा. ये मंदिर भी दिसम्बर तक बन कर तैयार हो जायेंगे. इस प्रकार पुस्तकालय गाँव को एक पुस्तक तीर्थ की तरह विकसित किया जाएगा जो पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण होगा। सामान्यतया यह देखा गया है कि गाँव के बच्चे पुस्तकालय में अपना समय कम व्यतीत करते है मगर हमारा गाँव घर फाउंडेशन के को-फाउंडर सुमन मिश्र बताते हैं कि उनका अनुभव इस से बिल्कुल अलग रहा. गाँव के बच्चों में शिलान्यास के दिन पुस्तकालय में काफ़ी वक़्त बिताया साथ ही अगले दिन भी लाइब्रेरी बंद होने के बाद भी बच्चे स्कूल बंद होते ही लाइब्रेरी पहुँच गए थे. गाँव के बच्चों ने लाइब्रेरी के प्रांगन में वृक्षारोपण भी किया. यह सब गाँव के उन्नत भविष्य को प्रदर्शित करता है।
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इन युवाओं के प्रयास में लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. ललित मोहन थपलियाल,भगवान सिंह, श्री शशिभूषण द्विवेदी, अनीसुर्रहमान, ख़ुर्शीद आलम जैसे वरिष्ट लेखकों के निजी संग्रह की चुनिदा किताबें जहाँ इस पुस्तकालय में उपलब्ध हैं, वहीं अविनाश मिश्र जैसे युवा कवियों के निजी संग्रह से भी इस पुस्तकालय में पुस्तकें उपलब्ध हैं. बनास जन पत्रिका के संपादक श्री पल्लव जी ने भी पुस्तकालय को सैकड़ों किताबें दान की हैं. इस पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर किताबों के साथ-साथ कुछ दुर्लभ पांडुलिपियाँ, और विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए ज़रूरी पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध हैं. गाँव के बच्चों को किताबों के लिए मीलों दूर अगस्त्यमुनि/रुद्रप्रयाग शहर जाना पड़ता था जिस में उनका काफ़ी समय बर्बाद होता था अब यह पुस्तकालय गाँव बनने के बाद शहर के बच्चों के लिए भी गाँव एक अच्छा और सस्ता विकल्प बनेगा . यह गाँव उत्तराखंड ही नहीं पूरे भारत से पर्यटकों और लेखकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करेगा।
बसंत पंचमी पर होगा औपचारिक उद्घाटन
गाँव-घर पुस्तकालय और पुस्तकालय गाँव का औपचारिक उद्घाटन 26 जनवरी (बसंत पंचमी) को हो रहा है. इस अवसर पर तीन दिनों का कार्यक्रम भी रखा गया है जिस में युवा कवि अविनाश मिश्र, अनिल कार्की, सुभाष तरान, अंजुम शर्मा और संजय शेफर्ड कविता पढेंगे, वहीं श्री ललित मोहन थपलियाल द्वारा लिखित नाटक खाडू लापता का डिजिटल मंचन भी किया जायेगा. संतोष रावत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘पाताल ती’ की भी प्राइवेट स्क्रीनिंग इस महोत्सव में की जाएगी. यह फिल्म देश-विदेश में चर्चित रही है. इन सब के साथ ही स्थानीय टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए श्री कार्तिक स्वामी मंदिर का एक ट्रेक भी रखा गया है।
हमारा गाँव-घर फाउंडेशन कुछ युवाओं का स्वप्न है परन्तु जब यह गाँव के हज़ारों बच्चों और युवाओं का स्वप्न बन जायेगा तब यह सफल हो जायेगा. सफलता स्वयं को स्वयं ही परिभाषित करती है. इस गाँव की परिभाषा भी इस की सफलता के ही हाथों में छोड़ देते हैं. जो भी हो उत्तराखंड का यह पहला पुस्तकालय गाँव बसंत पंचमी से अपने पाठकों के स्वागत के लिए तैयार होगा।
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उत्तराखंड का पहला पुस्तकालय गाँव विकसित करने में जुटे चार युवा, रुद्रप्रयाग ज़िले के मणिगुह गाँव में बसंत पंचमी पर होगा औपचारिक उद्घाटन…
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