हरीश गुसाई। अगस्त्यमुनि। दस्तक पहाड न्यूज ब्यूरो। धार्मिक अनुष्ठान एवं विधि विधान से अगस्त्यमुनि ब्लाॅक के दूरस्थ गांव मणिगुह में बसन्त पंचमी के शुभ दिन पर मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना के साथ गांव घर फाउण्डेशन द्वारा संचालित उत्तराखण्ड के पहले पुस्तकालय गांव का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर हुए भव्य कार्यक्रम में स्थानीय विद्यालयों के छात्र छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

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राजधानी दिल्ली सहित दूर दूर से आये अतिथियों एवं बड़ी संख्या में मौजूद स्थानीय ग्रामीणों की उपस्थिति में बतौर मुख्य अतिथि रूद्रप्रयाग एवं चमोली जनपद के जाने माने पत्रकार रमेश पहाड़ी ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में ज्ञानोपार्जन का सबसे सरल और सुगम साधन उपलब्ध कराना फाउण्डेशन की ग्रामीण विकास की सोच को दर्शाता है। क्योंकि पुस्तकालय ही वह स्थान है जहां से देश और समाज की उन्नति के द्वारा खुलते है। हमारे धन और श्रम की बचत करते हैं। हमारी कठिनाइयों को दूर करते हैं। हमको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं और हमारे मस्तिष्क को ज्ञान-विज्ञान से पूर्ण करते हैं। पुस्तकालय में ही छात्र मानवीय ज्ञान तथा अनुभवों की निधि प्राप्त करता है और यह नवीन ज्ञान की खोज का केंद्र होता है। इस दूरस्थ क्षेत्र में, जहां आवश्यक मूलभूत सुविधायें उपलब्ध न हों, फाउण्डेशन द्वारा पुस्तकालय गांव की स्थापना करना इस क्षेत्र के न केवल युवाओं अपितु हर वर्ग के ग्रामीणों के लिए एक वरदान है। गांव घर फाउण्डेशन की संस्थापक श्रीमती बीना नेगी मिश्र ने कहा कि पहाड़ से रोजगार के लिए बड़े स्तर पर पलायन हुआ। जिसकी पीड़ा हर पहाड़ी को है। मेरे पिता ने भी रोजगार के लिए छोटी उम्र में पलायन किया था। वे जीवन भर अपने गांव को नहीं भूल पाये, उनका सपना था कि वे वापस अपने गांव जरूर लौटेंगे। लेकिन जीवन की भागदौड़ में वे जीते जी नहीं लौट पाये। बीना ने भावुक होते हुए बताया कि मैने उनके आंखों में एक सपना देखा था। उसी सपने को पूरा करने के लिए वे गांव लौटी हैं और थीम गांव के जरिए गांवो का चंहुमुखी विकास की रूपरेखा बनाई है। जिसका प्रथम चरण पुस्तकालय गांव की स्थापना है जो आज साकार हो रहा है। अभी तक हम इस पुस्तकालय में सात हजारसे अधिक किताबें जोड़ चुके हैं। फाउण्डेशन के संस्थापक सदस्य एवं बीना के पति सुमन मिश्र ने कहा कि गांव घर फाउण्डेशन का कार्य थीम गांव विकसित करना है। यह हमारा पहला थीम गांव है जिसको हम पुस्तकालय थीम पर विकसित करने जा रहे हैं। इसका मकसद है कि पुस्तकालय गांव के लोगांे के व्यक्तित्व का हिस्सा बनें। ग्रामीण परिवेश में लोगों को पुस्तकालय से जोड़ने के लिए हमने गांव में विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय मन्दिरों की स्थापना की है जिससे प्रत्येक ग्रामीण तक पुस्तकालय की पंहुच हो सके। और वे पुस्तकालय से दिल से जुड़ सकें। इसीलिए हमने इसका नाम पुस्तकालय गांव या पुस्तक तीर्थ का नाम दिया है। जब यह गांव पूरी तरह से स्वायत हो जायेगा तब हम दूसरे गांव की ओर रूख करेंगे। इन गांवों को आर्ट गांव, साइन्स गांव या अन्य थीम के साथ विकसित कर थीम गांव की एक श्रृंखला बनाई जायेगी और उनको आर्थिकी, ज्ञान तथा पर्यटन से जोड़ा जायेगा ताकि यहां के लोगों का रिवर्स पलायन हो सके। ग्रामीण परिवेश में लोगों को पुस्तकालय से जोड़ने के लिए हमने गांव में विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय मन्दिरों की स्थापना की है जिससे प्रत्येक ग्रामीण तक पुस्तकालय की पंहुच हो सके। और वे पुस्तकालय से दिल से जुड़ सकें। इसीलिए हमने इसका नाम पुस्तकालय गांव या पुस्तक तीर्थ का नाम दिया है। फाउण्डेशन के सह संस्थापक आलोक सोनी ने आगन्तुक अतिथियों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन गोविन्द सिंह नेगी एवं धर्मवीर सिंह नेगी ने किया। इस अवसर पर प्रावि मणिगुह, स्यालडोभा, खाल्यूं तथा राइका मणिगुह के छात्र छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में समीक्षा अधिकारी भगवानसिंह, राइका मणिगुह के प्रधानाचाय्र शिवलाल आर्य, डाॅ पुरोहित, दिगम्बर गुसाईं, अंजू टम्टा, वचन सिंह रावत, प्रधान मणिगुह जोतसिंह रावत, क्षेपंस नीमा रावत, ममंद अध्यक्ष प्रमिला रावत, पूर्व प्रधान माणिक लाल, प्रमोद नेगी, पूर्व क्षेपंस सत्यपाल नेगी, घर गांव फाउण्डेशन के राहुल रावत, महेश नेगी, कस्तूरी, श्रीश डोभाल, गजेन्द्र रौतेला, प्रकाश नेगी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।