तीन वर्षों से बिहारी मजदूरों के कब्जे में अगस्त्यमुनि लोनिवि भवन, विभाग बेख़बर
1 min read01/02/2023 9:07 pm
हरीश गुसाई । अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज ब्यूरो। अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में लोनिवि रूद्रप्रयाग के भवन पर तीन वर्षों से बिहारी मजदूरों के कब्जे का हैरत अंगेज मामला सामने आया है। वे मजदूर न केवल वहां रह रहे हैं बल्कि वहां उनका स्टोर भी बनाया हुआ है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का नमूना है कि उन्हें इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है। जबकि वहां रह रहे बिहारी मजदूरों का कहना है कि उन्हें यहां रहने के लिए एक विभागीय अधिकारी ने ही कहा है। जबकि विभागीय अधिकारी दो वर्ष पूर्व ही सेवा निवृत हो चुका है। वहीं अब लोनिवि के अधिशासी अभियन्ता अवैध कब्जे को हटाने की बात कर रहे है। मामला अगस्त्यमुनि में मुख्य बाजार में राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 50 मी दूर ब्लाॅक रोड पर केन्द्रीय विद्यालय से सटे लोनिवि के एक बहुत पुराने भवन का है। जो पूर्व में विभाग का विश्राम गृह था। उत्तराखण्ड बनने के बाद इस भवन को लोनिवि के एक अवर अभियन्ता ने अपना आवास बनाया। तथा लम्बे समय तक उनका आवास रहा। उनके स्थानान्तरण के बाद विभाग के सुपरवाइजर वीरेन्द्र सिंह कुंवर इस भवन में रहने लगे। अभी दो वर्ष पूर्व वे सेवा निवृत हो चुके है। लेकिन सेवा निवृत होने से पूर्व उन्होेनें उस भवन में बिहारी मजदूरों को टिका दिया। वहां रह रहे मजदूरों की माने तो वीरेन्द्र कुंवर ने उन्हें वहां चैकीदारी करने के लिए रखा है। यहां यह सोचने वाली बात है कि एक ओर तो कई विभागों को अपने कार्यालयों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है वहीं लोनिवि अपनी भूमि की देखरेख करना तो दूर उस पर हुए कब्जे से भी बेखबर है। जबकि यह भवन मुख्य बाजार में है तथा इसकी बड़ी अहमियत है। पूर्व में केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य विजय नैथानी ने कक्षा कक्षों की कमी देखते हुए जिलाधिकारी से इस भवन को विद्यालय के लिए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। परन्तु तब विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट इन्कार कर दिया था। जिसके कुछ समय बाद ही इस भवन पर बिहारी मजदूरों का कब्जा हो गया। इस सम्बन्ध में लोनिवि के अधिशासी अभियन्ता जीत सिंह रावत से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस जीर्ण शीर्ण भवन को फिर से विश्राम गृह बनाने की योजना बनी हुई है। परन्तु बजट की कमी के कारण योजना क्रियान्वित नहीं हो पा रही है। इस बार फिर से जिला प्लान में इस हेतु योजना रखी गई है। जहां तक कब्जे की बात है तो पूर्व में ऐसा हुआ था तब वहां से कब्जा हटा दिया गया था। यदि फिर से वहां मजदूरों ने कब्जा किया है तो शीघ्र ही उनके खिलाफ कार्यवाही करते हुए कब्जा हटाया जायेगा।
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तीन वर्षों से बिहारी मजदूरों के कब्जे में अगस्त्यमुनि लोनिवि भवन, विभाग बेख़बर
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