दस्तक पहाड न्यूज । रुद्रप्रयाग  जनपद रूद्रप्रयाग भ्रमण पर पहुँचे पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गोट वैली प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है, जिससे कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की रोकथाम के लिए इस योजना के लिए पांच जिले चयनित किए गए हैं जिसमें प्रथम बागेश्वर एवं रुद्रप्रयाग से योजना को शुरू किया गया है।

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उन्होंने सभी को निर्देश दिए हैं कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी अधिकारी धरातल पर कार्य करते हुए जिन गरीब व्यक्तियों के पास बकरियां उपलब्ध नहीं हैं उनको भी इस योजना में शामिल करने के निर्देश दिए। इसके लिए योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए उच्च अधिकारियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में गोष्ठियों का आयोजन करते हुए संबंधित क्षेत्र के विधायक एवं जिला पंचायत अध्यक्ष को भी आमंत्रित करते हुए योजनाओं का व्यापक ढंग से प्रचारित-प्रसारित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों इस योजना से लाभान्वित करते हुए पहाड़ से हो रहे पलायन पर रोक लगाई जा सके। कोरोना महामारी के बाद से ग्लोबल मार्केट में हाई क्लोरिन और कैल्शियम युक्त बकरी के दूध (Goat milk with high chlorine and calcium) (गोट मिल्क) की भारी डिमांड देखी जा रही है. पिछले साल गोट मिल्क का $8,672.9 मिलियन का ग्लोबल मार्केट रहा. जबकि 2030 तक गोट मिल्क का ग्लोबल बाजार $13,217.2 मिलियन तक जाने की उम्मीद है. इन्हीं कारणों से पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गोट वैली कॉन्सेप्ट की परिकल्पना की है. ताकि ग्लोबल बाजार से सीधे उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा जा सके। पशुपालन विभाग, कृषि विभाग सहित कई विभागों की योजनाओं को इंटीग्रेट कर जैव विविधता वाले उत्तराखंड के 13 जिलों की 13 घाटियों में 25 से 30 किलोमीटर के रेडियस में ग्रामीणों को बकरी पालन से जोड़ने की योजना है. जिसको लेकर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गोट मिल्क और गोट चीज के ग्लोबल मार्केट में सीधे एंट्री करने का प्लान बनाया है. ‘गोट वैली’ नाम से शुरू की गई इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा सीट चंपावत से कर दी गई है। क्या है गोट वैली योजना: ‘गोट वैली’ योजना के तहत पहले चरण में 13 जिलों की 13 घाटियां तलाशी जा रही हैं, जहां पर पशुपालन, खास तौर से बकरी पालन के लिए अनुकूल माहौल हो. इन घाटियों में चारा पत्ती के साथ ही लोगों की उपलब्धता होनी चाहिए. खास तौर से इस क्षेत्र में महिलाओं को स्वावलंबन से जोड़ने की संभावनाएं हों, वहां पर बकरी पालन का एक इंटीग्रेटेड हब स्थापित किया जाएगा. इस पूरी वैली में 25 से 30 किलोमीटर की घाटी में 100 महिलाओं को बकरियां उपलब्ध करवायी जायेंगी. ग्रामीण महिलाओं को आसानी से बकरी उपलब्ध हों या वह आसानी से बकरी खरीद पाएं, इसके लिए पशुपालन, कृषि विभाग और सहकारिता विभाग की कई योजनाओं को इंटीग्रेट किया गया है। गोट मिल्क प्रॉडक्ट के बाजार में उछाल: कोविड-19 महामारी के बाद बाजार में गोट मिल्क और गोट मिल्क से बनने वाले सभी प्रोडक्ट की भारी डिमांड देखने को मिल रही है. वर्ष 2021 में गोट मिल्क प्रोडक्ट का मार्केट $8,672.9 मिलियन का था. विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2030 में गोट मिल्क से $13,217.2 मिलियन के राजस्व का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में गोट वैली योजना धरातल पर उतरती है तो इसका आउटपुट काफी बेहतर देखने को मिलेगा। बकरी के दूध की विशेषताएं: बकरी के दूध में पाई जाने वाली विशेष क्वालिटी की वजह से बाजार में गोट मिल्क या फिर गोट मिल्क से बनने वाले चीज और पनीर की काफी डिमांड है. इंसान के दूध के बाद सबसे समान संरचना वाला बकरी का दूध ही होता है. बकरी के दूध में हाई क्लोरीन और कैल्शियम होता है. वहीं, यह दूध इम्यूनिटी के लिए भी सबसे बेहतर माना जाता है. खासतौर से डेंगू बीमारी के इलाज के लिए बकरी का दूध एक रामबाण की तरह काम करता है।