दीपक बेंजवाल। अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड न्यूज-उत्तराखंड में बच्चों के बालपर्व फूलदेई को लेकर मण्डलीय अपर निदेशक, मा०शि० गढ़वाल मण्डल, महावीर सिंह बिष्ट ने गढ़वाल मण्डल के समस्त राजकीय, अशासकीय, सहायता प्राप्त, निजी शिक्षण संस्थान के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापकों को पत्र जारी कर पूर्व वर्ष की भांति इस वर्ष भी " फूलदेई पर्व" मानने के निर्देश दिए है।

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बता दें की उत्तराखण्ड में " फूलदेई पर्व " मनाया जाता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा पर्व है कि जो पूर्णतः बच्चो को समर्पित है। इसी कारण उत्तराखण्ड के इस प्रसिद्ध पर्व को "लोक पर्व फूलदेई" को बाल पर्व भी कहते है। उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों की मान्यताओं के अनुसार इसे कहीं 8 दिन, तो कहीं 15 दिन और कुछ क्षेत्रो में पूरे महीने मनाया जाता है। इस दौरान बच्चे घर - घर की देहरियों पर हर सुबह फूल डालकर वसन्त का स्वागत कर सभी की खुशहाली की कामना करते है। इस वर्ष 15 मार्च को चैत्र संकान्ति के साथ ही इस पर्व का शुभारम्भ किया जाना है। मण्डल निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने लोक संस्कृति से जुड़ी कई समृद्ध परम्परायें व पर्वों की उपेक्षा के चलते विलुप्ति के कगार पर पहुंचने का जिक्र करते हुए सभी से फूलदेई पर्व पर विद्यालय स्तर पर निबन्ध, पेन्टिंग, भाषण, जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित करने का आवाहन किया है ताकि नई पीढी को अपनी जड़ों से जोड़ा जा सके। फूलदेई जिसे कि फूल संक्रान्ति / फूल संग्राद भी कहा जाता है, यहां का प्रमुख पर्व होने के साथ प्रकृति से सीधे संबंधित है, चैत्र माह की संक्राति अर्थात पहले दिन से ही बसंत आगमन की खुशी में फूलों का मनाये जाने वाला वसंत के आगमन और उसके स्वागत का प्रतीक भी है। मण्डल निदेशक द्वारा जारी पत्र में विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र - छात्राओं की इसमें सहभागिता व्यापक रूप से करने हेतु आयोजन समिति द्वारा विभिन्न गतिविधियों को प्रस्तावित किया गया है। इसमें बुधवार 15 मार्च 2023 को प्रातः 6 बजे से नगर में प्रभात फेरी और भ्रमण (विद्यालय अपनी सुविधानुसार घोघा माता की डोली तैयार करवा कर बच्चो का सहभाग इसमें सुनिश्चित कर सकते हैं प्रतिभाग करने वाले बच्चों की पारम्परिक परिधान और पोशाकों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किये जाने की अपेक्षा है ।) विद्यालय अपने स्तर से फूलदेई पर्व की थीम पर केन्द्रित ड्रांइग / पेंटिंग और विषय से संबंधित लेख जैसी गतिविधि का आयोजन कर सकते हैं। उक्तांनुसार विद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि विद्यालयों में अध्ययरत छात्र-छात्राओं को के प्राचीन इतिहास से अवगत कराते हुये इस पर्व को सफलतापूर्वक एवं पूर्ण हर्षोल्लास से मनाये जाने हेतु अपने स्तर से आवश्यक कार्यवाही करना /करवाना सुनिश्चित करें। ताकि उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति से जुडे " फूलदेई पर्व " को विलुप्त होने से बचाया जा सके । बता दें कि दस्तक पत्रिका परिवार द्वारा वर्ष 2010 से अगस्त्यमुनि में फूलदेई महोत्सव व घोघा जातरा का आयोजन करता आ रहा है। विगत वर्ष मण्डल निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने बतौर मुख्य अतिथि अगस्त्यमुनि पहुंचकर दस्तक की इस पहल का उत्साहवर्धन करते हुए उल्लेखनीय पहल बताया। उन्होंने इस लोकपर्व को संपूर्ण गढ़वाल मण्डल में मनाए जाने को लेकर बकायदा आदेश जारी किए और इस बार भी समस्त विद्यालयों को व्यापकता से फूलदेई मनाने को कहा है। उनकी इस अनूठी पहल से राज्यभर के लोक संस्कृतिप्रेमियों और फुलारी बच्चों में उत्साह छाया है। दस्तक संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार हरीश गुंसाई ने मंडल निदेशक महावीर सिंह बिष्ट की उत्साही पहल को उत्तराखंड की लोक संस्कृति के लिए मील का पत्थर बताते हुए स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष मंडल निदेशक द्वारा सभी विद्यालयों को बच्चों के एकमात्र लोकपर्व फूलदेई मनाए जाने को लेकर आदेश दिए थे जिसके बाद बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों ने इसमें प्रतिभाग किया था। उनकी अनूठी पहल ने विलुप्त होते बाल लोकपर्व को उत्साह दे दिया है।