पहाड़ के प्रख्यात संस्कृतिकर्मी प्रो. दाता राम पुरोहित को राष्ट्रपति ने किया संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
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23/02/202310:12 pm
दीपक बेंजवाल। रुद्रप्रयाग
दस्तक पहाड न्यूज- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार 23 फरवरी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में देशभर से चयनित प्रख्यात संगीतकारों, नर्तकों, लोक एवं आदिवासी कलाकारों और रंगकर्मियों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2019, 2020, 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। इसी कड़ी में श्रीनगर गढ़वाल से प्रख्यात संस्कृतिकर्मी और शिक्षाविद प्रो दाता राम पुरोहित को भी सम्मानित किया गया है।
उत्तराखंडी लोकसंस्कृति, लोकसमाज के लिए प्रो दाता राम पुरोहित का सम्मानित होना बेहद गौरवान्वित होने वाला क्षण है। मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के क्वीली गाँव निवासी प्रो दाताराम पुरोहित ने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं उसके कलाकारों के संवर्धन के लिए समर्पित किया है। उन्होंने ढोल सागर, पंडवाणी, भड़वार्ता, जागर, रम्माण और बुढ़देवा जैसे लोक नाट्यों को ठेठ पहाड़ से उतारकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया। उन्होंने पहाड़ की कंदराओं से खोज खोज कर विलुप्त होते जा रहे नंदा के गीत, मुनि महाराज के जागर और बादी बदीणों के गीतों पर भी शोध कर उनके अकादमिक प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई है, चक्रव्यूह और कमलव्यूह के भी वे विशेषज्ञ हैं। सबसे महत्वपूर्ण वो अपने शोध को सिर्फ किताबों, जर्नलों का हिस्साभर नहीं बनाते रहे बल्कि नई पीढ़ी को सौंपने, सिखाने में भी उन्होंने महारत हासिल की है। श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र की अवधारणा एवं उसे मूर्त रूप देने का श्रेय भी प्रो डीआर पुरोहित को जाता है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर होने के बावजूद गढ़वाली में बातें करने की कला सभी को मोहित कर देती है। यही कारण है कि उत्तराखंड की लोक विधाओं कला संस्कृति जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है और उनका गहन अध्ययन निरंतर चलता रहा है। इसी कारण दुनियाभर की तमाम यूनिवर्सिटियों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया। प्रो पुरोहित अभी भी उत्तराखंड में लोक नाट्य कलाओं की जड़े सींचने के लिए निरंतर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्यों, लेखन, निर्देशन एवं नए कलाकारों के मार्गदर्शन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
लोकसंस्कृति पर किए गए अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को रेखांकित करते हुए भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने विज्ञान भवन नई दिल्ली में प्रोफेसर दाताराम पुरोहित को साल 2021 का संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्रदान किया। बता दें कि, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भारत में प्रदर्शन कला वर्ग में दिए जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है। प्रो डी आर पुरोहित के अलावा शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्र, लोक गायिका तीजन बाई, भजन गायक अनूप जलोटा समेत देश के कई प्रतिष्ठित कलाकारों को भी सम्मानित किया। अकादमी फेलो के सम्मान में तीन लाख की पुरस्कार राशि, एक ताम्रपत्र के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है। इस दौरान केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्व विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और संगीत नाटक अकादेमी की चेयरपर्सन डॉ संध्या पुरेचा भी उपस्थित रहे।
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दस्तक पहाड न्यूज- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार 23 फरवरी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में देशभर से चयनित प्रख्यात संगीतकारों, नर्तकों, लोक एवं
आदिवासी कलाकारों और रंगकर्मियों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2019, 2020, 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। इसी कड़ी में श्रीनगर
गढ़वाल से प्रख्यात संस्कृतिकर्मी और शिक्षाविद प्रो दाता राम पुरोहित को भी सम्मानित किया गया है।
उत्तराखंडी लोकसंस्कृति, लोकसमाज के लिए प्रो दाता राम पुरोहित का सम्मानित होना बेहद गौरवान्वित होने वाला क्षण है। मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के क्वीली
गाँव निवासी प्रो दाताराम पुरोहित ने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं उसके कलाकारों के संवर्धन के लिए समर्पित किया है। उन्होंने ढोल सागर,
पंडवाणी, भड़वार्ता, जागर, रम्माण और बुढ़देवा जैसे लोक नाट्यों को ठेठ पहाड़ से उतारकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया। उन्होंने पहाड़ की
कंदराओं से खोज खोज कर विलुप्त होते जा रहे नंदा के गीत, मुनि महाराज के जागर और बादी बदीणों के गीतों पर भी शोध कर उनके अकादमिक प्रचार प्रसार में अहम भूमिका
निभाई है, चक्रव्यूह और कमलव्यूह के भी वे विशेषज्ञ हैं। सबसे महत्वपूर्ण वो अपने शोध को सिर्फ किताबों, जर्नलों का हिस्साभर नहीं बनाते रहे बल्कि नई पीढ़ी
को सौंपने, सिखाने में भी उन्होंने महारत हासिल की है। श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन
केंद्र की अवधारणा एवं उसे मूर्त रूप देने का श्रेय भी प्रो डीआर पुरोहित को जाता है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर होने के बावजूद गढ़वाली में बातें करने की कला सभी को मोहित कर देती है। यही कारण है कि उत्तराखंड की
लोक विधाओं कला संस्कृति जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है और उनका गहन अध्ययन निरंतर चलता रहा है। इसी कारण दुनियाभर की तमाम यूनिवर्सिटियों,
विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया। प्रो पुरोहित अभी भी उत्तराखंड में लोक नाट्य कलाओं की जड़े सींचने के लिए
निरंतर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्यों, लेखन, निर्देशन एवं नए कलाकारों के मार्गदर्शन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
लोकसंस्कृति पर किए गए अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को रेखांकित करते हुए भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने विज्ञान भवन नई दिल्ली में प्रोफेसर
दाताराम पुरोहित को साल 2021 का संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्रदान किया। बता दें कि, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भारत में प्रदर्शन कला वर्ग में दिए जाने वाला
सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है। प्रो डी आर पुरोहित के अलावा शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्र, लोक गायिका तीजन बाई, भजन गायक अनूप जलोटा समेत देश के
कई प्रतिष्ठित कलाकारों को भी सम्मानित किया। अकादमी फेलो के सम्मान में तीन लाख की पुरस्कार राशि, एक ताम्रपत्र के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाती
है। इस दौरान केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्व विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और संगीत नाटक अकादेमी की
चेयरपर्सन डॉ संध्या पुरेचा भी उपस्थित रहे।