चंद्रशेखर महादेव गिंवाला सौड़ी का निर्माण पूर्ण होने पर भक्तों ने निकाली जलयात्रा
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02/03/20235:52 pm
अनसूया प्रसाद मलासी । अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज- रुद्रप्रयाग जनपद के गिंवाला-सौड़ी (अगस्त्यमुनि) में पवित्र मंदाकिनी नदी के पावन तट पर जन सहयोग से श्री चंद्रशेखर महादेव मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। आज मंदाकिनी नदी से मंदिर तक भव्य जल कलश यात्रा निकाली गई जिसमें गिंवाला, सौडी़, गबनीगांव, हाट, बुटोल गांव, बनियाडी़, अगस्त्यमुनि, तलसारी व आसपास क्षेत्रों की सैकड़ों महिलाओं ने भागीदारी की।आयोजन समिति के अनुसार शिवालय में शिवलिंग, जलेरी, नंदी, गणेश, बजरंगबली, कलश, घंटा, त्रिशूल, नाग, शनिदेव व अन्य धार्मिक प्रतीक चिन्ह स्थापना का कार्यक्रम निश्चित हुआ है।
आज बृहस्पतिवार की सुबह 8:00 बजे से भव्य जल कलश यात्रा शुरू हुई। उसके बाद पाठ-पूजा व प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम व प्रतिदिन सायंकालीन आरती होगी। 4 मार्च (शनिवार) को यज्ञ, पूर्णाहुति और वृहद भंडारा कार्यक्रम में पूरे क्षेत्र के लोग उत्साहपूर्वक अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
गिंवाला गाँव की धरती पर सुंदर प्राचीन शिव मंदिर था। वर्ष 2013 की आपदा में यह मंदिर बह गया था। इसके बाद भक्तजनों ने यहीं सुरक्षित स्थान पर शिव मंदिर स्थापित करने का निर्णय लिया।
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चंद्रशेखर महादेव गिंवाला सौड़ी का निर्माण पूर्ण होने पर भक्तों ने निकाली जलयात्रा
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अनसूया प्रसाद मलासी । अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज- रुद्रप्रयाग जनपद के गिंवाला-सौड़ी (अगस्त्यमुनि) में पवित्र मंदाकिनी नदी के पावन तट पर जन सहयोग से श्री चंद्रशेखर महादेव मंदिर निर्माण
का कार्य पूरा हो गया है। आज मंदाकिनी नदी से मंदिर तक भव्य जल कलश यात्रा निकाली गई जिसमें गिंवाला, सौडी़, गबनीगांव, हाट, बुटोल गांव, बनियाडी़, अगस्त्यमुनि,
तलसारी व आसपास क्षेत्रों की सैकड़ों महिलाओं ने भागीदारी की।आयोजन समिति के अनुसार शिवालय में शिवलिंग, जलेरी, नंदी, गणेश, बजरंगबली, कलश, घंटा, त्रिशूल, नाग,
शनिदेव व अन्य धार्मिक प्रतीक चिन्ह स्थापना का कार्यक्रम निश्चित हुआ है।
आज बृहस्पतिवार की सुबह 8:00 बजे से भव्य जल कलश यात्रा शुरू हुई। उसके बाद पाठ-पूजा व प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम व प्रतिदिन सायंकालीन आरती होगी। 4 मार्च
(शनिवार) को यज्ञ, पूर्णाहुति और वृहद भंडारा कार्यक्रम में पूरे क्षेत्र के लोग उत्साहपूर्वक अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
गिंवाला गाँव की धरती पर सुंदर प्राचीन शिव मंदिर था। वर्ष 2013 की आपदा में यह मंदिर बह गया था। इसके बाद भक्तजनों ने यहीं सुरक्षित स्थान पर शिव मंदिर स्थापित
करने का निर्णय लिया।