होलिका के लिए न्यूता गया मोळ का वृक्ष, चीर बाँधकर हुई होलिका श्री अगस्त्य मन्दिर प्रांगण में स्थापित
1 min read04/03/2023 10:05 pm
दीपक बेंजवाल। अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज-
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पहाड़ में होली की चीर ( झण्डी) को जंगल से पारंपरिक गाजे-बाजों के साथ लाकर विशेष पूजन के लिए मंदिरों के प्रागंण में स्थापित किया जाता है। अगस्त्यमुनि नगर पंचायत स्थित नाकोट गाँव से होल्यारों की टीम ने पुरानादेवल से मोळ के वृक्ष से होरी की चीर को आमंत्रित कर आज विधिवत पूज अर्चना कर भाणा ( घंटी) को बजाते हुए श्री अगस्त्य मन्दिर प्रांगण में स्थापित किया। इससे पूर्व नाकोट गाँव के पदान भरत सिंह द्वारा होलिका देवी की पूजा कर वृक्ष से होरी चीर ले जाने की आज्ञा माँगी गई। इसके पश्चात नाकोट गाँव के युवा सुशील गोस्वामी, अखिलेश गोस्वामी, अजय अग्रवाल, गौरव रावत, अभिषेक अग्रवाल, महावीर नेगी, विपिन रावत, नितिन रावत ने होलिका झण्डी को गीत गाते हुए नगर भ्रमण के बाद विधि विधान से मंदिर में स्थापित कर दिया। इस अवसर पर नगर क्षेत्र के सुप्रसिद्ध व्यवसायी हरि सिंह खत्री ने होलिका झंडी की आरती उतार कर पूजा अर्चना संपन्न की। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुशील गोस्वामी ने बताया कि 7 मार्च को होलिका दहन का आयोजन किया जाएगा।
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बता दें कि इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 06 मार्च, सोमवार, सायं 04:16 मिनट से हो रहा है जो 07 मार्च, मंगलवार, सायं 06:08 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार पर फाल्गुन पूर्णिमा का स्नान, दान और होलिका दहन भी 07 मार्च को ही होगा।
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