दीपक बेंजवाल। अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड न्यूज- कहते हैं कि अगर आप ठान लें, तो दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। इसी तर्ज पर चलते हुए तमाम बालिकाएँ और महिलाएं चुपचाप नई इमारतें गढ़ने में लगी हैं। आज महिलाओं के लिए कोई भी फील्ड अछूता नहीं बचा है। हम जब भी कभी सफल महिला की बात करते हैं, तो हम बड़े-बड़े महिला लीडर्स इत्यादि को गिनते है, जो बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं और आज वे उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। ऐसे ही कुछ बालिकाएँ एवं महिलायें उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में भी हैं

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जो की विभिन्न क्षेत्रों में अव्वल कार्य कर रही हैं और अपने कार्यों से सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हैं। उनके इन उल्लेखनीय प्रयासों के लिए सेवा इंटरनेशनल, उत्तराखंड फ्यूंली कौथिग के अवसर पर इन्हें 26 मार्च, 2023 को अगस्त्यमनि में सम्मानित करने जा रही है। ग्राम मक्कुमठ, जिला रुद्रप्रयाग के सीमांत क्षेत्र से कुमारी चंद्रिका मैठाणी जो कि कक्षा 5 की छात्रा है और 11 साल की हैं जिनके पिता जी का नाम श्री आशीष चन्द्र मैठाणी और माता जी का नाम श्रीमती ममता मैठाणी हैं। वे अपने विकासखंड की पहली बालिका है जिसने आल इंडिया बेस लेवल पर सैनिक स्कूल का परीक्षा उत्तीर्ण की और अन्य बालिकाओं के लिए एक उदाहरण पेश किया है। ग्राम कंण्डारा दुबाडकु की श्रीमती पुष्पा देवी एक महिला उद्यमी हैं जो अपने परिवार को चलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और अपने क्षेत्र में एक अच्छे महिला कृषक के रूप में जानी जाती हैं। पुष्पा देवी ने सेवा इंटरनेशनल से 2018 में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जुड़ने के उपरांत जैविक कृषि प्रशिक्षण लेकर, सभी कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन से व्यावसायिक कृषि की शुरुआत की एवं अपने साथ समूह की महिलाओं को साथ लेकर सामूहिक खेती के लिए प्रेरित किया। पुष्पा देवी वर्तमान समय में सामूहिक खेती जैसी अनेक परियोजनाओं से जुड़कर व्यावसायिक रूप से मुख्यतः सब्जी उत्पादन का कार्य करती हैं, एवं साथ-साथ अन्य महिलाओं को जागरूक कर कृषि कार्य के माध्यम से उनकी आय वृद्धि में भी अपना योगदान देती हैं। आज पुष्पा देवी खुद तो महिला उद्यमी बनी लेकिन साथ ही अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी है। बीजा देवी ने अपने बुरे से बुरे सपने में भी ये नहीं सोचा था कि उन्हें जीवन में ये दिन भी देखना पड़ेगा। साल 2013 में अपने पति श्री रघुवीर सिंह जी को अचानक खोने के बाद उनके ऊपर पारिवारिक ज़िम्मेदारी आ पड़ी। अपने बेटे के भविष्य के लिए बीजा देवी जी को एक निर्णय लेना था या तो वह अपने दुःख के ऊपर ध्यान केंद्रित करती या फिर अपने आने वाले समय के लिए कार्य करती। बीजा देवी जी ने दूसरा विकल्प चुना। घर को संभालने के लिए सिलाई सीखने का निर्णय लिया और देहरादून जाकर सिलाई का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के उपरांत इनके द्वारा बासुकेदार में अपनी एक छोटी सिलाई की दुकान का कार्य आरम्भ किया परंतु दुकान का कार्य कुछ खास नहीं चला जिसके उपरांत 2015 में इन्होंने गुप्तकाशी में मंदिर मार्ग पर अपनी सिलाई की दुकान को खोलने का निर्णय लिया जिसमें इनके द्वारा प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के ट्रैक सूट बनाने का कार्य शुरू किया और धीरे-धीरे इनका कार्य अच्छा चलने लगा। आज बीजा देवी जी के पास एक बड़ी दुकान है जिसमें उनके द्वारा बनाए गए अनेकों साइज़ के ट्रैक सूट बेचने के लिए रखे गए हैं। वे अपने परिवार का पालन पोषण स्वयं कर रही हैं तथा अपने पुत्र की पढ़ाई इन्टर कॉलेज राo इo काo गुप्तकाशी से भी करा रही हैं। आज बीजा देवी एक सफल उद्यमी हैं। अनीता देवी जब पीछे मुड़ कर देखती हैं तो पाती हैं कि समस्या उसी समय बड़ी लगती है जब आप उससे जूझ रहे होते हो। छोटी अवस्था में शादी होना और 4 बच्चों का लालन पालन एक बड़ी चुनौती थी। खासकर तब जब आपके जीवन यापन का जरिया सिर्फ खेतीबाड़ी और पषुपालन हो। अनीता देवी ने एक पत्नी और एक माँ की भूमिका बहुत गरिमा से निभाई।  परिवार की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए अनीता देवी जी ने 2009 में गुप्तकाशी में एक छोटी दुकान खोलने का निर्णय लिया। घर की आर्थिक स्थिति मजबूत ना होने के कारण इन्हे सामान खरीदने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। 2016 में उनके द्वारा सेवा इंटरनेशनल के द्वारा गठित सेवा आस्मा स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का अवसर मिला और फिर समूह से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे ऋण लेना शुरू किया जिससे इनका व्यवसाय अच्छा चलने लगा। अपने व्यवसाय से हुई आमदनी से अनीता जी ने अपनी 2 लड़कियों की शादी की। आज अनीता देवी जी की काफी बड़ी दुकान है जिसमे महिलाओं से संबंधित सामान को रखा गया है तथा एक सफल उद्यमी है। उनके प्रयासों के लिए सेवा इंटरनेशनल, उत्तराखंड फ्यूंली कौथिग के अवसर पर इन्हें 26 मार्च, 2023 को सम्मानित कर रही है। अनीता देवी जी का जन्म ग्राम जामु में श्री पान सिंह माता श्रीमती संपत्ति देवी जी के घर में 1980 में हुआ था। साक्षी रावत बचपन से ही अपने गाँव रामपुर में अपनी बात प्रभावी ढंग से रखने के लिए जानी जाती है। उनके व्यक्तित्व का अहम पक्ष उनका आत्मविश्वास है।कोई उनसे पूछता कि बड़े होकर क्या बनना है तो साक्षी का एक ही जवाब होता- पुलिस ऑफिसर। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए साक्षी प्रयासरत है। वह स्कूल स्तर से विभिन्न क्षेत्र में प्रतिभाग करते हुए 2018-2019 में 400 मीटर के राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है। वर्तमान में साक्षी रावत कक्षा 9 अध्ययनरत है। साक्षी अपने सभी सहपाठियों के लिए प्रेरणा है। हम में से कई सोच सकते हैं कि भालू के हमले से बचने का सबसे अच्छा तरीका मृत खेलना है और अक्सर हम फिल्मों में देखते हैं: लोग जंगल में जब अचानक अपने आकार से दोगुने भालू के साथ आमने-सामने आते। कुछ चीखों के साथ जवाब देते हैं; अन्य विपरीत दिशा में भागने लगते हैं। लेकिन कविता देवी जी की त्वरित सोच ने सभी को दंग कर दिया। फरवरी 2023 को जब वे और उनकी सहेली जंगल में रोज की तरह घास काटने गये थे। घास काटते काटते कब भालू ने उन पर अटैक कर दिया पता ही नहीं चला और उनकी सहेली चिल्लाती रही पर भालू ने नहीं छोड़ा। कविता देवी ने साहस के साथ भालू को अपने घास काटने के औजार थमाली से सामना किया और मारने लगी, उनके शरीर में काफी चोटें आईं मगर कविता देवी ने पूरे साहस के साथ अपनी और अपनी सहेली की जान को बचाने में कामयाबी हासिल की। सीमा पर देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिक से लेकर देश को स्वच्छ रखने वाले व्यक्ति तक सभी में देशभक्ति की भावना समान है। इसका कोई पैमाना नहीं है, न ही इसे कहीं से सीखा गया है। यह हमेशा हमारे खून में है। ठीक वैसे ही जैसे रुद्रप्रयाग की इस बेटी प्रीति नेगी में हमेशा अपने शहीद पिता राजपाल सिंह जी की तरह देश का सम्मान बढ़ाने की भावना थी। प्रीति नेगी उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं, उनके पिता साल 2002 में आतंकवादियों से लड़ते हुए जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए थे। घटना के बाद पूरा परिवार कमजोर पड़ गया लेकिन प्रीति नेगी में खून तो एक बहादुर सिपाही का ही है, उन्होंने हार नहीं मानी। प्रीति ने अगस्त्य मुनि से शिक्षा हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही साल 2015 में स्टेट बॉक्सिंग में शामिल हुई और साल 2016 में पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स भी किया। उसके बाद उन्होंने कई चोटियों पर पर्वतारोहण किया। साल 2018 में पर्वतारोहण डीकेडी से 5670 मीटर तक की चढ़ाई की। प्रीति नेगी ने इसी जज्बे के बल पर अपने अंदाज में देश को गौरवान्वित किया है, दरअसल, प्रीति ने साइकिल से अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी को फतह कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस रिकॉर्ड के साथ उन्होंने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। प्रीति को साइकिल से अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराने में सिर्फ तीन दिन लगे। उन्होंने 18 दिसंबर को इस असंभव कार्य को संभव बना दिया। रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि चिल्ड्रन एकेडमी इंटर कॉलेज की नौंवी कक्षा की छात्रा अहिंसा रौतेला जिसका चयन राष्ट्रीय स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के लिए हुआ है। अहिंसा की इस सफलता से जहां उनके परिवार मे खुशी का माहौल है वही क्षेत्र मे भी खुशी की लहर है। बता दे कि अहिंसा 27 से 29 दिसंबर तक झारखंड के बोकारो में होने वाली प्रतियोगिता में प्रतिभाग लेंगी। वही इसके साथ ही अहिंसा का चयन अंडर-14 बालिका वर्ग बैडमिंटन प्रतियोगिता के लिए भी राष्ट्रीय स्तर के लिए हुआ है।अहिंसा के पिता स्वयंवर सिंह रौतेला होटल में कार्यरत हैं तथा माता विनीता रौतेला पीआरडी जवान हैं। बीते 26 से 28 नवंबर तक नैनीताल जिले के लालकुंआ में आयोजित राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में अहिंसा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। वही अब अहिंसा राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करेगी। एवं अल्मोड़ा में आयोजित प्रतियोगिता में छात्रा ने एकल वर्ग में सफलता हासिल कर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अपनी जगह बनाई। अहिंसा अपने सभी सहपाठियों के लिए प्रेरणा है। दीपा देवी जी 2018 से समुह से जुड़ी हैं जिसमें वे हर प्रकार के गतिविधियों व प्रशिक्षण में भागीदारी लेती रही हैं। उनमे सीखने की ललक हमेशा से रही लेकिन अवसर कम मिले। लेकिन उन्होंने प्रत्येक स्तर पर कार्य करने के लिए अवसर निकाले। उनकी सहायता से कई अन्य महिलायें भी आगे बढ़े हैं। उनसे काफी महिलायें प्रेरणा लेते हैं और आगे बढ़ने के लिए अवसर ढूंढते। दीपा देवी जी बहुत ही एक्टिव महिला हैं जिनमें नेतृत्व क्षमता कूट कूट कर भरी हुई है। वे एक प्रगतिशील किसान भी हैं, जिन्होंने कृषि में अपना उत्पादन बढ़ाया है, विभिन्न नए तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर वे आगे बढ़ने का मौका नहीं छोड़ते। एवं महिला मंगल दल में भी सक्रिय रूप से प्रतिभागिता रहती। हिमसंपदा कम्पनी हेतु उत्पादन एकत्रित करने में भी हमेशा सहयोग करती है।अपने गांव में नेतृत्व क्षमता के लिए ही प्रसिद्ध है।