अक्षित बड़थ्वाल । पौड़ी  इसमें कोई दो राय नहीं है कि पौड़ी की आबोहवा शराब पीने के लिए बहुत अनुकूल है। मौसम चाहे कोई भी हो शराब की खपत में कोई कमी नहीं होती। शहर के झाँझी भाइयों के

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भी शौक़ पूरे नवाबी हैं, बंद कमरों में शराब पीना नौजवानों को पसंद नहीं। खुले आसमान के नीचे हिमालय की ठंडी ठंडी हवा और मिलियन डॉलर व्यू के सामने आसपास की चारों दिशाओं में जाने वाली सड़कों से सटे जंगलों में बने ठिय्ये पिछले कई दशकों से नौजवानों के पिकनिक स्पॉट्स का काम कर रहे हैं। मुख्य सड़कों से क़रीब 20-30 मीटर अंदर जंगल की ओर अगर आप पगडंडियों को फॉलो करें तो आपको शराब की ख़ाली बोतलें, बियर के कैन्स, नमकीन और टेकअवे फ़ूड की पैकेजिंग, चिप्स के ख़ाली पैकेट्स वग़ैरह दिखने शुरू हो जाएँगे। ल्वाली रोड़, टेका रोड़, बुआखाल रोड़ में बने व्यू पॉइंट्स के आसपास भी आपको प्लास्टिक की बॉटल्स और रैपर्स इत्यादि प्रचुर मात्रा में मिलेंगे।इस प्रकार का कूड़ा पहले भी देखने को मिलता था, लेकिन आजकल स्थिति भयावह है। और चिंता की बात यह है कि यह कूड़ा किसी टूरिस्ट ने नहीं बल्कि स्थानीय निवासियों विशेषकर शराब के शौक़ीन नौजवानों ने फैलाया है।शायद इन नौजवानों को अंदाज़ा नहीं है कि वो प्रकृति जिसे कि हम धरती माँ कहते हैं को कितना दूषित और अपवित्र कर रहे हैं। यह कूड़ा एक आईसोर तो है ही साथ में स्थानीय ईकोसिस्टम पर भी बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है। अगर इसी प्रकार से कूड़ा फैलना जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं की बाँज बुरांस की शीतल हवा की जगह कूड़ा सड़ने की बास ले ले, और यह विषैला प्लास्टिक भविष्य में बाँज बुरांस के पनपने के लिये कोई स्कोप ही ना छोड़े।नौजवान साथियों अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ होगा जब आपने सोशल स्टडीज़ में मौलिक अधिकार और कर्तव्य पढ़े होंगे। अपने जल जंगल ज़मीन की सुरक्षा और अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान रखना भी आपका महत्वपूर्ण कर्तव्य है। देखिए यह भी सत्य है कि पिकनिकें चलती आ रही हैं और चलती रहेंगी लेकिन इस सब के बीच मेरा समस्त झाँझी भाइयों से विनम्र निवेदन है कि जब भी पिकनिक में जायें अजैविक कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था भी करें।एक एक्स्ट्रा बैग अपने पास रखें जिसमें ख़ाली बॉटल, ग्लास, प्लेट, पैकेट्स इत्यादि भरकर किसी सार्वजनिक कूड़ेदान में डाल दें। जैविक कूड़ा यानी कि बचा हुआ चकना इत्यादि तो सूक्ष्म जीव जंतु खा जाते हैं या कुछ समय में ये डीकंपोज़ हो जाता है लेकिन प्लास्टिक के कचरे के जंगलों में पड़े रहने के बहुत दूरगामी नकारात्मक परिणाम होते हैं। कुछ और नहीं तो बस ये सोच लो कि जिस पहाड़ की आबोहवा के मज़े तुमने लिये वो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बचे रहें।