ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ के रक्षपाल भुकूण्ड भैरव पूजा प्रारंभ, 21 अप्रैल को बाबा केदार का प्रस्थान
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20/04/20239:48 pm
दीपक बेंजवाल / ऊखीमठ
पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में बृहस्पतिवार शाम बाबा केदार के क्षेत्रपाल भैरवनाथ की पूजा के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शुक्रवार 21 अप्रैल को बाबा की पंचमुखी चल विग्रह भोग मूर्ति केदारनाथ के लिए रवाना होगी। और 25अप्रैल को समस्त श्रद्धालुओं के लिए बाबा केदारनाथ के कपाट दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।
बृहस्पतिवार को ऊखीमठ में भैरवनाथ की विशेष पूजा शुरू कर दी गईं। परंपरा के अनुसार ओंकोरश्वर मंदिर से बाबा केदार की उत्सव डोली रवाना होने की पूर्व संध्या पर बाबा भैरवनाथ की विशेष पूजा की जाती है। इस बार पूजा में केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग के सानिध्य में होगी। उनके साथ अन्य पुजारी और मंदिर समिति के वेदपाठी भी मौजूद रहे।
बाबा भैरवनाथ को संपूर्ण क्षेत्र का रक्षक और बाबा केदार का आगवानी वीर माना जाता है। परंपरा के अनुसार दूध, दही, घी, शहद व शक्कर से महाभिषेक होगा। इसके बाद फूलों से उनका भव्य की माला से भगवान का भव्य श्रृंगार किया जाएगा। गेहूं के आटे से बनी पूरी और दाल पकौड़ी की माला का भोग लगाने के बाद बाबा भैरवनाथ की अष्टादश आरती की जाएगी।
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ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ के रक्षपाल भुकूण्ड भैरव पूजा प्रारंभ, 21 अप्रैल को बाबा केदार का प्रस्थान
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दीपक बेंजवाल / ऊखीमठ
पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में बृहस्पतिवार शाम बाबा केदार के क्षेत्रपाल भैरवनाथ की पूजा के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया
शुरू हो जाएगी। शुक्रवार 21 अप्रैल को बाबा की पंचमुखी चल विग्रह भोग मूर्ति केदारनाथ के लिए रवाना होगी। और 25अप्रैल को समस्त श्रद्धालुओं के लिए बाबा
केदारनाथ के कपाट दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।
बृहस्पतिवार को ऊखीमठ में भैरवनाथ की विशेष पूजा शुरू कर दी गईं। परंपरा के अनुसार ओंकोरश्वर मंदिर से बाबा केदार की उत्सव डोली रवाना होने की पूर्व संध्या
पर बाबा भैरवनाथ की विशेष पूजा की जाती है। इस बार पूजा में केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग के सानिध्य में होगी। उनके साथ अन्य पुजारी और मंदिर समिति के
वेदपाठी भी मौजूद रहे।
बाबा भैरवनाथ को संपूर्ण क्षेत्र का रक्षक और बाबा केदार का आगवानी वीर माना जाता है। परंपरा के अनुसार दूध, दही, घी, शहद व शक्कर से महाभिषेक होगा। इसके बाद
फूलों से उनका भव्य की माला से भगवान का भव्य श्रृंगार किया जाएगा। गेहूं के आटे से बनी पूरी और दाल पकौड़ी की माला का भोग लगाने के बाद बाबा भैरवनाथ की अष्टादश
आरती की जाएगी।