दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड न्यूज- 'उत्तराखंड आन्दोलन में गधों की भूमिका' उत्तराखंड के निचंत पड़े हुक्मरानों को जगाने के लिए कालजयी पुस्तक भले ही चर्चा में रही लेकिन राज्य आंदोलन के बाद भी दशा दिशा कुछ खास नहीं बदली। सत्ता से लेकर शासन तक गधों की ऐसी लंबी फौज है जो पहाड़ के पलायन पर चिंता तो जताते है लेकिन धरातल पर काम करने पर कछुऐ को भी पीछे छोड़ देते है। शायद अब फिर कोई लेखक जनता की आवाज को 'गधों की भूमिका ' के साथ उजागर न कर दे। जी हाँ गधों की भूमिका इसलिए की जो गाँव

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चिल्ला चिल्लाकर सड़क की मांग करते करते बेहाल है उन पर 11 साल तक अधिकारी केवल सर्वे करते है। फिर कभी वनभूमि तो कभी पहाड कटान का बहाना थोपकर 4 किलोमीटर सड़क को फाइलों में ही अटका देते है। ये नियम बड़े बड़े बाँधों, पावर प्रोजेक्टों और मुनाफे वाली आलवेदर रोड़ो पर कभी लागू नही होते। गाँव की मांगों पर इन्हें हर नियम, पर्यावरण याद रहता है। विभाग की बहानेबाजी से अजीज आकर अब ग्रामीणों ने लोकसभा चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकासखंड के बाँजगड्डू गाँव के 80 परिवार लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे है। मात्र 4 किलोमीटर दूरी पर गाँव सड़क से जुड़ सकता है। दरअसल गणेशनगर सड़क मार्ग से 4 किमी का एक लिंक मार्ग गाँव तक पहुँच सकता था जिस पर 2012 से संबधित विभाग लगातार सर्वे पर सर्वे कर रहे है। हाल ही में 17 जनवरी 2023 को भी एक नया सर्वे हो चुका है, लेकिन विभाग अब भी स्वीकृती की बात कह कर ग्रामीणों को टरका रहे है। ग्रामीण ज्ञान सिंह, महावीर सिंह, गजे सिंह, जसदेई देवी, रेखा देवी का कहना है 2012 से कई सर्वे हो चुके है, सड़क कब आएगी। विभाग और सरकार अब हमारी मांग पर कार्यवाही नहीं करती तो 2024 के आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा। ग्रामीण कहते है समय के साथ सड़क अब जरूरत बन चुकी है, गाँव में रह रहे बुजुर्ग, बच्चे हर कोई सड़क न होने से परेशान है। रोज़मर्रा की जरूरते हो या दुख बीमारी सब परेशानीभरा है फिर भी हम गाँव को आबाद बनाए हुए है, समय रहते हमारी मांग सुनी जाए अन्यथा हमारा गाँव भी पलायन का दंश झेलने को मजबूर होगा। ग्रामीणों ने उत्तराखंड सरकार के साथ डीएफओ, केदारनाथ विधायक, डीएम रुद्रप्रयाग और लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर सड़क निर्माण की मांग पूरी होने की गुहार लगाई है।