देश के कुछ वकील हैं, जिन्हें लगता है कि उत्तराखंड में हेट स्पीच दी जा रही है। माननीय राज्यपाल साहब को चिट्ठी लिख रहे हैं कि उत्तराखंड में अप्रैल माह में ही चार हेट स्पीच के मामले हुए, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना हो रही है। बताओ, इतने नामी और ज्ञानी वकीलों को देश के अन्य मुद्दे समझ में नहीं आ रहे हैं। चले हैं, उत्तराखंड की सरकार पर सवाल उठाने।
पुलिस कितनी मित्र है, जरा अक्षय कुमार से तो पूछो? डीजीपी साहब ने अक्षय कुमार का क्या भव्य स्वागत किया जबकि वह अपनी पतलून को एक हिस्सा घुटने तक उठाए हुए था। कोई भी हीरो आए, सिलेब्रिटी आए, पुलिस उनका पूरा ध्यान रखती हैं। जौलीग्रांट से लेकर देहरादून तक पुलिस उनके लिए पलक-पांवड़े बिठाए रखती है। आप आएंगे तो मित्र पुलिस आपका भी स्वागत करेगी।
वकील साहबों की पूरी टीम कह रही है कि हेट स्पीच हो रही है, कोई कार्रवाई नहीं हो रही। क्यों नहंी हो रही है? धार्मिक स्थलों से अतिक्रमण हटाया जा रहा है। साधु-संतों को सम्मान देना तो हमारी संस्कृति है। इसलिए हर नेता तंत्र-मंत्र साधना में लगा है। तभी तो ईश्वरीय कृपा आती है कि हार जीत में बदल जाती है। लोगों का क्या है, लोगों का काम है कहना। भई, जब मंत्री की नौकरशाह तो छोड़ो, साधारण खेल अधिकारी भी नहीं सुन रहे तो जनता तो जनार्दन है। कुछ भी कहें। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है और धामी सरकार संविधान की पूरी हिफाजत कर रही है।
आज धर्म खतरे में है। औरंगजेब के बाद यही समय है जब हिन्दू सबसे अधिक खतरे में है। डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है। हिन्दू युवा सड़कों पर धर्म खतरे में है, चिल्ला रहा है और मौका मिलते ही बस स्टेंड, पार्क या कहीं भी ड्रीम इलेवन पर टीम बना रहा है। सोच रहा है कि नौकरी कर क्या करूंगा। नौकरी राजस्थानियों को दे देता हूं। जुआ खेल करोड़पति बनूंगा और धर्म की रक्षा करूंगा।
वकील साहब, आप कह रहे हैं कि स्कूल में ईद का नाटक पर बबाल क्यों? कहा न, धर्म खतरे में हैं। धर्म विशेष के लोगों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। ये हमारे लिए मुसीबत हैं। जबकि सुबह दूध-सब्जी, नाई-पलम्बर, मजदूर-मिस्त्री, पंक्चर लगाने वाला, बाइक ठीक करने वाला मैकनिक, चिकन-मटन, फिश के लिए हम इनका ही इंतजार करते हैं। ये काम हिन्दू नहीं करेगा, बेशक बेरोजगार रहेगा।
वकील साहब, उत्तराखंड साक्षरता के लिहाज से सबसे अधिक पढ़ा-लिखे लोंगों का प्रदेश है। यहां देशभक्ति की मिसाल देने वाले शूरवीर हैं। यहां के लोगों को सब समझ है। धर्म बचाने की मुहिम में जुटे हैं। रोटी मिले या न मिले, नौकरी मिले, न मिलें, इलाज मिले या न मिले, शिक्षा मिले या न मिलें। भले ही खाली होते हुए पहाड़ में चीन चढ़ जाएं, पर यहां धर्म विशेष के लोग नहीं पनपने चाहिए। धामी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। जब धर्म खतरे में है तो ऐसे समय में धामी सरकार कॉमन सिविल कोड ला रही है। आप लोग भी इस मुहिम में साथ दीजिए, यूं बेवजह शिकायत न कीजिए। हमें 2025 में देश का सबसे अग्रणी प्रदेश बनना है। उत्तराखंड में सब ALL IS WELL है।
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वकील साहब, कौन दे रहा हेट स्पीच, कहां है हेट स्पीच? आपको वहम हो रहा है, उत्तराखंड में सब ALL IS WELL है
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गुणानंद जखमोला / देहरादून
हम पहाड़ी हैं, कोदा-झंगोरा खा लेंगे, भूखे रह लेंगे, पर अपने नेता को कुछ न कहेंगे
देश के कुछ वकील हैं, जिन्हें लगता है कि उत्तराखंड में हेट स्पीच दी जा रही है। माननीय राज्यपाल साहब को चिट्ठी लिख रहे हैं कि उत्तराखंड में अप्रैल माह में
ही चार हेट स्पीच के मामले हुए, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना हो रही है। बताओ, इतने नामी और ज्ञानी वकीलों को देश
के अन्य मुद्दे समझ में नहीं आ रहे हैं। चले हैं, उत्तराखंड की सरकार पर सवाल उठाने।
पुलिस कितनी मित्र है, जरा अक्षय कुमार से तो पूछो? डीजीपी साहब ने अक्षय कुमार का क्या भव्य स्वागत किया जबकि वह अपनी पतलून को एक हिस्सा घुटने तक उठाए हुए था।
कोई भी हीरो आए, सिलेब्रिटी आए, पुलिस उनका पूरा ध्यान रखती हैं। जौलीग्रांट से लेकर देहरादून तक पुलिस उनके लिए पलक-पांवड़े बिठाए रखती है। आप आएंगे तो मित्र
पुलिस आपका भी स्वागत करेगी।
वकील साहबों की पूरी टीम कह रही है कि हेट स्पीच हो रही है, कोई कार्रवाई नहीं हो रही। क्यों नहंी हो रही है? धार्मिक स्थलों से अतिक्रमण हटाया जा रहा है।
साधु-संतों को सम्मान देना तो हमारी संस्कृति है। इसलिए हर नेता तंत्र-मंत्र साधना में लगा है। तभी तो ईश्वरीय कृपा आती है कि हार जीत में बदल जाती है। लोगों
का क्या है, लोगों का काम है कहना। भई, जब मंत्री की नौकरशाह तो छोड़ो, साधारण खेल अधिकारी भी नहीं सुन रहे तो जनता तो जनार्दन है। कुछ भी कहें। लोकतंत्र में
अभिव्यक्ति की आजादी है और धामी सरकार संविधान की पूरी हिफाजत कर रही है।
आज धर्म खतरे में है। औरंगजेब के बाद यही समय है जब हिन्दू सबसे अधिक खतरे में है। डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है। हिन्दू युवा सड़कों पर धर्म खतरे में है, चिल्ला
रहा है और मौका मिलते ही बस स्टेंड, पार्क या कहीं भी ड्रीम इलेवन पर टीम बना रहा है। सोच रहा है कि नौकरी कर क्या करूंगा। नौकरी राजस्थानियों को दे देता हूं।
जुआ खेल करोड़पति बनूंगा और धर्म की रक्षा करूंगा।
वकील साहब, आप कह रहे हैं कि स्कूल में ईद का नाटक पर बबाल क्यों? कहा न, धर्म खतरे में हैं। धर्म विशेष के लोगों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। ये हमारे लिए
मुसीबत हैं। जबकि सुबह दूध-सब्जी, नाई-पलम्बर, मजदूर-मिस्त्री, पंक्चर लगाने वाला, बाइक ठीक करने वाला मैकनिक, चिकन-मटन, फिश के लिए हम इनका ही इंतजार करते हैं।
ये काम हिन्दू नहीं करेगा, बेशक बेरोजगार रहेगा।
वकील साहब, उत्तराखंड साक्षरता के लिहाज से सबसे अधिक पढ़ा-लिखे लोंगों का प्रदेश है। यहां देशभक्ति की मिसाल देने वाले शूरवीर हैं। यहां के लोगों को सब समझ
है। धर्म बचाने की मुहिम में जुटे हैं। रोटी मिले या न मिले, नौकरी मिले, न मिलें, इलाज मिले या न मिले, शिक्षा मिले या न मिलें। भले ही खाली होते हुए पहाड़ में चीन
चढ़ जाएं, पर यहां धर्म विशेष के लोग नहीं पनपने चाहिए। धामी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। जब धर्म खतरे में है तो ऐसे समय में धामी सरकार कॉमन सिविल कोड ला
रही है। आप लोग भी इस मुहिम में साथ दीजिए, यूं बेवजह शिकायत न कीजिए। हमें 2025 में देश का सबसे अग्रणी प्रदेश बनना है। उत्तराखंड में सब ALL IS WELL है।