उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड में सख्त प्रावधान, उल्लंघन पर छीन लिए जाएंगे वोटिंग जैसे अधिकार
1 min read
21/06/202311:09 am
दस्तक पहाड न्यूज / अगस्त्यमुनि
उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर निर्णायक भूमिका में है। यूसीसी का मसौदा तय करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन रिटायर्ड जज रंजना प्रसाद देसाई की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने ढाई लाख से अधिक सुझाव पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी। समिति ने यूसीसी को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए उत्तराखंडवासियों, सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं संगठनों आदि से सुझाव मांगे थे। समिति ने ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित करने के लिए पोर्टल भी तैयार किया था। समिति ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विदेश के कुछ कानूनों का अध्ययन भी किया है।
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा। यह सिविल कोड में सभी धर्मों पर लागू होगा। इसमें सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने जिससे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक मसौदा तैयार किया जाएगा।
भाजपा की प्रदेश सरकार यूसीसी को लेकर जितना मुखर है उतनी ही चुप्पी राज्य में मज़बूत भू कानून और मूल निवास को लेकर है। लंबे समय से राज्य की जनता इन कानूनों की मांग करती आ रही है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति की पिछलग्गू प्रदेश सरकार राज्य के मौलिक अधिकारों को लेकर कोई भी कानून बनाने में मूढ में नही है। यूसीसी एक धर्म विशेष को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है, जिसमें आने वाले हर बदलाव पर धर्म विशेष का पक्ष रखा गया है। राज्य सरकार को पृथक राज्य की अवधारणा को देखते हुए पहले मज़बूत भू कानून और मूल निवास वकालत करनी चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण भी शामिल
उत्तराखंड में लागू होने जा रहे यूनिफार्म सिविल कोड में जनसंख्या नियंत्रण को भी शामिल किया गया है। समवर्ती सूची की एंट्री 20A के आधार पर इसे शामिल किया जा रहा है। इसमें जनसंख्या नियंत्रण के अलावा फैमिली प्लानिंग भी शामिल है। इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड में संसद में पेश किए गए Responsible Parenthood bill 2018 के तर्ज पर शामिल किया जाएगा ।
छीन लिए जाएंगे ये अधिकार
इस कानून के तहत जो प्रावधान सामने आए हैं, वो काफी सख्त हैं। इस बिल के तहत दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने वाले लोगों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा सरकारी सुविधाओं का अधिकार भी छीना जा सकता है। उत्तराखंड की तेजी से बदलती डेमोग्राफी को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।
देश और दुनिया सहित स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहे दस्तक पहाड़ से।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड में सख्त प्रावधान, उल्लंघन पर छीन लिए जाएंगे वोटिंग जैसे अधिकार
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
भारत में सशक्त मीडिया सेंटर व निष्पक्ष पत्रकारिता को समाज में स्थापित करना हमारे वेब मीडिया न्यूज़ चैनल का विशेष लक्ष्य है। खबरों के क्षेत्र में नई क्रांति लाने के साथ-साथ असहायों व जरूरतमंदों का भी सभी स्तरों पर मदद करना, उनको सामाजिक सुरक्षा देना भी हमारे उद्देश्यों की प्रमुख प्राथमिकताओं में मुख्य रूप से शामिल है। ताकि सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की संकल्पना को साकार किया जा सके।
दस्तक पहाड न्यूज / अगस्त्यमुनि
उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर निर्णायक भूमिका में है। यूसीसी का मसौदा तय करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन रिटायर्ड
जज रंजना प्रसाद देसाई की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने ढाई लाख से अधिक सुझाव पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव
के दौरान उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी। समिति ने यूसीसी को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए उत्तराखंडवासियों, सरकारी गैर
सरकारी संस्थाओं संगठनों आदि से सुझाव मांगे थे। समिति ने ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित करने के लिए पोर्टल भी तैयार किया था। समिति ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए
विदेश के कुछ कानूनों का अध्ययन भी किया है।
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा। यह सिविल कोड में सभी धर्मों पर लागू होगा। इसमें सभी नागरिकों के लिए
विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने जिससे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक मसौदा तैयार किया जाएगा।
हाशिये पर भूकानून और मूल निवास का मुद्दा
भाजपा की प्रदेश सरकार यूसीसी को लेकर जितना मुखर है उतनी ही चुप्पी राज्य में मज़बूत भू कानून और मूल निवास को लेकर है। लंबे समय से राज्य की जनता इन
कानूनों की मांग करती आ रही है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति की पिछलग्गू प्रदेश सरकार राज्य के मौलिक अधिकारों को लेकर कोई भी कानून बनाने में मूढ में नही है।
यूसीसी एक धर्म विशेष को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है, जिसमें आने वाले हर बदलाव पर धर्म विशेष का पक्ष रखा गया है। राज्य सरकार को पृथक राज्य की अवधारणा को
देखते हुए पहले मज़बूत भू कानून और मूल निवास वकालत करनी चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण भी शामिल
उत्तराखंड में लागू होने जा रहे यूनिफार्म सिविल कोड में जनसंख्या नियंत्रण को भी शामिल किया गया है। समवर्ती सूची की एंट्री 20A के आधार पर इसे शामिल किया जा
रहा है। इसमें जनसंख्या नियंत्रण के अलावा फैमिली प्लानिंग भी शामिल है। इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड में संसद में पेश किए गए Responsible Parenthood bill 2018 के तर्ज पर शामिल किया
जाएगा ।
छीन लिए जाएंगे ये अधिकार
इस कानून के तहत जो प्रावधान सामने आए हैं, वो काफी सख्त हैं। इस बिल के तहत दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने वाले लोगों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया
जाएगा। इसके अलावा सरकारी सुविधाओं का अधिकार भी छीना जा सकता है। उत्तराखंड की तेजी से बदलती डेमोग्राफी को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।