बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति से सवाल पूछना हुआ गुनाह ? हरदा क्यों बोले आप बाबा केदार के पर्याय नहीं !
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22/06/20237:40 pm
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज – उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को आढे हाथ लेते हुए खरी खरी सुनाई है। पूर्व सीएम ने कहा कि केदारनाथ जी के गर्भगृह में नोट उड़ाती हुई महिला के अशोभनीय आचरण का प्रसंग सभी समाचार पत्रों में छपा, क्या यह भगवान केदारनाथ जी का अपमान हो गया, छपना अपमान हो गया या ऐसा करना अपमान हो गया? यदि गर्भगृह में जिन्हें सोने की चादर कहा गया था उसमें तांबा और पीतल दिखाई दे रहा है तो सवाल लोग पूछेंगे ! कांग्रेस के समय में केदारनाथ जी में काम हुए हैं उसमें भी तो सवाल पूछे गए, क्या तब भाजपा ने केदारनाथ जी का अपमान किया ? कोई राजनीतिक दल, कोई सरकार, कोई संस्था चाहे वह बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति क्यों न हो, वो केदारनाथ जी के प्रयाय नहीं हैं।
केदारनाथ तो इस सृष्टि के स्वामी हैं, आप उनके समकक्ष अपने को क्यों खड़ा कर रहे हैं? भाजपा प्रेम में हमारे कुछ संतगण भी इस उड़ते सवाल को सनातन धर्म का अपमान बता कर ढकने का प्रयास कर रहे हैं। सनातन धर्म की वो व्याख्या श्रेष्ठ है जो विवेकानंद जी ने शिकागो के विश्व धर्म संसद में की या जिस व्याख्या को हमारे कुछ संतगण आगे बढ़ा रहे हैं, वो श्रेष्ठ है ! यह मैं उत्तराखंड के विचारवान लोगों के लिए छोड़ रहा हूं। क्या बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति या सरकार केदारनाथ के स्वरूप हैं या सेवक हैं? सेवक हैं तो यदि कुछ सवाल वातावरण में उठ रहे हैं तो उनका नम्रता से जवाब दीजिए, शंकाओं का समाधान करिये। केदारनाथ में त्रासदी के बाद जो अभूतपूर्ण पुनर्निर्माण हुआ है उससे उत्तराखंड का गौरव बढ़ा और अब यात्रा प्रचंड रूप से सुरक्षित और सुगम व्यवस्थित हो, उससे उत्तराखंड का गौरव बढ़ेगा, किसी के सोने की परतें चढ़ा देने से उत्तराखंड का गौरव नहीं बढ़ेगा और हमारे बद्रीनाथ-केदारनाथ तो गरीबों और आम लोगों के देवाधिदेव हैं। मुझे उत्तर प्रदेश के एक तत्कालीन मुख्यमंत्री जो संयोग से उत्तराखंड के ही थे उनका कथन याद आता है, जब स्वर्गीय बिड़ला जी ने सरकार के पास प्रस्ताव भेजा कि मैं बद्रीनाथ की चौखट आदि सोने की बनाना चाहता हूं, तो उन्होंने नम्रता से कहा कि हमें जिस रूप में मंदिर मिला है उस पर दुनिया की आस्था है और भगवान विष्णु तो सबके कल्याणकारी हैं। इसलिये उन पर जो आस्था है उसको स्वर्ण मंडन की जरूरत नहीं है, उसको भक्तिमंडन की जरूरत है, भक्तिमंडन ही उसका महात्म्य है। केदारनाथ जी में भी स्वर्ण मंडन में नहीं, जो करोड़ों कंठस्वरों का भक्ति मंडन है उस पर गर्व कीजिए।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति से सवाल पूछना हुआ गुनाह ? हरदा क्यों बोले आप बाबा केदार के पर्याय नहीं !
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज - उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को आढे हाथ लेते हुए खरी खरी सुनाई है। पूर्व सीएम ने कहा
कि केदारनाथ जी के गर्भगृह में नोट उड़ाती हुई महिला के अशोभनीय आचरण का प्रसंग सभी समाचार पत्रों में छपा, क्या यह भगवान केदारनाथ जी का अपमान हो गया, छपना
अपमान हो गया या ऐसा करना अपमान हो गया? यदि गर्भगृह में जिन्हें सोने की चादर कहा गया था उसमें तांबा और पीतल दिखाई दे रहा है तो सवाल लोग पूछेंगे ! कांग्रेस के
समय में केदारनाथ जी में काम हुए हैं उसमें भी तो सवाल पूछे गए, क्या तब भाजपा ने केदारनाथ जी का अपमान किया ? कोई राजनीतिक दल, कोई सरकार, कोई संस्था चाहे वह
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति क्यों न हो, वो केदारनाथ जी के प्रयाय नहीं हैं।
केदारनाथ तो इस सृष्टि के स्वामी हैं, आप उनके समकक्ष अपने को क्यों खड़ा कर रहे हैं? भाजपा प्रेम में हमारे कुछ संतगण भी इस उड़ते सवाल को सनातन धर्म का अपमान
बता कर ढकने का प्रयास कर रहे हैं। सनातन धर्म की वो व्याख्या श्रेष्ठ है जो विवेकानंद जी ने शिकागो के विश्व धर्म संसद में की या जिस व्याख्या को हमारे कुछ
संतगण आगे बढ़ा रहे हैं, वो श्रेष्ठ है ! यह मैं उत्तराखंड के विचारवान लोगों के लिए छोड़ रहा हूं। क्या बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति या सरकार केदारनाथ के
स्वरूप हैं या सेवक हैं? सेवक हैं तो यदि कुछ सवाल वातावरण में उठ रहे हैं तो उनका नम्रता से जवाब दीजिए, शंकाओं का समाधान करिये। केदारनाथ में त्रासदी के बाद
जो अभूतपूर्ण पुनर्निर्माण हुआ है उससे उत्तराखंड का गौरव बढ़ा और अब यात्रा प्रचंड रूप से सुरक्षित और सुगम व्यवस्थित हो, उससे उत्तराखंड का गौरव बढ़ेगा,
किसी के सोने की परतें चढ़ा देने से उत्तराखंड का गौरव नहीं बढ़ेगा और हमारे बद्रीनाथ-केदारनाथ तो गरीबों और आम लोगों के देवाधिदेव हैं। मुझे उत्तर प्रदेश के
एक तत्कालीन मुख्यमंत्री जो संयोग से उत्तराखंड के ही थे उनका कथन याद आता है, जब स्वर्गीय बिड़ला जी ने सरकार के पास प्रस्ताव भेजा कि मैं बद्रीनाथ की चौखट
आदि सोने की बनाना चाहता हूं, तो उन्होंने नम्रता से कहा कि हमें जिस रूप में मंदिर मिला है उस पर दुनिया की आस्था है और भगवान विष्णु तो सबके कल्याणकारी हैं।
इसलिये उन पर जो आस्था है उसको स्वर्ण मंडन की जरूरत नहीं है, उसको भक्तिमंडन की जरूरत है, भक्तिमंडन ही उसका महात्म्य है। केदारनाथ जी में भी स्वर्ण मंडन में
नहीं, जो करोड़ों कंठस्वरों का भक्ति मंडन है उस पर गर्व कीजिए।