अगस्त्यमुनि अष्टादश पुराण में हर दिन रोपित हो रहे है दुर्लभ पारिजात वृक्ष, जानिए हिन्दु संस्कृति में क्यों खास है ये पौधा
1 min read26/06/2023 7:24 am
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज- अगस्त्यमुनि में इन दिनों चल रहे विश्व मंगलम महायज्ञ एवं अष्टादश महापुराण में केदारनाथ दास सेवा मंडल और पुराण आयोजन समिति द्वारा पारिजात वृक्षों का रोपण किया जा रहा है। इन वृक्षों को नीलकण्ठ महादेव ऋषिकेश के नीलागिरी महाराज द्वारा उपलब्ध कराया गया है। अष्टादश पुराण की स्मृति में देवताओं को अत्यंत प्रिय 18 परिजात के पौधों का रोपण किया जाना है। पहाड़ में अपनी तरह का यह सुदंर प्रयास है जिसमें धार्मिक परंपराओं के साथ पर्यावरण को अलौकिक बनाने का दुर्लभ कार्य किया जा रहा है। समुद्र मंथन में उत्पन्न हुए इस वृक्ष को दर्शनों को बेहद शुभ माना गया है।
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दास सेवा मण्डल अध्यक्ष चंद्र सिंह नेगी बताते है कि भारतीय परंपरा के अनुसार पारिजात का पेड़ बहुत पवित्र माना जाता है और यह माना जाता है कि इस पौधे को भगवान श्री कृष्ण द्वारा लाया गया था। सागर मंथन से ही माता लक्ष्मी और पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई है। दोनों का उत्पत्ति स्थान एक ही है, ऐसे में लगाव स्वाभाविक है। इस वजह से माता लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प अतिप्रिय हैं। भगवान शिव समेत सभी देवताओं की पूजा में पारिजात के पुष्प को शामिल किया जाता है। पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। जहां यह वृक्ष होता है वहां पर साक्षात लक्ष्मी का वास होता है। पारिजात का वृक्ष जिसके भी घर के आसपास होता है उसके घर के सभी तरह के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।
पारिजात के पेड़ को हरसिंगार का पेड़ भी कहा जाता है। इसमें बहुत ही सुंदर और सुगंधित फूल उगते हैं। यह सारे भारत में पैदा होता है। इसे संस्कृत में पारिजात, शेफालिका। हिन्दी में हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी में पारिजातक। गुजराती में हरशणगार। बंगाली में शेफालिका, शिउली। तेलुगू में पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल में पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम में पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़ में पारिजात। उर्दू में गुलजाफरी। इंग्लिश में नाइट जेस्मिन। लैटिन में निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस कहते हैं।
यह छोटा सा पौधा होता है और इसके फूल खुशबू वाले होते हैं। इसे रात की रानी और जैस्मिन भी कहा जाता है। इसके फूल में 7 से 8 कलियां होती हैं और एक लाल रंग की टहनी में यह सारी कलियां अरेंज होती हैं। काफी सारी धार्मिक गतिविधियों में इस फूल का प्रयोग किया जाता है। यह फूल दिन की बजाए रात में खिलता है। इसका प्रयोग करने से आपको काफी सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए जानते हैं पारिजात के पत्तों और फूलों के स्वास्थ्य लाभ।
पारिजात की पत्तियों के फायदे
आयुर्वेद के मुताबिक इस पौधे की पत्तियों से कई तरह के रोगों को ठीक किया जा सकता है जैसे- खांसी, बुखार और गठिया आदि। इसकी पत्तियों का रस थोड़ा कड़वा होता है, और यह एक टॉनिक का काम करता है। अगर आप गठिया या फिर कब्ज जैसी समस्याओं से परेशान हैं तो आपको इसकी पत्तियों से बनने वाले काढ़े का सेवन करना चाहिए।
साइटिका और गठिया के दर्द में है सहायक
इन दोनों स्थितियों में ही इंसान को बहुत ज्यादा दर्द होता है। इस पौधे की पत्तियों और फूलों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। इनका प्रयोग करके कुछ खास एसेंशियल ऑयल बनाए जाते हैं जो आपको इन दर्द से बहुत राहत दिला सकते हैं। आपको इस पौधे के एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदों को नारियल के तेल में मिलना है और प्रभावित क्षेत्र पर लगा लें।
सूखी खांसी में सहायक
अगर आप रेस्पिरेटरी समस्याओं जैसे खांसी और ब्रोंकाइटिस या फिर ठंड लगना से परेशान हैं तो आपको इन पौधों के पत्तों और फूलों से निकलने वाले एक्सट्रैक्ट का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इसका प्रयोग करने से आपको अस्थमा में भी बहुत लाभ मिल सकता है। इसे आप पानी और अदरक के साथ उबालकर पी सकते हैं।
इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार
अगर आपकी इम्यूनिटी कमजोर है तो आपको बार बार बीमारियों और इन्फेक्शन का सामना करना पड़ता होगा इसलिए आप पारिजात के फूलों और पत्तों का प्रयोग करके अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा सकते है। इसके लिए आपको 8 से 10 पत्तियों को एक गिलास पानी के साथ ग्राइंड कर लेना है। इस मिश्रण को उबाल लें और आधा होने तक गैस को ऑन रखें। ठंडा होने के बाद इसे तीन हिस्सों में बांटे और तीनों हिस्सों को सुबह, दोपहर और शाम को पिएं।
डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक
पारिजात का सबसे बड़ा लाभ है की यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके अंदर एंटी डायबिटिक प्रभाव होते हैं जिस कारण यह आपके हाई ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है। इसलिए डॉक्टर की राय लेने के बाद इसका सेवन जरूर करें।
बालों के लिए लाभदायक
इसके बने काढ़े का प्रयोग करने से बालों से डैंड्रफ की समस्या और जुओं की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे बाल मजबूत होते हैं और हेयर फॉल भी कंट्रोल होता है। यह बालों को सफेद होने से भी बचाता है और अन्य बालों से जुड़ी समस्या को ठीक करने में सहायक है।
निष्कर्ष: इस पौधे के और भी बहुत सारे लाभ होते हैं जैसे यह मलेरिया में लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से पहले या फिर शरीर पर कहीं प्रयोग करने से पहले एक बार पैच टेस्ट जरूर कर लें ताकि आपको पता लग जाए की यह आपके लिए सुरक्षित है या नहीं।
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