दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि अगस्त्यमुनि ब्लॉक के अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने के लिए वर्ष 2004-05 में स्वीकृत सात किमी नाकोट-ताली-बगर-कोटनगर-जहंगी मोटर मार्ग का निर्माण 18 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी उदासीनता से कार्य शुरू नहीं हो रहा है, जिससे मार्ग निर्माण अधर में है। यातायात सुविधा के अभाव में ग्रामीणों को मीलों पैदल नापना पड़ रहा है।

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स्पेशल कंपोनेंट प्लान में स्वीकृत मोटर मार्ग से नाकोट, ताली, बगर, कोटनगर और जंहगी के ग्रामीणों को लाभ मिलना था, लेकिन तकनीकी पेंच के कारण मार्ग का निर्माण लटका हुआ है। वही अब इस सड़क से सटकर केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी कटना है जिस पर भी फिलहाल एनजीटी की आपत्ति के बाद कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है। उक्त राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भी 70% कटिंग की जा चुकी है, लेकिन सही पैरवी न होने से यह मार्ग भी बंद पड़ा है। इधर क्षेत्रीय ग्रामीण रघुवीर, अंकित राज, मोहित, राहुल, दिनेश, राजेश, मुकेश, संतोष, मनोज, पवन, अखिलेश का कहना है कि लंबे समय से हमारे गांव सड़क की मांग कर रहे है, पूर्व में कई बार धरना-प्रदर्शन और आन्दोलन हो चुके है। सरकार बार बार आश्वासन देकर जनता को गुमराह कर रही है। रोजमर्रा की हर जरूरत के लिए पैदल का सफर तय करना पड़ा है। लेकिन अब उग्र जनांदोलन का बिगुल फूंकना होगा, तभी सोयी सरकार और सोये हुए विभाग जागेंगे। बता दें कि इस सड़क के लिए पूर्व में बनी संघर्ष समिति जिसके अध्यक्ष राज्य आंदोलनकारी अवतार सिंह राणा ( अब दिवंगत), कोषाध्यक्ष कुंवर सिंह भंडारी, सचिव कुंवर लाल आर्य आदि भी कई बार ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन कर चुके है। बताया जा रहा हो कि सड़क निर्माण में कुछ पेड़ों का कटान होना था। इसके एवज में रूमसी ग्राम पंचायत द्वारा पौधरोपण के लिए अपनी भूमि वन विभाग को देने की बात कही थी, लेकिन विभाग ने यह कहकर ग्रामीणों का प्रस्ताव ठुकरा दिया है कि भूमि ढलान वाली है, जिस पर पौधरोपण नहीं हो सकता है। कहा कि मार्ग के अभाव में ग्रामीणों को पांच से छह किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है।