दीपक बेंजवाल  / राँसी दस्तक पहाड न्यूज- मद्महेश्वर घाटी की प्रसिद्ध मनणी माई की लोक यात्रा पूजा अर्चना व भक्तों के जयकारों के साथ शुरू हो गई। सोमवार को मनणी माई की डोली रांसी गांव से उच्च हिमालय स्थित मनणी धाम के लिए प्रस्थान कर रात्रि प्रवास के लिए आज पटुड़ी पहुंचेगी।

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प्रात: छह बजे घाटी के रांसी गांव स्थित राकेश्वरी मंदिर में पुजारी ईश्वरी प्रसाद भट्ट ने गर्भ गृह में भगवती राकेश्वरी की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग मूर्ति को तांबे की डोली में विरामान किया। इस मौके पर गांवों से आए भक्तों ने आराध्य के दर्शन कर सुख-समृद्धि की मनौति मांगी। महिलाओं ने मांगल गीत गाकर देवी का स्वागत किया। प्रात: 8 बजे राकेश्वरी मंदिर की तीन परिक्रमा के बाद डोली मध्य हिमालयी क्षेत्र मनणा धाम के लिए रवाना हुई। देवी की डोली को दिगपाल सिंह नेगी ले जा रहे है। मंदिर में मौजूद गौंडार, रांसी, उनियाणा, राउंलैक, कंडारा, छाजी आदि गांवों के ग्रामीणों ने आराध्य देवी को धाम के लिए विदा किया। यात्रा आज रात्री विश्राम के लिए 11 किमी दूर पटुडी बुग्याल पहुंचेगी।   मनणी जात सनेरा, थोली समेत अन्य बुग्यालों से होते हुए 39 किमी पैदल की चढ़ाई पार करते हुए मनणा धाम पहुंचेगी। इस मौके पर रविंद्र भट्ट, आनंद सिंह, अखिलेश गोस्वामी, विपिन रावत समेत कई लोग मौजूद थे। यह है मान्यता मनणी का अर्थ है मन को स्तम्भित करने वाली देवी। मान्यता है कि मां दुर्गा ने देवासुर संग्राम के दौरान महिषासुर का वध इसी स्थान पर किया था। लोक मान्यताओं के आधार पर पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनणा माई की इसी स्थान पर पूजा अर्चना की जाती है। यहां दूर दराज क्षेत्रों से भक्त पहुंचकर पूजा अर्चना करते है।