अब ब्लेम गेम मत खेलना, प्लीज ! नमामि गंगे पर 600 करोड़ खर्च, स्वच्छ गंगा के बदले मिली 16 लाशें, एसटीपी प्लांट के आपरेशन, सेफ्टी मेजरमेंट समेत मेंटिनेंस पर सवाल
1 min read21/07/2023 12:19 pm
गुणानंद जखमोला / चमोली
निर्मल और स्वच्छ गंगा के लिए चलाए जा रहे एसटीपी प्लांट ने 16 लोगों की जान ले ली। 11 लोग अस्पताल में जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रहे हैं। इस हादसे का कारण प्लांट के निकट करंट दौड़ना है। यह प्लांट चमोली-गोपेश्वर मोटर मार्ग पर अलकनंदा पुल के निकट है। बताया जाता है कि प्लांट तक नदी के साइड लोहे के एंगल और जाली लगी है। करंट संभवतः इसी माध्यम से मौत बनकर दौड़ा। यहां एक आपरेटर की करंट लगने से मौत हुई थी। उसका पंचनामा करने के लिए उपनिरीक्षक प्रदीप रावत और होमगार्ड के जवान जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों के मौके पर पहुंचे। लेकिन अचानक आए करंट की चपेट में आ गये। और मौके पर ही कई लोगों की मौत हो गयी।
Advertisement

Advertisement

नमामि गंगे के तहत बनाए गये इस प्लांट की देखरेख आउटसोर्सिंग कंपनी कांफिडेंट इंजीनियरिंग करती हैै। बताया जाता है कि प्लांट में 415 वोल्ट बिजली सप्लाई होती है। सुबह अचानक प्लांट में 11000 वोल्ट बिजली सप्लाई हुई। इसका नतीजा यह रहा कि 16 निर्दोष लोगों की जान चली गयी। शोक संदेश और मजिस्ट्रियल जांच के आदेश हो चुके हैं। हो सकता है कि अब ब्लेम गेम हो और बाद में हर जांच रिपोर्ट की तर्ज पर किसी निरीह प्राणी पर सब दोषारोपण कर दिया जाए।
Read Also This:
सवाल यह है कि जब एसटीपी प्लांट में एक व्यक्ति की मौत हो चुकी थी, और आशंका करंट लगने से मौत की थी तो क्या प्लांट संचालकों ने यूपीसीएल को सूचित किया कि यह घटना हो गयी है? पंचनामा करने से पहले क्या बिजली निगम को सूचित नहीं किया जाना चाहिए था? यह किसकी गलती है। इंजीनियरों का मानना है कि प्लांट में पहले से ही लीकेज रहा होगा। शटडाउन न लेने पर जब दोबारा बिजली सप्लाई हुई तो वहां मैक्सिम वोल्टेज यानी 11 हजार वोल्ट चला गया, क्योंकि वहां थ्रीफेज कनेक्शन था। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि प्लांट में एमसीबी थी या नहीं। जब किसी घर में अतिरिक्त वोल्टेज आती है तो एमसीबी डाउन हो जाती है। क्या वहां एमसीबी थी?
यह तो साफ है कि पिछली रात को जिस युवक की मौत हुई। कंपनी ने उसे कोई सेफ्टी उपकरण नहीं दिये थे। ग्रामीणों ने भी यह आरोप लगाए हैं। आदमी के जान की कीमत बहुत सस्ती है। मैक्सिम पांच लाख मुआवजा। जबकि प्रोजेक्ट की कॉस्ट में कमीशन करोड़ों का। सवाल यह भी है कि टिन शेड का प्लांट क्यों बनाया जाता है। प्लांट में सेफ्टी मेजरमेंट क्या थे? दूसरी ओर यूपीसीएल की लापरवाही यह है कि यहां न तो उपकरण अपग्रेडिट किये गये हैं और न ही रेगुलर मानीटरिंग की कोई व्यवस्था है। जब तक कोई हादसा या ट्रिपिंग नहीं होती। निगम के इंजीनियर और अफसर बेफिक्र सोए रहते हैं। यह भी सवाल है कि हादसे के बाद रेस्क्यू आपरेशन में मेडिकल टीम को मौके पर शामिल नहीं किया गया। शायद मौके पर इलाज मिलता तो कोई बच जाता। चमोली में डाक्टरों का हाल देख लीजिए कि सिमली में 200 बेड का अस्पताल है और वहां एक भी डाक्टर नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार सब कागजों में हैं। डाक्टर कर्णप्रयाग ही बेैठते हैं। यह सवाल एसटीपी प्लांट के डीपीआर, संचालन, सुरक्षा, सुरक्षा उपकरणों और मरम्मत कार्यों से भी जुड़ी है।
यह बता दूं कि नमामि गंगे के 2016 में शुरुआत होने से वर्ष 2022 तक उत्तराखं डमें 482.59 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जा चुकी है। इसके बाद 118 करोड़ रुपये और मिले हैं। बताया जाता है कि इस प्लांट को भ्रष्टाचार के आरोपी पेयजल निगम के पूर्व एमडी भजन सिंह, केके रस्तोगी, वीके मिश्रा की टीम ने हैंडओवर किया था। इसकी डीपीआर और सेफ्टी मेजरमेंट को लेकर भी जांच होनी चाहिए। यहां सवाल ये उठता है कि लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च तो हुए लेकिन आज भी उत्तराखंड की तमाम नदिया,नाले,गधेरे स्वच्छता से कोसों दूर है। गंगा में आज भी सीधे नाले गिर रहे हैं। दूर कहीं क्यों जाएं, हरिद्वार में खड़खड़ी श्मसान घाट के पास स्थित नाला सीधे गंगा में गिर रहा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट गंगा को तो शुद्ध नहीं कर सका, 16 निर्दोष लोगों की जान ले बैठा। यही उत्तराखंड की हकीकत है। उम्मीद है इस मामले में ब्लेम गेम नहीं होगा और दोषियों को सजा मिलेगी। इस हादसे के शिकार लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
अब ब्लेम गेम मत खेलना, प्लीज ! नमामि गंगे पर 600 करोड़ खर्च, स्वच्छ गंगा के बदले मिली 16 लाशें, एसटीपी प्लांट के आपरेशन, सेफ्टी मेजरमेंट समेत मेंटिनेंस पर सवाल
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129









