उत्तराखंड में हर साल लापता होती हैं 600 लड़कियां, पर्वतीय जिलों से सर्वाधिक लड़कियां हो रही हैं लापता
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25/07/20232:57 pm
गुणानंद जखमोला / उत्तराखंड
गत दिनों संसद में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि पिछले पांच साल में देश के विभिन्न राज्यों से लापता हुए बच्चों की संख्या 2.75 लाख है, जिनमें 2.12 लाख लड़कियां शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि इस अवधि के दौरान 2.40 लाख लापता बच्चों का पता लगाया गया। आंकड़ों के अनुसार, 2018 से लापता होने वाले 2,75,125 (2.75 लाख) बच्चों में 2,12,825 (2.12 लाख) लड़कियां शामिल हैं। यूपी, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों ने इस रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट बनाई है लेकिन उत्तराखंड के मीडिया के पास इसकी खबर नहीं है। मैंने जो पहले एक रिपोर्ट बनाई थी। इसमें एनसीआरबी का हवाला दिया था और मानव तस्करी पर काम करने वाले कुछ एनजीओ से बात की थी। चम्पावत के शारदा बैराज पर बनी एंटी ह्यूमैन ट्रैफिकिंग सेल की एसआई मीना से भी बात की थी। पर वह रिपोर्ट पुरानी है।
हाल की रिपोर्ट को लेकर मैंने चाइल्ड टैकिंग वेब साइट समेत विभिन्न पोर्टल और सूत्रों को खंगालने की कोशिश की है लेकिन लेटेस्ट डाटा नहीं मिल पाए हैं। संसद कवर करने वाले दिल्ली के कुछ पत्रकारों से स्मृति ईरानी वाली रिपोर्ट मंगाई है। संभवत मिल जाएं। मेरी चिन्ता यह है कि क्या 2018 के बाद प्रदेश से लड़कियों की तस्करी 600 से अधिक हुई है या नहीं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड से वर्ष 2016 में 622, 2017 में 1081 और 2018 में 1277 लड़कियां लापता हुई। इसी तरह से लापता बच्चों की संख्या क्रमश 435, 607 और 633 थी।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में कुमाऊं मंडल में कुल 91 महिलाएं और लड़कियों का अपहरण हुआ। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 122 हो गया। वर्ष 2022 के अगस्त माह तक के डेटा के अनुसार कुल 75 महिलाएं एवं लड़कियों का अपहरण हुआ था। पिछले 32 महीने में कुल 288 महिलाओं और लड़कियों का अपहरण हो चुका है। यानी हर महीने औसतन 9 महिलाओं लड़कियों का अपहरण हुआ है। इनमें से 241 महिलाएं एवं लड़कियां पुलिस ने बरामद कर दी हैं। कुमाऊं मंडल में नाबालिग लड़कियां अधिक लापता हो रही हैं। अल्मोड़ा जिले से सर्वाधिक लड़कियां लापता हो रही हैं।
खैर, मेरा ये पोस्ट लिखने का आशय यह था कि हम अधिक जागरूक हों। पुलिस सक्रिय हो और पर्वतीय जिलों में लड़कियों और बच्चों को अपहरण और मानव तस्करी के खिलाफ मानव तस्करी के खिलाफ जागरूक किया जाएं।अन्यथा नेपाल की तर्ज पर उत्तराखंड से भी लड़कियों और बच्चों की मानव तस्करी में भारी इजाफा होगा।
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गुणानंद जखमोला / उत्तराखंड
गत दिनों संसद में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि पिछले पांच साल में देश के विभिन्न राज्यों से लापता हुए बच्चों की संख्या 2.75
लाख है, जिनमें 2.12 लाख लड़कियां शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि इस अवधि के दौरान 2.40 लाख लापता बच्चों का पता लगाया गया। आंकड़ों के अनुसार, 2018 से लापता होने वाले 2,75,125
(2.75 लाख) बच्चों में 2,12,825 (2.12 लाख) लड़कियां शामिल हैं। यूपी, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों ने इस रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट बनाई है लेकिन उत्तराखंड के मीडिया के
पास इसकी खबर नहीं है। मैंने जो पहले एक रिपोर्ट बनाई थी। इसमें एनसीआरबी का हवाला दिया था और मानव तस्करी पर काम करने वाले कुछ एनजीओ से बात की थी। चम्पावत के
शारदा बैराज पर बनी एंटी ह्यूमैन ट्रैफिकिंग सेल की एसआई मीना से भी बात की थी। पर वह रिपोर्ट पुरानी है।
हाल की रिपोर्ट को लेकर मैंने चाइल्ड टैकिंग वेब साइट समेत विभिन्न पोर्टल और सूत्रों को खंगालने की कोशिश की है लेकिन लेटेस्ट डाटा नहीं मिल पाए हैं। संसद
कवर करने वाले दिल्ली के कुछ पत्रकारों से स्मृति ईरानी वाली रिपोर्ट मंगाई है। संभवत मिल जाएं। मेरी चिन्ता यह है कि क्या 2018 के बाद प्रदेश से लड़कियों की
तस्करी 600 से अधिक हुई है या नहीं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड से वर्ष 2016 में 622, 2017 में 1081 और 2018 में 1277 लड़कियां लापता हुई। इसी तरह से लापता बच्चों की
संख्या क्रमश 435, 607 और 633 थी।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में कुमाऊं मंडल में कुल 91 महिलाएं और लड़कियों का अपहरण हुआ। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 122 हो गया। वर्ष 2022 के अगस्त माह तक
के डेटा के अनुसार कुल 75 महिलाएं एवं लड़कियों का अपहरण हुआ था। पिछले 32 महीने में कुल 288 महिलाओं और लड़कियों का अपहरण हो चुका है। यानी हर महीने औसतन 9 महिलाओं
लड़कियों का अपहरण हुआ है। इनमें से 241 महिलाएं एवं लड़कियां पुलिस ने बरामद कर दी हैं। कुमाऊं मंडल में नाबालिग लड़कियां अधिक लापता हो रही हैं। अल्मोड़ा जिले से
सर्वाधिक लड़कियां लापता हो रही हैं।
खैर, मेरा ये पोस्ट लिखने का आशय यह था कि हम अधिक जागरूक हों। पुलिस सक्रिय हो और पर्वतीय जिलों में लड़कियों और बच्चों को अपहरण और मानव तस्करी के खिलाफ मानव
तस्करी के खिलाफ जागरूक किया जाएं।अन्यथा नेपाल की तर्ज पर उत्तराखंड से भी लड़कियों और बच्चों की मानव तस्करी में भारी इजाफा होगा।