दीपक बेंजवाल  / दस्तक पहाड़ न्यूज  अगस्त्यमुनि - केंद्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के तीन साल पूरे होने पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, समावेशन और आधुनिकीकरण के साथ एनईपी 2020 विजन पर विस्तार से चर्चा की गई।

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जवाहर नवोदय विद्यालय जाखधार गुप्तकाशी के प्राचार्य के एस दिगारी ने भारत के शिक्षा परिदृश्य को आकार देने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'इस नीति से हमारे छात्रों और शिक्षकों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हुए शिक्षा क्षेत्र में नवाचार, समावेशिता और आधुनिकीकरण के नए युग की शुरुआत की है।' इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण लाभ सभी विषयों में कौशल के एकीकरण पर जोर देना है। शैक्षणिक विषयों के बीच पारंपरिक बाधाओं को तोड़कर, बहु-विषयक बहुभाषीय शिक्षा के युग की शुरुआत की है, जो छात्रों की सहज जिज्ञासा को पोषित करता है और शिक्षा के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। यह एकीकरण हमारे युवा दिमागों को विविध दृष्टिकोणों का पता लगाने, गंभीर रूप से सोचने और विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार करने के लिए सशक्त बनाता है, जिससे उन्हें भविष्य की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा सके। केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य अनीश जोशी ने एनईपी 2020 के समग्र विजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 21 वी सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल व्यापक, लचीली, बहुविषयक शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक छात्र की अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना, रटने के बजाए अलोचनात्मक सोच को बढावा देना और पढ़ने के बजाए सीखने पर ध्यान केन्द्रित करना है। उन्होंने एनईपी में प्रवेश आयु में 5-3-3-4 मानकों के साथ ही 3-8 आयुवर्ग के लिए एनसीएफ एफएस के रूप में बालवाटिका संचालन और जादुई पिटारा टीचिंग को लाया गया है। जिसमें 3 से 8 साल की उम्र के बच्चों के लिए 'विद्या प्रवेश' द्वारा खेल आधारित शिक्षण सामग्री तैयार की गई है। इसके साथ ही निपुण ( समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में दक्षता के लिए राष्ट्रीय पहल) दस्तावेज में कक्षावार सूचीबद्ध किया गया है। देशभर के 49 केंद्रीय विद्यालयों (KV) में वर्ष 2022 से तीन से पांच आयु वर्ग के बच्चों के लिए बालवाटिका कक्षाएं शुरू की गई हैं। इन कक्षाओं में 5,477 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है। नई शिक्षा नीति-2020 के तहत पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु जो पहले 5 पांच वर्ष थी, वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में बढ़ाकर 6 कर दी गई थी। तत्पश्चात् केंद्रीय विद्यालयों में `बालवाटिका` नाम से प्री-केजी, एलकेजी और यूकेजी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। बालवाटिका कक्षाओं में खेल आधारित गतिविधियों को मुख्य रूप प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा इन कक्षाओं में एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रमों और संसाधन सामग्रियों का भी उपयोग किया जा रहा है। NEP में वैचारिक समझ के लिए शिक्षार्थी केंद्रित अनुभवात्मक शिक्षण को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है। वहीं विद्यांजलि पोर्टल के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देते हुए समुदाय को शैक्षिक वातावरण को सुधारने हेतु सहयोग के लिए आमन्त्रित किया जा रहा है। केन्द्रीय विद्यालय के प्रवक्ता केवी जोशी एवं जयकृष्ण शर्मा ने बताया कि नॉलेज शेयरिंग के लिए दीक्षा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसमें 3.17 लाख ई कंटेंट 36 भाषाओं में उपलब्ध है तथा 12 स्वयंप्रभा टीवी चैनलों के माध्यम से 7 हजार से अधिक कार्यक्रमों के साथ 4 हजार से अधिक पाठ्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। हर छात्र को हर चरण में अलग अलग पाट्यक्रम के लिए क्रेडिट अंक दिए जायेंगे तथा हर छात्र का डाटा बेस तैयार कर उसे अकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट ( ABC) में जमा कर दिया जायेगा। हर छात्र एक साथ अलग अलग कोर्स कर पायेगा तथा उसे इसकेलिए क्रेडिट अंक मिलेंगे जिसका उपयोग वह उच्च शिक्षा ग्रहण करते समय कर पायेगा। इस बैंक में उसके क्रेडिट सात वर्षों तक जमा रहेंगे। प्रेस वार्ता में अनूप नेगी मेमोरियल पब्लिक स्कूल रूद्रप्रयाग से देवेन्द्र रावत, अउराइका अगस्त्यमुनि से जगदीप बिष्ट, राबाइका से रागनी नेगी, केवि से जिग्नेश यादव आदि रहे।