दस्तक पहाड़ न्यूज  / अगस्त्यमुनि धर्म ग्रंथों में अधिक मास का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु हैं, इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। वर्तमान में सावन का अधिक मास चल रहा है, जो 16 अगस्त तक रहेगा। वैसे तो अधिक मास हर तीसरे साल आता है लेकिन सावन के अधिक मास का संयोग 19 साल बाद बना है। इसके पहले सावन का अधिक मास 2004 के बाद बना है। अधिक मास की एकादशी को बहुत खास माना गया है, इसे कमला और पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 29 जुलाई, शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र पूरे दिन

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रहेगा। इस दिन ब्रह्म नाम का शुभ योग सुबह 09:34 तक रहेगा। इसके बाद इंद्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इस समय सिंह राशि में बुध और शुक्र की युति रहेगी, जिससे लक्ष्मी नारायण नाम का शुभ योग बनेगा। इस योग में कमला एकादशी का संयोग बहुत ही शुभ फल देने वाला रहेगा। इसे पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा की भी परंपरा है। ऐसा करने से इस व्रत का पूरा फल मिलता है। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। वहीं, तुलसी को लक्ष्मीजी का रूप माना गया है। श्री अगस्त्य मंदिर के आचार्य भूपेंद्र बेंजवाल ने बताया कि 19 साल बाद ज्येष्ठा नक्षत्र और ब्रह्म योग में इस व्रत का संयोग बना है। इससे पहले 2004 में ऐसा हुआ था। चातुर्मास के चलते सावन और अधिक मास का संयोग होने से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा करने की भी परंपरा है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं। इस व्रत में पीपल की पूजा सुबह जल्दी करने का विधान है। साथ ही सुबह और शाम दोनों समय तुलसी की पूजा की जाती है और दीपक लगाया जाता है। अगस्त्य पूजा : भगवान अगस्त्य को साक्षात नारायण स्वरूप माना गया है। अगस्त्यमुनि स्थित मंदिर भगवान का अत्यंत दिव्य विग्रह सुशोभित है, जिनके हृदय स्थान पर श्री 'यंत्र स्वरूप' में विराजमान है। पद्मिनी एकादशी के दिव्य मूहुर्त पर भगवान अगस्त्य और श्री का दर्शन अत्यंत पुण्यदायक और मनोकामना पूर्ण करने वाला है। पीपल पूजा: अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर पीपल की पूजा का भी खास महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ भी तृप्त हो जाते हैं। तुलसी पूजा: दूध और पानी से भगवान शालग्राम का अभिषेक करें और पूजन सामग्री चढ़ाएं। अभिषेक किए जल में से थोड़ा सा खुद पीएं और बाकी तुलसी में चढ़ा दें। इसके बाद हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और अन्य पूजन सामग्रियों से तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। अन्न और कपड़ों के दान से महायज्ञ का फल : ग्रंथों में बताया है कि इस एकादशी पर पर दान करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है। ये भी माना जाता है कि जितना पुण्य हर तरह के दान और कई तीर्थों के दर्शन से मिलता है, उसके बराबर पुण्य पद्मिनी एकादशी पर अन्न और कपड़ों के दान करने से मिल जाता है, इसलिए इस दिन तुलसी और पीपल को जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही जरुरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। इस दिन गायों की सेवा करने से भी व्रत का पुण्य और बढ़ जाता है।