गुणानंद  जखमोला / देहरादून  अब नशे के लिए बरेली की बदनाम औरत का पिंड छूट गया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से नशे के सौदागर विशाखापट्टनम के रास्ते उत्तराखंड तक नशा पहुंचा रहे हैं। वहीं, नेपाल से भी बड़े पैमाने पर ड्रग्स की तस्करी हो रही है। पुलिस ने उत्तरकाशी और कर्णप्रयाग में नशे की खेप सब्जी के वाहनों में पकड़ी है। इसके अलावा कुछ मेडिकल स्टोर भी ड्रग्स के केंद्र बन गये हैं। सूत्रों के मुताबिक नशे के सौदागर स्टूडेंटस को पैडलर बना रहे हैं और नशा मैक्स कैब के माध्यम से भी सुदूर

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गांवों तक पहुंच रहा है। उतराखंड पुलिस ने 5079 मामले जनवरी 2020 से मई 2023 तक ड्रग्स तस्करी के दर्ज किए हैं, इनमें से 33 मामलों में गैंगस्टर लगाते हुए 89 लोगों को निरुद्ध किया गया है। जिन लोगों पर गैंगस्टर लगाई गई। उनकी 2.68 करोड़ की संपत्ति को कुर्क किया गया है। उत्तराखंड डोडा अफीम, चरस, गांजा के साथ ही नशे के कैप्सूल और इंजेक्शन भी बिक रहे हैं। देहरादून पुलिस ने विगत वर्ष लगभग साढ़े चार करोड़ का ड्रग्स पकड़ा। पुलिस सूत्रों के अनुसार डोईवाला क्षेत्र में सर्वाधिक ड्रग्स की खपत होती है। आईजी गढ़वाल के.एस. नगन्याल के मुताबिक यह कार्य बहुत ही दुष्कर है कि सब्जी के वाहन में ड्रग्स तलाशा जाए। उन्होंने बताया कि अब बरेली से कहीं अधिक नेपाल के रास्ते ड्रग आ रहा है। सच भी लगता है। कुछ माह पहले जब मैं पिथौरागढ़ गया था तो शहर के बीचोंबीच स्थित भारकोट में पुलिस ने एक बड़ा बोर्ड लगाया था कि यहां स्मैक, चरस आदि नशा करना मना है। यह अहम बात है कि धामी सरकार नशे के खिलाफ अभियान चला रही है। दावा कर रही है कि 2025 तक राज्य को ड्रग्स फ्री स्टेट बना देगी, लेकिन जब तक आम जनता नशे के खिलाफ लामबंद नहीं होगी तो यह लक्ष्य हासिल करना असंभव है। सामाजिक चेतना जरूरी है। सहभागिता जरूरी है। सबको मिलकर काम करना होगा।