कवि चंद्रकुवर बर्त्वाल सांस्कृतिक मेले का आज आगाज, पौड़ी के साहित्यकार नरेंद्र कठैत को मिलेगा ‘हिमवंत साहित्य सम्मान’
1 min read19/08/2023 8:30 am
दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज
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अगस्त्यमुनि। हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल (20 अगस्त, 1919 -1947) ने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। समीक्षक चंद्र कुंवर बर्त्वाल को हिंदी का ‘कालिदास’ मानते हैं। चन्द्र कुंवर बर्त्वाल जी का जन्म उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम मालकोटी, पट्टी तल्ला नागपुर में 20 अगस्त, 1919 में हुआ था। प्रकृति के चितेरे कवि, हिमवंत पुत्र बर्त्वाल जी अपनी मात्र 28 साल की जीवन यात्रा में हिन्दी साहित्य की अपूर्व सेवा कर अनन्त यात्रा पर प्रस्थान कर गये, 1947 में इनका आकस्मिक देहान्त हो गया। बर्त्वाल जी की शिक्षा पौड़ी, देहरादून और इलाहाबाद में हुई। 1939 में इन्होने इलाहाबाद से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की, 1941 में एम०ए० में लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। यहीं पर ये श्री सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी के सम्पर्क में आये।
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1939 में ही इनकी कवितायें “कर्मभूमि” साप्ताहिक पत्र में प्रकाशित होने लगी थी, इनके कुछ फुटकर निबन्धों का संग्रह “नागिनी” इनके सहपाठी श्री शम्भूप्रसाद बहुगुणा जी ने प्रकाशित कराया। बहुगुणा जी ने ही 1945 में “हिमवन्त का एक कवि” नाम से इनकी काव्य प्रतिभा पर एक पुस्तक भी प्रकाशित की। इनके काफल पाको गीति काव्य को हिन्दी के श्रेष्ठ गीति के रुप में “प्रेमी अभिनन्दन ग्रन्थ” में स्थान दिया गया। इनकी मृत्यु के बाद बहुगुणा जी के सम्पादकत्व में “नंदिनी” गीति कविता प्रकाशित हुई, इसके बाद इनके गीत- माधवी, प्रणयिनी, पयस्विनि, जीतू, कंकड-पत्थर आदि नाम से प्रकाशित हुये। नंदिनी गीत कविता के संबंध में आचार्य भारतीय और भावनगर के श्री हरिशंकर मूलानी लिखते हैं कि “रस, भाव, चमत्कृति, अन्तर्द्वन्द की अभिव्यंजना, भाव शवलता, व्यवहारिकता आदि दृष्टियों से नंदिनी अत्युत्तम है। इसका हर चरण सुन्दर, शीतल, सरल, शान्त और दर्द से भरा हुआ है।
प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल स्मृति में दिया जाने वाला मन्दाकिनी का सुप्रसिद्ध ‘हिमवंत साहित्य सम्मान’ आज गढ़वाली भाषा के सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार नरेन्द्र कठैत को प्रदान किया जाएगा। कवि और व्यंग्य विधा के सिद्धहस्त नरेन्द्र कठैत चंद्र कुंवर बर्त्वाल की अनेक कविताओं का गढ़वाली अनुवाद कर चुके है, इनमें से अधिकांश कविताओं पर दिवंगत चित्रकार बी मोहन नेगी के कविता पोस्टर भी बने है। आकाशवाणी पौड़ी में कार्यरत नरेन्द्र कठैत मूलतः सल्डा, बनगढ़स्यूं, विकास खण्ड कोट, जिला पौड़ी के निवासी है और पिछले लंबे समय साहित्य सृजन की साधना में जुटे है। आपकी दो दर्जन से अधिक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, 1000 से अधिक हिन्दी तथा अन्य भाषाओं की कविताओं का गढ़वाली भाषा में अनुवाद कर गढ़वाली भाषा के फलक को बड़ा विस्तार दिया है। आपकी तीन सौ से भी अधिक कविताओं पर चित्रकार बी मोहन नेगी कविता पोस्टर बना चुके है। गढ़वाली भाषा में उत्कृष्ट एवं मौलिक व्यंग्य लेखन के लिए वर्ष 2008 में आदित्यराम नवानी पुरस्कार, वर्ष 2011 में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा डाॅ गोविंद चातक सम्मान, लोक साहित्य मंच दिल्ली द्वारा 2013 में महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान सहित अनेक सम्मानों से नवाजा गया है। हाल ही में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान भी प्रदान किया गया है।
आज राइका अगस्त्यमुनि में आयोजित होने वाले 29 वें चंद्र कुंवर स्मृति समारोह में गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिती में यह सम्मान दिया जाएगा। अब तक कोटद्वार से पत्रकार कुंवर सिंह नेगी कर्मठ, चित्रकार बी मोहन नेगी, लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, साहित्य कार शिवराजसिंह रावत निसंग, लोककवि सर्वेश्वर दत्त काण्डपाल, साहित्यकार प्रो दिनेश चमोला, कुमाऊँनी भाषा कवि मथुरादत मठपाल, समेत उत्तराखंड के 23 ख्यातिप्राप्त हस्तियों को यह सम्मान मिल चुका है। इस अवसर पर विद्यालयी छात्र-छात्राओं की कविता पाठ और कविता पोस्टर प्रतियोगिताऐ भी आयोजित होंगी।
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