दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड़ न्यूज ।। बरसात सिर पर आफत बनकर बरसी तो पुराने मकान की छत भरभराकर टूट पड़ी। 28 साल के चंद्रनाथ बड़ी कठिनाईयों में अपनी 80 वर्षीय बूढ़ी माँ के साथ इस घर में जैसे तैसे गुजर बसर कर रहा था लेकिन प्रकृति की मार ने अब सबकुछ बर्बाद कर दिया।

Featured Image

सरकारी योजनाओं में पात्रता भले ही मानकों को लेकर मिलती है लेकिन धरातलीय हालतों पर सुनवाई नहीं हो पाती। वो भी तब, जब प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुँच कर जांच भी पूरी करते है लेकिन राहत पहुँचते पहुँचते पात्र सबकुछ गवाँ देता है। ऐसा ही हालत देश में बंट रहे प्राधानमंत्री आवास को लेकर भी है जिसमें बीपीएल और पात्र गरीबों को तमाम जांच और औपचारिकताओं के बाद भी आवास नहीं मिल पा रहा है। अगस्त्यमुनि ब्लॉक के मणिगुह गाँव में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहाँ जाँच के तीन साल गुजरने पर गरीब महिला और उसके पुत्र को पीएम आवास नहीं मिल पाया है। अगस्त्यमुनि ब्लाॅक में बीती 27 जुलाई को राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा मणिगुह गाँव आकर युवा चंद्रनाथ के घर का मौका मुआवना किया गया और दयनीय हालत को देखते हुए फौरी तौर पर तिरपाल और अन्य कार्यवाही की बात कही गई थी। एक अदद तिरपाल तो मिला लेकिन उस तिरपाल के नीचे कैसे जीवन चले ये यक्ष प्रश्न है। चंद्रनाथ कहते है मैं बीपीएल परिवार से हूँ, विगत सालों से बार बार घर की दयनीय हालत पर आवास देने की मांग की लेकिन जांच पड़ताल के बाद कुछ नही हुआ। वर्ष 2021 में ग्राम पंचायत अधिकारी और राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा मेरे घर का निरीक्षण कर आवास का पात्र बताया था। लेकिन तीन साल दिलासे में ही बीत गए। इस बार की बरसात ने तो छत ही गिर गई और दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई। मैं और मेरी 70 वर्षीय बूढ़ी माँ सुरेशी देवी भी इसी हालत में यहा रह रहे है। मैं बीपीएल परिवार से हूँ, दीवार गिरने से घर के बर्तन, बिस्तर सब कुछ बर्बाद हो गया है। चंद्रनाथ ने तहसीलदार रूद्रप्रयाग को दैवीय आपदा से मकान के टूटने और दयनीय हालत पर प्रार्थना पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने आवास की व्यवस्था होने तक टेंट और तिरपाल और उचित मुआवजा देने की मांग की है।ग्राम प्रधान मणिगुह जोत सिंह रावत ने भी चंद्रनाथ को आवास दिए जाने का तस्दीक की है।