गुणानंद जखमोला / देहरादून  बागेश्वर पुलिस ने कल बागनाथ मंदिर जा रहे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार को धर-दबोचा। वह बागेश्वर उपचुनाव में उथल-पुथल मचाने के इरादे से बागेश्वर गया था। और चुनाव कैसे प्रभावित हों, इस षड़यंत्र की योजना मंदिर में बनाई जानी थी। चूंकि बॉबी हिन्दू नहीं, बेरोजगार है, इसलिए उसे एलआईयू के मजबूत और जबरदस्त सूचना तंत्र के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किया गया। उसके साथ चार और खतरनाक युवकों को पकड़ लिया। इस उपलब्धि के बागेश्वर पुलिस को बधाई। एसपी

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प्रह्लाद कोंडे को इस उपलब्धि पर राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलना चाहिए कि उन्होंने पांच बेरोजगारों से पांच-पांच हजार रुपये निकलवा दिये। वरना बेचारे बेरोजगार की जेब में यदि दस रुपये हों तो वो दिन भर इतरा-फिरता है और इस रकम को खर्च करने की कई योजनाएं बनाता है। धारा 144 में डीएम को व्यापक अधिकार मिलते हैं। ऐसे में डीएम अनुराधा पाल के लिए भी विशेष पुरस्कार की व्यवस्था की जानी चाहिए। कि इन दोनों सुपर ह्यूमैन ने पांच बेरोजगारों को धर-दबोचा। जब संविधान में गुंडों, बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास के आरोपियों को देश के संबसे बड़े मंदिर में बैठने का अधिकार दिया गया है तो बॉबी पंवार को यह अधिकार क्यों नहीं कि वह निहत्था बागेश्वर उपचुनाव में घूम सके? यह बता दूं कि उत्तराखंड के 19 विधायकों पर आपराधिक और 10 विधायकों पर गंभीर धाराओं में मामले चल रहे हैं। पुलिस और चुनाव अधिकारी अनुराधा पॉल किसकी नौकरी कर रहे हैं? क्या खतरा हो गया? लोकतंत्र में सवाल पूछने और अपनी बात रखने की आजादी है। फिर बॉबी से शासन-प्रशासन को दिक्कत है। किसके इशारे पर बॉबी पंवार और उसके साथियो को हिरासत में लिया गया। हद है। इतना डर अच्छा नहीं है। एक दिन ऐसा भी आएगा जब नेताओं से हर गली में सवालों की बौछार होगी तो तब डीएम-एसपी क्या करेंगे, क्या घर-घर करेंगे गिरफ्तारी?