भानु भट्ट/ बसुकेदार / दस्तक पहाड न्यूज-   मंदाकिनी घाटी के आराध्य भगवान साणेश्वर महाराज के गाँव सिल्ला में केदार बद्री श्रमसमिति द्वारा पौराणिक लोकगीतों के संरक्षण और नयी पीढ़ी तक इनकी गाथाओं को ले जाने के लिए सांस्कृतिक जागरण का भावप आयोजन किया गया।

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रविवार को सिल्ला गाँव स्थित भगवान साणेश्वर महाराज के प्रांगण में मंदाकिनी घाटी के पुराने लोकगीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति ने उपस्थित जनमानस को भावुक कर दिया। केदार बद्री श्रमसमिति के द्वारा यह आयोजन महिलाओं को अपनी पौराणिक परम्परा, लोकगीत, लोकगाथाओं के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से किया गया। जिसमें गाँव की ही बेटियों और महिलाओ ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर लोकगायिका आरती गुसाई ने मधुर आवाज में भगवान साणेश्वर के पौराणिक लोकगीत गा कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। महिला मंगल दल डडोली की सुंदर प्रस्तुति (कलकल गंगा की पुरानी टीम रैबार के कलाकारों के द्वारा निर्मित साण जग्गी कैसेट का गीत 'जा भूली सैसर' ने तो हर किसी की आँख नम कर दी। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य सावन सिंह नेगी ने कहा लोकगीत किसी भी क्षेत्र की जीवंत पहचान होते है, इनमें इतिहास, समाज और भौगोलिक परिस्थितियों का भावपूर्ण वर्णन होता है। उन्होंने आयोजनकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा पाश्चात्य संगीत की दुनिया में लोकगीत संगीत को महत्व देकर बद्री केदार श्रमसमिति ने सराहनीय प्रयास किया है। इस अवसर पर प्रधान डांगी, प्रधान सिल्ला, प्रधान डडोली सुमान सिंह रोथान व क्षेत्र की महिला मंगल दल की महिलाऐ उपस्थित रही।