क्रान्ति भट्ट  / गोपेश्वर  दस्तक पहाड न्यूज।   कथा है कि जब हिमालय से तप कर देवाधिदेव महादेव मां पार्वती से मिलने आये। उस समय मां पार्वती ने स्नान करने गयीं थी। उन्होंने अपने पुत्र गणेश को आदेश दिया । कि मैं कुंड सरोवर में स्नान करने जा रही हूं। किसी को आने नहीं देना पहरे पर रहना । श्री गणेश ने कहा माता जी ऐसा ही होगा। कुछ देर बाद भगवान भोलेनाथ कैलाश से आये वे अपनी अर्धांगिनी पार्वती जी से मिलने के लिए जैसे ही आगे बढ़ने लगे। बालक गणेश ने उन्हें रोक कर कहा ! " आप अभी नहीं मिल सकते! मेरी मां

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स्नान कर रहीं हैं। देवाधिदेव महादेव को बालक गणेश की बात अच्छी नहीं लगी। वे क्रोधित हुये। वे फिर आगे बढ़ने लगे । बालक गणेश ने फिर भगवान शिव का रास्ता रोक दिया । दोनों में युद्ध हो गया । क्रोध में आकर देवादिदेव शिव शंकर का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।  उसी समय मां पार्वती स्नान कर लौटीं तो बालक का सिर विहीन शरीर देख कर और वहां भोले शंकर को क्रोध अवस्था में देख दुखी हो गईं और पूरा मामला जानना चाहा । भगवान शंकर ने कहा मैं आप से मिलने आ रहा था। इस बालक ने रोक कर कहा मेरी मां स्नान कर रहीं हैं आप नहीं मिल सकते।  जब वे स्नान पूजा से निवृत हों तब उनका आदेश मिलने पर आप मिल सकते हैं। भगवान शिव ने कहा मैं ने कहा भी कि मैं उनका पति हूं। पर इस बालक ने फिर भी मुझे रोका मैं ने क्रोध में आकर इनका सिर काट दिया इस मां पार्वती दुखी हुयीं। उन्होंने कहा ! आप ने यह क्या कर दिया। अपने पुत्र का ही सिर काट दिया ! मैंने ही उसे आदेश दिया था कि जब तक मैं स्नान पूजा से निवृत नहीं हो जाती मुझसे मिलने के लिए किसी को अनुमति नहीं है। बालक गणेश ने आदेश का पालन कियाऔर आप ने यह कृत्य कर दिया ! इस पर भगवान भोलेनाथ को अपनी ग़लती का अहसास हुआ । और तब गणेशजी के सिर पर हाथी को बच्चे का सिर लगा दिया गया। [caption id="attachment_33404" align="aligncenter" width="720"] मुंड कट्या गणेश[/caption] भोले नाथ शिव शंकर के कैलाश केदारनाथ और गौरी ( मां पार्वती ) कुंड मार्ग पर गौरी कुंड और सोनप्रयाग के बीच जंगल में आज भी इस कथा और प्रसंग को प्रमाणित करते " मुंड कट्या गणेश " का पवित्र विग्रह है। वही भोलेनाथ , वहीं कैलाश हिमालय केदारनाथ । वही कुंड ( गौरी कुंड ) जिसमें मां पार्वती स्नान कर रहीं थीं । वहीं स्थान जहां पर तैनात गणेश जी ने भोले नाथ को रोका । वही स्थान जहां पर महादेव ने युद्ध कर गणेश का सिर काटा । वह हिमालयी क्षेत्र मुंड कट्या गणेश क्षेत्र । कथा , विस्वास और प्रसंग को प्रमाणित करता श्री गणेश का विग्रह ।