दस्तक पहाड न्यूज  / अगस्त्यमुनि नन्दाष्टमी के पावन पर्व पर लगने वाले तीन दिवसीय जागतोली दशज्यूला महोत्सव मेले की तैयारियां जोरो पर हैं। 23 सितम्बर से शुरू होने वाले इस मेले को लेकर दशज्यूला क्षेत्रवासियों सहित संस्कृति प्रेमी, प्रवासी बन्धु, धियाणियां खासे उत्साहित हैं।

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जानकारी देते हुये मेला समिति के अध्यक्ष जयवर्धन काण्डपाल ने बताया कि 1958 से जागतोली में शुरू हुये इस मेले को 2019 में क्षेत्र के युवाओं ने वृहद रूप में आयोजित करते हुये इसे तीन दिवसीय बनाया। यह मेला प्रतिवर्ष नन्दाष्टमी से शुरू होता है। जिसमें स्कूली बच्चों की सांस्कृतिक एवं खेलकूद प्रतियोगिता, महिला मंगल दलों के कार्यक्रमों के साथ साथ स्थानीय कलाकारों को मंच दिया जाता है। साथ ही यह आयोजन दशज्यूला क्षेत्र को नयी पहचान भी दे रहा है।   मेले के सचिव कालिका काण्डपाल ने कहा कि स्थानीय उत्पादों की विक्री, विभिन्न विभागों द्वारा विभागीय योजनाओं के स्टालों, गायक दिगम्बर विष्ट, सुमान सिंह रौथाण, सीमा गुंसाई, हेमन्त बुटोला, तानिया राणा सहित उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोकगायक किशन महिपाल की प्रस्तुति इस वर्ष मेले के आकर्षण का केन्द्र होंगे। मेले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद गढ़वाल तीर्थ सिंह रावत, प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल सहित केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, पूर्व विधायक मनोज रावत, जिलापंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, ब्लाक प्रमुख विजया देवी सहित जनप्रतिनिधि, स्थानीय कलाकारों, संस्कृति प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता को आमंत्रित किया गया है। मेला संयोजक निधे किशोर ने जानकारी देते हुये बताया कि मेले के पहले दिन स्कूली बच्चों की लोकगीत और लोकनृत्य की प्रतियोगिता, कबड्डी एवं खो-खो प्रतियोगिता करायी जायेगी। दूसरे दिन दशज्यूला क्षेत्र के सभी गावों के महिला मंगल दलों की मांगल गीत व झुमेलो प्रतियोगिता होगी। मेला सांस्कृतिक सचिव संजय नेगी ने बताया कि मेले के तीसरे दिन सुप्रसिद्ध लोकगायक किशन महिपाल की टीम व संगम कलामंच के कलाकरों द्वारा संस्कृति प्रस्तुतिया दी जाएंगी। पुरस्कार वितरण समारोह के साथ मेले का समापन किया जायेगा। साथ भी मेले मे प्रथम पुरस्कार स्कूटी की लाटरी भी लोगों को उत्साहित कर रही है। मेला उपाध्यक्ष दलीप राणा, भुवेन्द्र नेगी, संरक्षक लखपत भण्डारी, कोषाध्यक्ष राय सिंह नेगी, सह संयोजक सुभाष चौहान, विमल विष्ट, प्रभात विष्ट, आशुतोष पुरोहित के अनुसार यह मेला दशज्यूला क्षेत्र की सांस्कृतिक, सामाजिक पहचान है, जिसमें दशज्यूला के प्रत्येक गाँव की भागीदारी होती है।