दिल्ली। संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पेश हो गया है। इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है। महिला आरक्षण बिल 27 साल से अटका पड़ा था 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था। साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया। अब इस बिल को फिर संसद में लाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया है। इस बिल पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी। यहां से बिल पास कराने में सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी। लोकसभा से पास होने के बाद बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देता है। बिल के कानून बनने से लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें

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महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी। यानी लोकसभा में अभी 543 सीटें हैं। इनमें से 181 सीटें महिलाओं के लिए होंगी। इसी तरह विधानसभाओं में जितनी सीटें होंगी, उसकी 33% सीटें रिजर्व रहेंगी। उदाहरण के लिए- उत्तराखंड विधानसभा में 70 सीटें हैं, उसकी 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी। बिल को सिर्फ संसद से पास कराने की जरूरत है। बिल कानून बनता है तो सभी राज्यों में भी लागू होगा। इसके लिए राज्यों की मंजूरी जरूरी नहीं है। इसलिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा।महिलाओं को आरक्षण सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं में मिलेगा। राज्यसभा और विधान परिषद में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा। एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण नहीं है. उन्हें आरक्षण के अंदर ही आरक्षण मिलेगा, यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी। इसके लागू होने में लंबा वक्त लग सकता है। बताया जा रहा है कि जनगणना के जब परिसीमन होगा, तब ये कानून लागू होगा। यानी, 2024 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं होगा।