महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के भूगोल विभाग ने मनाया “गढ़भोज” दिवस
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07/10/20234:28 pm
दस्तक पहाड न्यूज / अगस्त्यमुनि
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के स्नातकोत्तर के छात्र / छात्राओं ने 7 अक्टूबर 2023 को “गढ़भोज दिवस” का आयोजन किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एल.डी. गार्गी जी ने की । विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए डा. गार्गी जी ने बताया कि हमारे गढ़वाल क्षेत्र में जिस प्रकार बोली, भाषा व पहनावा की संस्कृति में परिवर्तन आया है उसी तरह हमारे खान – पान की संस्कृति में भी परिवर्तन आ गया है । पारम्परिक खाद्य सामग्री में जो पौष्टिकता थी , जिससे सम्पूर्ण जनमानस स्वस्थ एवं हष्ट-पुष्ट रहता था तथा उनकी प्रतिरोधक क्षमता काफी उच्च स्तरीय रहती थी जिससे वे अपने दैनिक कार्यों को कुशलता पूर्वक संचालित करते थे । किन्तु वर्तमान में आधुनिक खाद्य पदार्थों के चलन से नयी पीढ़ी के युवाओं के स्वास्थ्य व प्रतिरोधक क्षमता में निरंतर गिरावट होती जा रही है । डा. गार्गी जी ने कचनार, पनेर, मडुआ, झींगोरा, कोदों, कंडाली, जलराई, क्युड़िया इत्यादि के पौष्टिक व औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला । डा. ममता शर्मा जी ने अपने सम्बोधन में बताया कि वर्तमान समय में हम फास्ट फ़ूड की संस्कृति का अनुसरण करते जा रहे है जो कि वर्तमान और भावी पीढ़ी की मानसिकता व स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर रही है । स्वस्थ जीवन के लिए हम सभी को अपनी पारम्परिक खाद्य सामग्री को प्रचलन में लाना आवश्यक है । डा. अखिलेश्वर कुमार द्विवेदी जी ने बताया कि जिस प्रकार हमारे देश की संस्कृति एवं इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया व विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया ठीक उसी प्रकार हमारे स्थानीय खाद्य पदार्थों की महत्ता को भी प्रस्तुत किया गया है । इस “गढ़भोज दिवस” का मुख्य उद्देश्य अपनी परंपरागत भोज्य सामग्री के महत्व को समझना व उसको आत्मसात करना है ।
छात्रा सोनाली ने बताया कि श्री द्वारिका प्रसाद सेमवाल जी के कथन कोंदा – “झींगोरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे” को चरितार्थ करने का समय आ गया है। छात्रा दिव्या भंडारी ने बताया कि हमें अपने पारम्परिक खाद्य सामग्री के महत्व को समझना व आत्मसात करना आवश्यक है । कार्यक्रम संचालक छात्र अंशुल ने बताया कि गढ़भोज का प्रारम्भ वर्ष 2020 में किया गया व वर्ष 2021 में गढ़भोज वर्ष के रूप में मनाया गया तथा वर्ष 2022 में मिड डे मील में इसे सम्मिलित भी किया गया ।
कार्यक्रम में छात्रा प्रीती, लक्ष्मी, सुहानी, रश्मि, स्वाति, अंजली, संध्या, ज्योति, अंजू, सोनी व निकिता उपस्थित रहे ।
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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के स्नातकोत्तर के छात्र / छात्राओं ने 7 अक्टूबर 2023 को "गढ़भोज दिवस" का आयोजन किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता
भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एल.डी. गार्गी जी ने की । विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए डा. गार्गी जी ने बताया कि हमारे गढ़वाल क्षेत्र में जिस प्रकार
बोली, भाषा व पहनावा की संस्कृति में परिवर्तन आया है उसी तरह हमारे खान - पान की संस्कृति में भी परिवर्तन आ गया है । पारम्परिक खाद्य सामग्री में जो
पौष्टिकता थी , जिससे सम्पूर्ण जनमानस स्वस्थ एवं हष्ट-पुष्ट रहता था तथा उनकी प्रतिरोधक क्षमता काफी उच्च स्तरीय रहती थी जिससे वे अपने दैनिक कार्यों को
कुशलता पूर्वक संचालित करते थे । किन्तु वर्तमान में आधुनिक खाद्य पदार्थों के चलन से नयी पीढ़ी के युवाओं के स्वास्थ्य व प्रतिरोधक क्षमता में निरंतर
गिरावट होती जा रही है । डा. गार्गी जी ने कचनार, पनेर, मडुआ, झींगोरा, कोदों, कंडाली, जलराई, क्युड़िया इत्यादि के पौष्टिक व औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला । डा. ममता
शर्मा जी ने अपने सम्बोधन में बताया कि वर्तमान समय में हम फास्ट फ़ूड की संस्कृति का अनुसरण करते जा रहे है जो कि वर्तमान और भावी पीढ़ी की मानसिकता व स्वास्थ्य
पर विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर रही है । स्वस्थ जीवन के लिए हम सभी को अपनी पारम्परिक खाद्य सामग्री को प्रचलन में लाना आवश्यक है । डा. अखिलेश्वर कुमार
द्विवेदी जी ने बताया कि जिस प्रकार हमारे देश की संस्कृति एवं इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया व विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया ठीक उसी प्रकार
हमारे स्थानीय खाद्य पदार्थों की महत्ता को भी प्रस्तुत किया गया है । इस "गढ़भोज दिवस" का मुख्य उद्देश्य अपनी परंपरागत भोज्य सामग्री के महत्व को समझना व
उसको आत्मसात करना है ।
छात्रा सोनाली ने बताया कि श्री द्वारिका प्रसाद सेमवाल जी के कथन कोंदा - "झींगोरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे" को चरितार्थ करने का समय आ गया है। छात्रा
दिव्या भंडारी ने बताया कि हमें अपने पारम्परिक खाद्य सामग्री के महत्व को समझना व आत्मसात करना आवश्यक है । कार्यक्रम संचालक छात्र अंशुल ने बताया कि गढ़भोज
का प्रारम्भ वर्ष 2020 में किया गया व वर्ष 2021 में गढ़भोज वर्ष के रूप में मनाया गया तथा वर्ष 2022 में मिड डे मील में इसे सम्मिलित भी किया गया ।
कार्यक्रम में छात्रा प्रीती, लक्ष्मी, सुहानी, रश्मि, स्वाति, अंजली, संध्या, ज्योति, अंजू, सोनी व निकिता उपस्थित रहे ।