मन्दाकिनी घाटी की सुप्रसिद्ध श्री अगस्त्य रामलीला प्रारम्भ, कला, संगीत के साथ दिव्य मंचन
1 min read25/10/2023 1:25 pm
हरीश गुसाई / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज। मन्दाकिनी घाटी की प्रसिद्ध रामलीला में से एक श्री अगस्त्य रामलीला विजया दशमी से प्रारम्भ हो गई। अगस्त्यमुनि में आयोजित रामलीला के प्रथम दिन श्रवण कुमार की कथा तथा लंकापति रावण के अहंकार को चूर करने वाली कैलाश लीला का मंचन किया गया। देर रात तक दर्शक लीला का आनन्द उठाते रहे। गणेश वन्दना के साथ प्रारम्भ हुई रामलीला के पहले दिन श्रवण कुमार की कथा का मंचन हुआ। जिसमें राजा दशरथ के शब्दभेदी वाण से श्रवण कुमार की मृत्यु, पुत्र शोक में श्रवण कुमार के वृद्ध एवं अन्धे माता पिता का अपने प्राण छोड़ना तथा राजा दशरथ को पुत्रशोक में विलख विलख कर प्राण त्यागने का श्राप देने का मंचन किया गया। श्रवण कुमार बने रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुशील गोस्वामी के शानदार अभिनय से पूरे दृश्य को भाव विह्वल बना दिया। रामलीला मंचन के पहले दिन के अन्तिम भाग में लंकापति रावण के अहंकार को महादेव द्वारा तोड़े जाने की कथा का मंचन किया गया। लंकापति रावण द्वारा तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे सर्वशक्तिमान होने का वरदान मांगा गया। जबकि कुम्भकरण ने छः माह की नींद तथा विभीषण ने भक्ति की राह पर चलने का वरदान मांगा। लंकापति रावण वरदान से खुश होकर लंका में खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था। तभी नारद मुनि लंका के भ्रमण पर आये तथा रावण को ब्रह्मा जी द्वारा दिए गये वरदान की परीक्षा करने के लिए उकसाने लगे। उन्होंने रावण को सलाह दी कि कैलाश पर्वत को महादेव सहित उठाकर लंका में ले आना। इससे तुम्हारे सर्वशक्तिमान हाने का पुष्टि भी होगी और ब्रह्मा जी द्वारा दिए गये वरदान की परीक्षा भी। रावण अपनी शक्ति के मद में कैलाश पर्व पर पहुंचकर कैलाश को हिलाने लगा। माता पार्वती के डरने की बात से महादेव क्रोधित हो गये और उन्होंने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबाना प्रारम्भ कर दिया। महादेव द्वारा कैलाश पर्वत को दबाने से रावण की भुजा दब गई। रावण दर्द से त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगा। हारकर रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव स्तुति का गान करने लगा। महादेव ने खुश होकर न केवल रावण को क्षमा कर दिया बल्कि उसे उपहार में चन्द्रहास नामक खड्ग भी दे दिया। नारद मुनि की भूमिका में विक्की रावत, रावण की भूमिका में बाघसिंह, राजा दशरथ की भूमिका में जितेन्द्र रावत तथा महादेव की भूमिका में बलदीप कण्डारी ने शानदार अभिनय किया। वहीं मंत्री की भूमिका में त्रिभुवन नेगी ने भी अच्छा कार्य किया। इससे पूर्व पहले दिन की रामलीला का शुभारम्भ वरिष्ठ पत्रकार हरीश गुसाईं, अनसूया मलासी तथा दीपक बेंजवाल ने रिबन काटते हुए गणेश वन्दना के साथ किया। उन्होंने भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की अपील की। कहा कि रामलीला से हमें जीवन में यही सीख मिलती है कि कभी भी गलत आचरण नहीं करना चाहिए, सभी की मदद करना और दुःख के समय में भी मर्यादा का पालन कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। रामलीला मंचन का संचालन करते हुए आचार्य गंगाराम सकलानी ने बताया कि विगत एक माह से समिति के सदस्य पात्रों के साथ रिहर्सल कर रहे थे। हारमोनियम पर हेमन्त फरस्वाण, तबले पर अखिलेश गोस्वामी ने साथ दिया। इस अवसर पर कमेटी के उपाध्यक्ष कमलेश जमलोकी, सचिव विक्की आनन्द सजवाण, गजेन्द्र रौतेला, माधवसिंह नेगी, उमा कैन्तुरा, विनीता रौतेला, ललिता रौतेला, सौरव बिष्ट सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Advertisement

खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।

जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
मन्दाकिनी घाटी की सुप्रसिद्ध श्री अगस्त्य रामलीला प्रारम्भ, कला, संगीत के साथ दिव्य मंचन
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129