दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड न्यूज।  आगे-आगे राम चलत है पीछे लक्ष्मण भ्रात, कोमल बदन है जानकी चले उनके साथ...चले सिया राम लखन वन को। बड़ी संख्या में अवध की प्रजा बनी अगस्त्यमुनि की जनता ने रमचरित की इन पंक्तियों को गाते हुए वनवास गमन के दृश्य को जीवंत बना दिया।

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मंदाकिनी घाटी की सुप्रसिद्ध श्री अगस्त्य रामलीला में शनिवार को भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण का वन गमन किया गया। इस दौरान पिता-पुत्र प्रेम, राजा दशरथ-कैकेयी संवाद, राम-सीता व लक्ष्मण का वन गमन व अयोध्या की प्रजा का राम प्रेम देख दर्शक भाव-विभोर हो गए और उनके आंसू छलक आए। वहीं राम-सीता व लक्ष्मण के वन जाने की बात जैसे ही भरत को मिली तो वह भी तुरंत वन को निकल गए। कलाकारों ने अपने दमदार अभिनय से मंचन को जीवंत बना दिया। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुशील गोस्वामी ने बताया कि भगवान राम के वनवास का मंचन बेहद भावुक होता है, पात्र और दर्शक हर कोई इस मंचन को हृदय से जोड़ता है। मंदाकिनी घाटी में रामलीला मंचन ऐतिहासिक होने के साथ पौराणिक महत्व का भी है, महामुनि अगस्त्य की इस भूमि में राम की लीला अद्भुत संयोग है। दर्शकों से अधिक से अधिक संख्या में रामलीला को देखने आए, पात्रों के प्रोत्साहित करे और रामगाथा का श्रवण कर सनातन संस्कृति को संरक्षण प्रदान करें।