तुंगनाथ की डोली पहुंची शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ, उमड़ा भक्तों का हुजूम, अनूठा था देवता का शाही भोग ” शै “
1 min read
03/11/20235:10 pm
विनोद नौटियाल / मक्कूमठ
दस्तक पहाड न्यूज। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान हो गए है। अब अगले छह माह तक भगवान तुंगनाथ की पूजा अर्चना यहीं की जाएगी। पुजारियों द्वारा विधि-विधान के साथ आराध्य की भोगमूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है। इस दौरान पूरा क्षेत्र बाबा तुंगनाथ के जयकारों से गूंज उठा।
शुक्रवार को भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली दोपहर बाद दो बजे मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ पहुंची। मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमा के बाद डोली भूतनाथ मंदिर पहुंची और दर्शनों के उपरांत अपने महाभोग “शै” के लिए पहुँची। जहाँ पंचपुरोहितों द्वारा वेदमंत्रों से भगवान तुंगनाथ को महाभोग अर्पित किया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में भक्तों ने महाभोग ग्रहण किया। शै ( शाही भोग) के बाद इस मौके पर मक्कुमठ गांव के ग्रामीणों ने आराध्य के दर्शन कर उन्हें सामूहिक अर्घ्य लगाया। मौके पर पुजारियों ने मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी के हाथों विशेष पूजा-अर्चना एवं दान परंपरा का निर्वहन कराया। इसके उपरांत तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की भोग मूर्तियों को मार्केण्डेय मंदिर के गर्भगृह में छह माह की पूजा-अर्चना के लिए विराजमान किया गया।
इससे पूर्व सुबह 9 बजे तृतीय केदार की चल उत्सव डोली ने भनकुन गुफा से ग्वाड़ पहुँची, यहाँ ग्रामीणों द्वारा भगवान को सामूहिक अर्घ्य लगाया गया। जिसके बाद दोपहर 12 बजे राक्षी नदी में स्नान कर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप और भक्तों के जयकारों के बीच तकरीबन 1 बजे शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ स्थित मर्कटेश्वर मंदिर परिसर में पहुँची।
शाही भोग
क्या है शै यानी शाही भोग
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली के अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ पहुंचने पर दो दशक बाद शै भोग(शाही भोग) का आयोजन किया गया। देवरा यात्रा के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी ने बताया कि वर्ष 18-19 में भगवान तुंगनाथ की देवरा यात्रा के पहले चरण में तीस जूला (खदेड़)पट्टी के गांवों का भ्रमण किया गया। वर्ष 19-20 में द्वितीय चरण की यात्रा में ऊखीमठ,कालीमठ एवं मध्यमहेश्वर घाटी के गांवों में भ्रमण हुआ। देवरा यात्रा के तृतीय चरण के दौरान वर्ष 21-22 में शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में चौदह दिवसीय महायज्ञ का आयोजन हुआ तथा चौथे चरण में इसी वर्ष तीस जूला (खदेड़)पट्टी के गांवों के ग्रामीणों द्वारा श्रावण मास में तुंगनाथ धाम में तीन दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया गया और अब अन्तिम और पांचवें चरण में शै भोग का आयोजन किया जा रहा है। तुंगनाथ मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी ने बताया कि शै भोग अपने आप में एक विशिष्ट आयोजन है जिसमें सैकड़ों गांवों के हजारों लोग इस आयोजन में शामिल होते हैं और भगवान का प्रसाद रूपी भोग गृहण करते हैं तथा भगवान तुंगनाथ प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि और अन्न-धन का आशीर्वाद भक्तों को देते हैं। शै भोग प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि महाभोग में पांच कुंटल चावलों द्वारा केसरिया भोग बनाकर भगवान तुंगनाथ को अर्पित करने के बाद भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया गया।
इस मौके पर पूर्व विधायक आशा नौटियाल, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट, मंदिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, हाईकोर्ट जज रविन्द्र मैठाणी,मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, तुंगनाथ मंदिर के मठापति रामप्रसाद मैठाणी, सहयोग प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रधान मक्कूमठ विजयपाल सिंह नेगी, प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर सिंह पुष्पवान, राकेश नेगी, प्रबंधक बलवीर नेगी, तुंगनाथ मंदिर के पुजारी अतुल मैठाणी, विनोद मैठाणी, सुरेंद्र मैठाणी, गीतराम मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, चंद्रबल्लभ मैठाणी, आचार्य लंबोधर मैठाणी, विजय मैठाणी, प्रवीण मैठाणी, उमा दत्त मैठाणी समेत बड़ी संख्या में पंचपुरोहित सहित कई भक्तजन मौजूद थे।
देश और दुनिया सहित स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहे दस्तक पहाड़ से।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
तुंगनाथ की डोली पहुंची शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ, उमड़ा भक्तों का हुजूम, अनूठा था देवता का शाही भोग ” शै “
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
भारत में सशक्त मीडिया सेंटर व निष्पक्ष पत्रकारिता को समाज में स्थापित करना हमारे वेब मीडिया न्यूज़ चैनल का विशेष लक्ष्य है। खबरों के क्षेत्र में नई क्रांति लाने के साथ-साथ असहायों व जरूरतमंदों का भी सभी स्तरों पर मदद करना, उनको सामाजिक सुरक्षा देना भी हमारे उद्देश्यों की प्रमुख प्राथमिकताओं में मुख्य रूप से शामिल है। ताकि सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की संकल्पना को साकार किया जा सके।
विनोद नौटियाल / मक्कूमठ
दस्तक पहाड न्यूज। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान हो गए है। अब अगले छह माह तक भगवान तुंगनाथ
की पूजा अर्चना यहीं की जाएगी। पुजारियों द्वारा विधि-विधान के साथ आराध्य की भोगमूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है। इस दौरान पूरा
क्षेत्र बाबा तुंगनाथ के जयकारों से गूंज उठा।
[caption id="attachment_34229" align="aligncenter" width="1156"] भक्तों के बीच बाबा की डोली[/caption]
शुक्रवार को भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली दोपहर बाद दो बजे मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ पहुंची। मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमा के बाद डोली भूतनाथ
मंदिर पहुंची और दर्शनों के उपरांत अपने महाभोग "शै" के लिए पहुँची। जहाँ पंचपुरोहितों द्वारा वेदमंत्रों से भगवान तुंगनाथ को महाभोग अर्पित किया गया। इस
दौरान हजारों की संख्या में भक्तों ने महाभोग ग्रहण किया। शै ( शाही भोग) के बाद इस मौके पर मक्कुमठ गांव के ग्रामीणों ने आराध्य के दर्शन कर उन्हें सामूहिक
अर्घ्य लगाया। मौके पर पुजारियों ने मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी के हाथों विशेष पूजा-अर्चना एवं दान परंपरा का निर्वहन कराया। इसके उपरांत तृतीय केदार
भगवान तुंगनाथ की भोग मूर्तियों को मार्केण्डेय मंदिर के गर्भगृह में छह माह की पूजा-अर्चना के लिए विराजमान किया गया।
इससे पूर्व सुबह 9 बजे तृतीय केदार की चल उत्सव डोली ने भनकुन गुफा से ग्वाड़ पहुँची, यहाँ ग्रामीणों द्वारा भगवान को सामूहिक अर्घ्य लगाया गया। जिसके बाद
दोपहर 12 बजे राक्षी नदी में स्नान कर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप और भक्तों के जयकारों के बीच तकरीबन 1 बजे शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ स्थित मर्कटेश्वर
मंदिर परिसर में पहुँची।
[caption id="attachment_34230" align="aligncenter" width="1156"] शाही भोग[/caption]
क्या है शै यानी शाही भोग
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली के अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ पहुंचने पर दो दशक बाद शै भोग(शाही भोग) का आयोजन
किया गया। देवरा यात्रा के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी ने बताया कि वर्ष 18-19 में भगवान तुंगनाथ की देवरा यात्रा के पहले चरण में तीस जूला (खदेड़)पट्टी के गांवों
का भ्रमण किया गया। वर्ष 19-20 में द्वितीय चरण की यात्रा में ऊखीमठ,कालीमठ एवं मध्यमहेश्वर घाटी के गांवों में भ्रमण हुआ। देवरा यात्रा के तृतीय चरण के दौरान
वर्ष 21-22 में शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में चौदह दिवसीय महायज्ञ का आयोजन हुआ तथा चौथे चरण में इसी वर्ष तीस जूला (खदेड़)पट्टी के गांवों के ग्रामीणों
द्वारा श्रावण मास में तुंगनाथ धाम में तीन दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया गया और अब अन्तिम और पांचवें चरण में शै भोग का आयोजन किया जा रहा है। तुंगनाथ मंदिर के
मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी ने बताया कि शै भोग अपने आप में एक विशिष्ट आयोजन है जिसमें सैकड़ों गांवों के हजारों लोग इस आयोजन में शामिल होते हैं और भगवान का
प्रसाद रूपी भोग गृहण करते हैं तथा भगवान तुंगनाथ प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि और अन्न-धन का आशीर्वाद भक्तों को देते हैं। शै भोग प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने
बताया कि महाभोग में पांच कुंटल चावलों द्वारा केसरिया भोग बनाकर भगवान तुंगनाथ को अर्पित करने के बाद भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया गया।
इस मौके पर पूर्व विधायक आशा नौटियाल, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट, मंदिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, हाईकोर्ट जज रविन्द्र मैठाणी,मुख्य
प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, तुंगनाथ मंदिर के मठापति रामप्रसाद मैठाणी, सहयोग प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रधान मक्कूमठ विजयपाल सिंह नेगी,
प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर सिंह पुष्पवान, राकेश नेगी, प्रबंधक बलवीर नेगी, तुंगनाथ मंदिर के पुजारी अतुल मैठाणी, विनोद मैठाणी, सुरेंद्र मैठाणी, गीतराम
मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, चंद्रबल्लभ मैठाणी, आचार्य लंबोधर मैठाणी, विजय मैठाणी, प्रवीण मैठाणी, उमा दत्त मैठाणी समेत बड़ी संख्या में पंचपुरोहित सहित कई
भक्तजन मौजूद थे।