दस्तक पहाड न्यूज। मंदाकिनी शरदोत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या सुप्रसिद्ध लोकगायक किशन महिपाल और उस्ताद बिस्मिलाखान सम्मान से सम्मानित लोकगायिका रेश्मा शाह के गीतों ने शमाँ बाँध दिया।
लोकगायक किशन महिपाल ने भगवान बदरीनाथ के गीत हम छां तेरा लाल, बोला जै बदरीविशाल और रेशमा शाह ने अफू दे सजाई दे… से कार्यक्रमों की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। किशन ने स्याली बंपाली…, मिजाज रूड़ी, सिमन्या बौजी,…, त्वे मिलण औलू स्याली नीती-गमशाली… आदि गीतों की प्रस्तुति दी। उन्होंने किंगारी का झाला घुघुती, पंगारी का डाला घुघुती पर भी किशन ने खूब वाहवाही लूटी। वही बच्चों की फर्माइश पर अपने सुपरहिट गीत मास्टर जी को गाकर उन्हें झूमने पर मजबूर कर,दिया। वही रेश्मा शाह ने भी जौनसारी गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। उनके ‘ले भूजी जाली चूड़ा’ और ‘बिडरुं ना मामिए मेरे जानों से खूब तालियां बटौरी।
कार्यक्रम में उत्तराखंड प्रसिद्ध लोक गायक किशन महिपाल ने कहा कि पहाड़ी सभ्यता जो है वह उनकी विरासत है क्योंकि इन्हीं पहाड़ियों के बीच से निकलकर आज विदेशों तक में उत्तराखंड संस्कृति की झलक को पहुंचा पा रहे हैं। भले ही हम अपने घर से दूर क्यों रहे, लेकिन जहां भी रहे वहां अपनी संस्कृति के माध्यम से अन्य लोगों के बीच भी पहचान बनाएं। उन्होंने नई पीढ़ी के बच्चों को लोकगीतों पर रील, शॉर्ट्स बनाने की बात कही, आज के दौर हमारी लोकभाषा तभी समृद्ध होगी जब हम उसे हर तरह के प्लेटफार्म पर प्रसारित प्रचारित करेंगे। उन्होंने मेले कार्यकारी अध्यक्ष हर्षवर्धन बेंजवाल का आभार जताते हुए कहा कि मेला समिति ने उन्हें यह मौका दिया है, वह लगातार लोक-संस्कृति को संरक्षित कर रहे है।
इस सांस्कृतिक संध्या में नाकोट गाँव के पूर्व प्रधान बलवीर लाल की गजलों ने भी खूब वाह-वाही बटोरी। इस अवसर पर संयोजक विक्रम नेगी, राजेन्द्र भंडारी, सावन नेगी, सभासद नगर पंचायत भूपेंद्र राणा, उमा प्रसाद भट्ट, रमेश बेंजवाल मौजूद रहे। कार्यक्रम में संचालन गंगाराम सकलानी ने किया।
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किंगारी का झाला घुघुती, पंगारी का डाला घुघुती…लोकगायक किशन महिपाल और रेशमा शाह के गीतों ने बाँधा शमाँ
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड न्यूज। मंदाकिनी शरदोत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या सुप्रसिद्ध लोकगायक किशन महिपाल और उस्ताद बिस्मिलाखान सम्मान से सम्मानित लोकगायिका
रेश्मा शाह के गीतों ने शमाँ बाँध दिया।
लोकगायक किशन महिपाल ने भगवान बदरीनाथ के गीत हम छां तेरा लाल, बोला जै बदरीविशाल और रेशमा शाह ने अफू दे सजाई दे... से कार्यक्रमों की शुरुआत की। इसके बाद
उन्होंने एक के बाद एक गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। किशन ने स्याली बंपाली..., मिजाज रूड़ी, सिमन्या बौजी,..., त्वे मिलण औलू स्याली
नीती-गमशाली... आदि गीतों की प्रस्तुति दी। उन्होंने किंगारी का झाला घुघुती, पंगारी का डाला घुघुती पर भी किशन ने खूब वाहवाही लूटी। वही बच्चों की फर्माइश पर
अपने सुपरहिट गीत मास्टर जी को गाकर उन्हें झूमने पर मजबूर कर,दिया। वही रेश्मा शाह ने भी जौनसारी गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। उनके ‘ले भूजी जाली चूड़ा’
और ‘बिडरुं ना मामिए मेरे जानों से खूब तालियां बटौरी।
कार्यक्रम में उत्तराखंड प्रसिद्ध लोक गायक किशन महिपाल ने कहा कि पहाड़ी सभ्यता जो है वह उनकी विरासत है क्योंकि इन्हीं पहाड़ियों के बीच से निकलकर आज
विदेशों तक में उत्तराखंड संस्कृति की झलक को पहुंचा पा रहे हैं। भले ही हम अपने घर से दूर क्यों रहे, लेकिन जहां भी रहे वहां अपनी संस्कृति के माध्यम से अन्य
लोगों के बीच भी पहचान बनाएं। उन्होंने नई पीढ़ी के बच्चों को लोकगीतों पर रील, शॉर्ट्स बनाने की बात कही, आज के दौर हमारी लोकभाषा तभी समृद्ध होगी जब हम उसे हर
तरह के प्लेटफार्म पर प्रसारित प्रचारित करेंगे। उन्होंने मेले कार्यकारी अध्यक्ष हर्षवर्धन बेंजवाल का आभार जताते हुए कहा कि मेला समिति ने उन्हें यह
मौका दिया है, वह लगातार लोक-संस्कृति को संरक्षित कर रहे है।
इस सांस्कृतिक संध्या में नाकोट गाँव के पूर्व प्रधान बलवीर लाल की गजलों ने भी खूब वाह-वाही बटोरी। इस अवसर पर संयोजक विक्रम नेगी, राजेन्द्र भंडारी, सावन
नेगी, सभासद नगर पंचायत भूपेंद्र राणा, उमा प्रसाद भट्ट, रमेश बेंजवाल मौजूद रहे। कार्यक्रम में संचालन गंगाराम सकलानी ने किया।