जगत सिंह चौधरी / जसोली / हरियाली मेरा परम सौभाग्य है कि मैं विश्व को प्रकृति पर्यावरण और संस्कृति से जोड़ने वाली देवी हरियाली देवी के चरणों में रहकर जिनकी प्रेरणा से हम प्रकृति संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। हरियाली देवी एक प्रतीक है प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का हरियाली देवी प्रतीक है जल और जंगल संरक्षण का हरियाली देवी एक प्रतीक है पेड़ों की सुरक्षा करके एक पवित्र मन का निर्माण करने का हरियाली देवी प्रतीक है एक सुदृढ़ पारिस्थितिकीय तंत्र के निर्माण का।

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[caption id="attachment_34469" align="aligncenter" width="1040"] दीपावली पर हरियाली काँठा को जाती देवी[/caption] रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी में स्थित विष्णु शक्ति योग माया हरियाली देवी का सिद्ध पीठ मंदिर स्थित है हजारों लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक हरियाली देवी आध्यात्मिक ऊर्जा संस्कृत ऊर्जा और प्रकृति संरक्षण की ऊर्जा का स्रोत है हरियाली देवी का मूल उत्पत्ति स्थान हरी पर्वत हरियल में स्थित है इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 9500 फिट है इस इस हरियाली देवी के पवित्र वन में हजारों वनस्पति की प्रजातियां विद्यमान है इसके साथ-साथ विभिन्न प्रकार के दुर्लभ वन्य जीव जंतुओं की प्रजातियां भी विद्यमान है हरियाली देवी के इस पवित्र वन से जलधाराएं निकलते हैं जिनसे हजारों लाखों लोगों की जल की आवश्यकता की पूर्ति हो रही है हरियाली देवी का यह जंगल विश्व में जैव विविधता का एक संजीव उदाहरण है।     [caption id="attachment_34471" align="aligncenter" width="960"] हरियाली काँठा मंदिर[/caption] पुरानी कल से ही यहां के लोगों की हरियाली देवी के प्रति आघात आस्था है वह इसको प्रकृति की देवी भी मानते हैं और मां ने भी क्यों नहीं क्योंकि हरियाली देवी के इस जंगल से मानव की विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है चाहे वह जल के रूप में है वह चाहे वह चारापत्ती के रूप में हो या फिर औषधि के रूप में हो लोग हरियाली देवी को वन देवी के रूप में पूजते हैं आज भी यहां के लोग हरियाली देवी के जंगल को संरक्षित रखने में अपनी पूरी भागीदारी निभाते हैं वह इस जंगल को हरियाली देवी का जंगल मानते हैं और इस जंगल में पुराने वृक्षों की पूजा भी करते हैं और यदि जंगल की संपदा का उपभोग करने का सवाल हो तो सूखी हुई लड़कियां ही यहां से प्राप्त की जाती है तथा जंगल को आग से बचाने में पूरी भूमिका निभाई जाती है आज भी यह जंगल अपनी पवित्रता स्वच्छता और जैव विविधता के लिए पूरे विश्व में नायाब उदाहरण है। हरियाली देवी की साल में एक बार यात्रा का आयोजन किया जाता है जो की धार्मिक और सांस्कृतिक तथा पौराणिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न की जाती है सैकड़ो श्रद्धालुओं द्वारा इस यात्रा में भाग लिया जाता है और यह यात्रा रात्रि के समय शुरू होती है जसौली गांव से चलकर यह यात्रा 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद दुर्गम जंगल के रास्तों से होकर हरी पर्वत अपने मूल उत्पत्ति स्थान तक पहुंचती है और इस साल भी विधिवत इस यात्रा का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।। सबका कर्तव्य है हम आध्यात्मिकता के साथ-साथ अपने प्रकृति और पर्यावरण का भी ध्यान रखें और मां हरियाली की इस पवित्र विरासत पवित्र वन का संरक्षण भी हमारा दायित्व है क्योंकि भगवान भी प्रकृति में निवास करता है और उनकी भी यह कामना होती है कि मनुष्य द्वारा प्रकृति का संरक्षण किया जाना चाहिए। जय मां हरियाली।। फोटो आभार।। मुकुल जसोला जी