दस्तक पहाड न्यूज  / अगस्त्यमुनि आज देवउठनी एकादशी है, हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन श्री हरि भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं। इस एकादशी से चातुर्मास का भी समापन हो जाता है. यानी इस एकादशी से विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी पाबंदी हट जाती है। देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी-शालिग्राम का विवाह होता है।

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इस साल देवउठनी एकादशी पर तीन बड़े ही शुभ संयोग बन रहे हैं. इस बार देवउठनी एकादशी पर रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग रहेगा। इन शुभ योगों के चलते देवउठनी एकादशी का महत्व और बढ़ गया है। वैदिक पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11:03 से शुरू होगी और इसका समापन 23 नवंबर रात 9:01 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा। एकादशी के शुभ योग की बात करें तो ये दिन पूजा पाठ के लिए उत्तम माना जाता है.। इस बार रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 11:55 से शुरू होगा. वहीं रवि योग सुबह 6:50 से शाम 5:16 तक रहेगा। इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा। ऐसे करें देवउठनी एकादशी की पूजा देवउठनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति, अथवा शालिग्राम स्थापित करें। भगवान विष्णु को चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक लगाएं। दीपक जलाने के साथ प्रसाद में तुलसी की पत्ती जरूर डालें। इसके अलावा तुलसी पूजन के लिए तुलसी के पौधे के चारों गन्ने का तोरण बनाएं। रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं और तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं। तुलसी पूजा व आरती के बाद प्रसाद वितरण करें। देवउठनी एकादशी के उपाय देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जीवन में आपको समस्त सुखों की प्राप्ति होगी।  देवउठनी एकादशी के दिन प्रात: स्नान के बाद भगवान विष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। ऐसा करने से जगत के पालनहार प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।  देवउठनी एकादशी के दिन पीले रंग का वस्त्र, पीला फल व पीला अनाज भगवान विष्णु को चढ़ाएं। बाद में ये सभी चीजें गरीबों व जरूरतमंदों में बांट दें। ऐसा करने से विष्णु जी की कृपा आप पर बनी रहेगी। यदि आप धन प्राप्ति की कामना रखते हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु मंदिर में सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। ध्यान रहे भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें। इससे भगवान विष्णु जल्दी ही प्रसन्न होते हैं और धन की तिजोरी भरने लगती है।  कर्ज से मुक्ति के लिए देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। शाम को पेड़ के नीचे दीपक लगाएं। इस उपाय को करने से जल्द लाभ मिलेगा। इस त्योहार से जुड़ी पुराणों की कथा… वामन पुराण का कहना है कि सतयुग में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकिर राजा बलि से तीन कदम जमीन दान में मांगी थी। फिर अपना कद बढ़ाकर दो कदम में पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग नाप लिया। तीसरा पैर रखने के लिए जगह नहीं बची तो बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। सिर पर पैर रखते ही बलि पाताल में चले गए। भगवान ने खुश होकर उन्हें पाताल का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा। बलि ने कहा आप मेरे महल में रहिए, भगवान ने ये वरदान दे दिया, लेकिन लक्ष्मी जी ने बलि को भाई बनाया और विष्णु को वैकुंठ ले गईं। जिस दिन विष्णु-लक्ष्मी वैकुंठ गए उस दिन ये ही एकादशी थी। आज देवउठनी एकादशी से शादियों का सीजन शुरू इस दिन से ही शादियों का सीजन शुरू होता है। गृह प्रवेश और बाकी मांगलिक काम भी शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त मानते हैं। इस दिन बिना मुहूर्त देखे भी शादी की जा सकती है। इस सीजन में मई और जून 2024 में शादियों के कोई मुहूर्त नहीं होंगे। दो सबसे बड़े मुहूर्त अक्षय तृतीया और वसंत पंचमी पर भी शादियां नहीं हो पाएंगी। इस साल 12 मुहूर्त: नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 दिन ज्योतिष के मुताबिक 23 नवंबर को देव उठने के साथ शादियों का सीजन शुरू होगा। इसी दिन सीजन का पहला मुहूर्त भी है। इसको मिलाकर दिसंबर तक 12 मुहूर्त होंगे। इनमें नवंबर के 5 और दिसंबर के 7 दिन शुभ रहेंगे। 15 दिसंबर से धनु मास शुरू होगा। इस कारण अगले साल 15 जनवरी के बाद शादियां शुरू होंगी। जो कि 20 अप्रैल तक चलेंगी। मई-जून 2024 में शुक्र ग्रह रहेगा अस्त इसलिए मुहूर्त नहीं अगले साल 29 अप्रैल को शुक्र, सूर्य के नजदीक आ जाएगा। जिससे ये ग्रह 61 दिन तक अस्त रहेगा। ज्योतिष का कहना है कि शुक्र के अस्त हो जाने से शादियों के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं। 28 जून को शुक्र ग्रह के उदय होने के बाद शादियां शुरू होंगी और 15 जुलाई को देवशयन होने तक मुहूर्त रहेंगे। अक्षय तृतीया और वसंत पंचमी पर नहीं हो पाएंगी शादियां 14 फरवरी 2024 को वसंत पंचमी है। कई जगहों पर इस दिन को शादी के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस बार वसंत पंचमी पर अश्विनी नक्षत्र रहेगा। ज्योतिषियों के मुताबिक इस नक्षत्र में शादी नहीं की जाती है। इस कारण वसंत पंचमी पर विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा। 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया रहेगी। ये दिन भी शादियों के लिए बड़ा अबूझ मुहूर्त होता है। इस बार अक्षय तृतीया पर शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण शादी का मुहूर्त नहीं होगा।