बेलनी पुल से मारी नदी में छलांग, टूटते लोग, बिखरते परिवार…आखिर क्यों बढ़ रहे हैं रुद्रप्रयाग जिले में खुदकुशी के मामले
1 min read24/11/2023 8:14 am
दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज।
रुद्रप्रयाग। । आज शुक्रवार सुबह 6:30 पर रुद्रप्रयाग के बेलनी पुल से एक व्यक्ति ने छलांग लगा दी। देखते ही देखते इस घटना से अफरातफरी मच गई और कुछ स्थानीय लोग नदी तट की ओर उसे बचाने भागे। लोगों की सूचना पर तत्काल पहुँची डीडीआरएफ स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ ने रेसक्यूँ कर उक्त व्यक्ति को बचा लिया। जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र रुद्रप्रयाग के अनुसार उक्त व्यक्ति का रेस्क्यू कर जिला चिकित्सालय ले जाया गया जिसका अभी प्राथमिक उपचार चल रहा है। छलांग लगाने वाले व्यक्ति की पहचान उदय सिंह पवार पुत्र इंद्र सिंह पवार उम्र करीब 50 वर्ष निवासी ढोंड़ा घेंगढ़खाल पोस्ट छोरा जिला रूद्रप्रयाग के रूप में हुई है।
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बीते शनिवार को सुबह दस बजे एक महिला द्वारा बेलनी पुल रुद्रप्रयाग से नदी में छलाग मार दी गई थी । जिसे पुलिस द्वारा बचा लिया गया था। वही इस घटना के ठीक एक घंटे बाद तकरीबन 11बजे शिवानंदी में भी एक व्यक्ति राजेन्द्र प्रसाद उनियाल पुत्र टीकाराम उनियाल, उम्र -55 वर्ष
निवासी शिवनन्दी सौड रुद्रप्रयाग ने नदी में छलांग लगा आत्महत्या कर ली। इसी बुधवार को अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र से सटे चाका गाँव में 30 वर्षीय एक युवक ने ब्लेड से खुद का गला काटकर आत्महत्या कर ली।
बेलनी पुल पर लगे जाली
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सुसाइड प्वाइंट बनता जा रहे रुद्रप्रयाग के बेलनी पुल पर सुरक्षा की दृष्टिगत जाली लगानी चाहिए। जिससे इसे सुसाइड का साइलेंट प्वाइंट बनने से रोका जा सके।
टूटते लोग, बिखरते परिवार…आखिर क्यों बढ़ रहे हैं खुदकुशी के मामले
भारत में ऐसे टूटते लोग और बिखरते परिवार की तमाम कहानियां है। साल दर साल बढ़ते खुदकुशी के आंकड़े डराने लगे हैं भारत में पारिवारिक समस्या, अकेलापन, आर्थिक स्थिति और नशे की लत के चलते आत्महत्या के मामले बढ़ रहे है। NCRB की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में सुसाइड के मामलों में 2020 की तुलना में साल 2021 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2021 में भारत में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की है। वहीं सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले महाराष्ट्र राज्य में दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में आत्महत्या के मामले में काफी बढ़त देखने को मिली है। रिपोर्ट में आत्महत्या के अलग अलग कारणों के बारे में भी बताया गया है। जिसमें पारिवारिक कलह सबसे बड़ी वजह बताई गई है।मानसिक बीमारी, नशे की लत, लव लाइफ से जुड़ी दिक्कतें भी आत्महत्या की वजहें बताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार केवल पांच राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सुसाइड के 50.4 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं। बचे 49.6 % मामले अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं। हालांकि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड इनमें मुफीद था लेकिन अब उत्तराखंड में आत्महत्या के मामले बढ़ने लगे है।
उत्तराखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां 2016 के मुकाबले 2017 में 118 फीसदी अधिक आत्महत्याएं हुई। उत्तराखंड में वर्ष 2016 में 152, वर्ष 2017 में 331 और वर्ष 2018 में यहां 421 लोगों ने आत्महत्या की। वर्ष 2019 में 516 मामले दर्ज किए गए जिनमें 394 (76%) मामले पारिवारिक कारणों से जुड़े थे। वर्ष 2017 में उत्तराखंड के 157 लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते (47.4 प्रतिशत शेयर) मौत को गले लगाया। इनमें 87 पुरुष और 70 महिलाएं शामिल हैं। 17 पुरुष, 15 महिलाओं ने विवाह की वजह से आत्महत्या की। दहेज के चलते 5 महिलाओं, परीक्षा में फेल होने पर एक लड़की, नपुंसकता के चलते 12 पुरुष, बीमारी के चलते 4 पुरुष, किसी अपने के चले जाने पर दो महिलाओं, ड्रग्स या नशे के चलते 15 पुरुष, एक महिला, प्रेम संबंध के चलते 13 पुरुष, 6 महिला, बेरोज़गारी के चलते 1 पुरुष, करियर की समस्या को लेकर एक पुरुष, अज्ञात कारणों से 52 पुरुष और 23 महिलाओं, अन्य वजहों से आत्महत्या करने वालों में 8 पुरुष, 3 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 63 केस ऐसे थे जिसमें पूरे परिवार ने एक साथ आत्महत्या की। उत्तराखंड में 18 लोगों की सामूहिक आत्महत्या में जान गंवायी। वहीं खुदकुशी करने वालों में सबसे बड़ी संख्या बिजनेस से जुड़े लोगों या दैनिक वेतन पर जीवन यापन करने वाले शामिल हैं इसके बाद वेतनभोगी और छात्रों की भी बड़ी संख्या है।
आत्महत्या बन रही चुनौती
आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसे रोकने के लिए एक व्यक्ति खुद सबसे अहम कड़ी होता है, क्योंकि वह समाज के एक सदस्य के रूप में अपनी सजगता से खुद के साथ अन्य लोगों को भी बचा सकता है। इस बीच सुसाइड टेंडेंसी को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। आत्महत्या की प्रवृत्ति क्या एक मनोरोग है, जिसका इलाज होना चाहिए? हमारे पढ़े लिखे और शिक्षित समाज में, खासकर युवाओं में इसकी बढ़त क्यों देखी जा रही है।
मनोचिकित्सकों की माने तो ‘कोई भी व्यक्ति सुसाइड के बारे में तभी सोचता है जब उन्हें जीने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। आत्महत्या का मामला दुखद तो है, लेकिन हर मामले में कुछ न कुछ रहस्य छिपा होता है। हालांकि हर मामले में एक समानता जरूर नजर आती रही है और वह है निराशा की गहरी भावनाएं। कई बार लोग अपनी दिक्कतों से इतने तंग आ जाते हैं कि उन्हें आगे का कोई राह नजर नहीं आता है। उन्हें लगने लगता है कि वह जिंदगी और हालात से पैदा हुई चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे।
ऐसे में सबसे जरूरी है कि कोई ऐसा व्यक्ति आपके साथ हो जो आपकी बातों को सुन और समझ सके। जब आपका दोस्त या परिवार का कोई सदस्य अपनी दिक्कतें बता रहा हो तो हमें उनकी आलोचना करने के बजाय बात सुननी चाहिए। एक्सपर्ट ने डिप्रेशन के लक्षण के बार में बात करते हुए कहा कि इसका सबसे सामान्य लक्षण है अचानक बात करना बंद कर देना। हमने कई ऐसे मामले देखे हैं जहां डिप्रेशन से जूझ रहा व्यक्ति खुद को कॉर्नर कर देता है। अगर आप देख रहे हैं कि आपका करीबी दो हफ्तों से ज्यादा गुमसुम है तो उनसे बात करने की कोशिश करनी चाहिए। सुसाइड के ख्याल से पहले सामान्यतौर पर बच्चे या बुजुर्ग खाना अवॉइड करने लगते हैं. कम बोलना, कम खाना, अपनी किसी ना किसी बातों से जाहिर कर देना कि उन्हें सुसाइड के ख्याल आ रहे हैं, दुखी रहना ये एक सामान्य लक्षण है जिसे हम इग्नोर कर देते हैं।
डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की मदद के तौर पर हम ये कर सकते हैं कि उनकी बात सुन उन्हें जीवन के प्रति पॉजिटिव नजरिया और बेहतर फ्यूचर के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उन्हें अपने प्रेजेंट में रहने को कहें। उन्हें एक दैनिक दिनचर्या को फॉलो करने के लिए कहना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव बातों और लोगों के बीच रहने देना चाहिए. इन सब के बीच अगर आपका डिप्रेशन में है और सुसाइड के ख्याल आ रहे है तो मनोचिकित्सक की भी मदद ले सकते हैं। आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए।
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