दस्तक पहाड न्यूज  / उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल रेसक्यू में सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने में दिन-रात एक्सपर्ट्स की टीम लगी रही। टनल के बाहर मजदूरों के रिश्तेदार और परिवार के लोगों का इंतजार था तो अंदर जिंदगियां बचाने की जद्दोजहद। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, आईटीबीपी के साथ प्रशासन की कई टीमों ने मजूदरों को बचाने में दिन रात एक कर दिए। इंटरनैशनल एक्सपर्ट्स भी इस आपात समय में बुलाए गए। रैट माइनर्स दल की भूमिका सबसे अहम रही। दिल्ली से आई रैट माइनर्स की टीम ने मैन्युअल

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ड्रिलिंग के लिए 36 घंटे का समय मांगा था। लेकिन महज 27 घंटे में ही इस टीम ने सफलता दिला दी। उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू के हीरो रॉक वेल इंटरप्राइजेस कंपनी के दल के सदस्यों ने दिन-रात काम कर मंगलवार शाम 6 बजे मैन्युअल ड्रिलिंग को पूरा किया। जिसके माध्यम से 800 मिमी के पाइप के जरिए अंदर फंसे मजदूरों के बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाया गया। जिससे सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया। आपको बता दें कि दल के दो लड़के पाइप के अंदर बैठकर मिट्टी काटते रहे थे। जबकि चार से पांच लड़के बाहर रहकर मलबा बाहर खींचते रहे थे। इस दल में फिरोज कुरैशी, मुन्ना, नसीम, मोनू, राशिद, इरशाद, नासिर आदि शामिल रहे। वहीं रैट माइनर्स के लिए मलबा निकालने के लिए विशेष प्रकार की ट्रॉली दिल्ली के सुरेंद्र राजपूत ने तैयार की। जिसकी मदद से आसानी से मलबे को बाहर निकाला गया। टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स और क्रिस कूपर  साइंटिस्ट और टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स हादसे के बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डिक्स 20 नवंबर को घटनास्थल पर पहुंच गए थे। उन्होंने सभी को पॉजिटिव रहने की सलाह दी। वह भूमिगत निर्माण से जुड़े जोखिमों पर सलाह देते हैं। डिक्स सुरंग बनाने में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं। वही क्रिस कूपर दशकों से एक माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें खासतौर पर इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बुलाया गया। वह 18 नवंबर को मौके पर पहुंचे थे। ऐसे में इनका अनुभव बेहह ही कारगर साबित हुआ है. कूपर ने काम को तेजी से पूरा कराए जाने पर जोर दिया। वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को सिल्कयारा सुरंग ढहने की घटना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और वह पिछले 10 दिनों से बचाव के कामों की देखरेख और कमान संभाल रहे हैं। खैरवाल घंटे-घंटे पर रेस्क्यू स्थल से PMO और CMO को अपडेट देते रहे। वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं। लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड), मेंबर, NDMA भारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और NDMA टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में अथॉरिटी की भूमिका की देखरेख कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पहले श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की जीओसी 15 कोर के सदस्य थे। इस अभियान में इनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है। रैट होल माइनर्स की टीम मैन्युअल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए छह रैट रैट होल माइनर्स को बुलाया गया। इन लोगों ने मजदूरों के निकालने के लिए बिछाई गई 800 एमएम पाइप के जरिए बाकी बच्चे हिस्से में खुदाई की। राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय ड्रिलिंग विशेषज्ञ, पर्यावरण विशेषज्ञ को भी सुरंग हादसे में बचाव के लिए तैनात किया गया था। सिलक्यारा टनल अंदर पहुंचे मुन्ना कुरैशी 29 वर्षीय मुन्ना कुरैशी राजधानी दिल्ली की एक रैट माइनिंग टीम में काम करते हैं। वे ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग कंपनी का हिस्सा हैं। ऑपरेशन के बाद मुन्ना कुरैशी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब उन्होंने सुरंग के अंदर के आखिरी पत्थर को हटाया और फंसे हुए लोगों ने उन्हें देखा तो वे खुशी से झूम उठे। टनल में फंसे मजदूरों ने खुशी में आतुर होकर मुन्ना कुरैशी को गले लगा लिया और खाने के लिए बादाम दिए। मुन्ना कुरैशी ने आगे बताया कि हम पिछले 24 घंटों से इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे, जब ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ और मैं उनके पास पहुंचे तो टनल में फंसे लोग मुझे देख कर झूम उठे. उन्होंने हमारा धन्यवाद किया और जो इज्जत मुझे उनसे मिली, मैं जिंदगी भर उसे नहीं भुला सकता हूं। दक्ष बंधु जो देवदूत बन उतरे  रेस्क रक्षा  अनुसंधान एवं विकास परिषद यानी डीआरडीओ ने अपने दो खास सिपाहियों ‘दक्ष मिनी’ और ‘दक्ष स्काउट’ को भेजा है। इन्हें ही दक्ष ब्रदर्स कहा जाता है। ये दोनों एक रिमोट संचालित वाहन हैं और आपात परिस्थितियों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट की खास बात यह है कि इनको बहुत छोटी सी जगह में भी संचालित किया जा सकता है। डीआरडीओ ने इनकी क्षमता के बारे में बताते हुए कहा है कि ये दोनों सिंगल चार्जिंग से 2 घंटे तक चल सकते हैं  इनको रिमोट से संचालित किया जाता है और 200 मीटर की दूरी तक संचालित किए जा सकते हैं। इसके अलावा एक बार में 20 किलो तक का वजन उठा सकते हैं और दक्ष मिनी में हाई रेजोल्यूशन कैमरे भी लगे हैं। इससे रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। दक्ष स्काउट की बात करें तो यह सर्विलांस व्हीकल है। यह सीढ़ियां चढ़ने, ऊंचाई पर आगे बढ़ने से लेकर किसी भी तरह के सतह पर चलने में सक्षम है।