दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि दस्तक पहाड न्यूज। नेत्र रोगियों से पैसा वसूल कर उन्हें चश्मा उपलब्ध कराने के लिए सीएचसी अगस्त्यमुनि में अघोषित रूप से लंबे समय से चश्मे की दुकान चल रही है। चश्मे के लिए जमा होने वाले पैसे के बदले कोई रसीद भी नहीं दी जाती है। अगस्त्यमुनि के सरकारी अस्पताल की पंजीकरण पर्चे पर भी नेत्र रोगी को 200 रूपये में दिए गए चश्मे का जिक्र नहीं है, ऐसे में अहम सवाल है कि नेत्र रोग तकनीशियन द्वारा यह चश्मा अस्पताल के अंदर क्यों और कैसे बेचा गया। बता दें अस्पताल में चश्मे

Featured Image

के लिए पैसा नहीं पड़ता है। [caption id="attachment_34956" align="aligncenter" width="762"] अस्पताल की पर्ची[/caption] आज मंगलवार को जसवंत सिंह नाम का एक ग्रामीण सीएचसी अगस्त्यमुनि में आँखों की जांच कराने पहुँचा। जहाँ तैनात नेत्र रोग तकनीशियन ने उन्हें चश्मा पहनने की सलाह दी। जिस पर मरीज ने उनसे चश्मा देने की बात कही। नेत्र रोग तकनीशियन ने 200 रूपये जमा कराने पर उन्हें चश्मा दिया । बाद में जब यह मरीज बाजार में स्थित एक चश्मे की दुकान में पहुंचा तो मौजूदा दुकानदार ने इस चश्मे की कीमत सौ रूपये बताई। देखिए वीडियो स्थानीय निवासी विपिन रावत का कहना है कि अस्पताल में चश्मे निशुल्क मिलते है लेकिन तैनात कर्मचारी अस्पताल में खुलेआम चश्मे की दुकान चला रहा है। वही इस पूरे मामले पर स्थानीय व्यापारियों ने रोष प्रकट किया है। अगस्त्यमुनि के चश्मा व्यापारी एम एस राणा का कहना है अस्पताल से खुलेआम चश्मे की दुकान चलाना गलत है, इससे बाजार में बैठे चश्मा व्यवसायियों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने सीएमओ रूद्रप्रयाग को पत्र लिखकर कार्यवाही करने की मांग की है।