अनसूया प्रसाद मलासी  / अगस्त्यमुनि।  दस्तक पहाड न्यूज। । पहाड़ में तेजी से फल फूल रहे है मीट दारू के अवैध कारोबार पर काबिज "बाहरी" लाइसेंस से लेकर मानकों तक पर हीलाहवाली कर जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है। कमोबेश यह स्थिति पूरे पहाड़ की है लेकिन यात्रा मार्ग पर यह अवैध कारोबार सबसे अधिक बीमारियाँ बाँट रहा है। यहाँ अधिकांश मीट की दुकानों में खुले में माँस रखकर बेचा जा रहा है,पवित्र नदियों के तटों पर माँस काटना तो आम बात है। सबसे बड़ी विडंबना ये है कि न स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इससे कोई

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फर्क पड़ रहा है और न प्रशासन इनकी जांच करता है। सबसे अहम बात कि इस पूरे अवैध कारोबार में लाइसेंसिंग प्रक्रिया पिछले कुछ सालों से पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है। केदारनाथ धाम यात्रा के मुख्य नगर अगस्त्यमुनि में बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से अवैध रूप से बकरे मुर्गों का मांस बेचा जा रहा है। किसी के पास 5 साल से नहीं है लाइसेंस, तो किसी के पास 2 साल से। पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में एक भी मीट, मुर्गा, मछली विक्रेता वाले के पास लाइसेंस नहीं है। इस सब पर नगर पंचायत और आंखें बंद किए हुए हैं। अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत कैलाश पटवाल ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसको देखेंगे और लाइसेंस जारी करेंगे। यदि कहीं अनियमित पाई गई तो कार्रवाई करेंगे। क्या कहते है जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनोज सेमवाल - नगर पालिका/नगर पंचायत की एनओसी मिलने के बाद ही हमारा विभाग बूचड़खाने या मीट की दुकान आदि खोलने के लिए लाइसेंस जारी करता है। कई बार उनके चालान हो चुके हैं। क्योंकि इन दुकानों की लाइसेंस मानक पूरे नहीं हैं, इसलिए हम जल्दी से लाइसेंस जारी नहीं करते। यह नगर पंचायत को भी देखना चाहिए।